भारत में एलियंस के उतरने के 7 स्थान, 10 चौंकाने वाली बातें

WD Feature Desk
बुधवार, 8 जनवरी 2025 (17:21 IST)
aliens facts: दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश विज्ञान के लिए बेहद चुनौतीभरा काम रहा है और हो सकता है कि यही काम दूसरे ग्रहों के वैज्ञानिक भी करते हों। ऐसे में वे अपने किसी यान द्वारा धरती पर आ जाते हों तो कोई आश्चर्य नहीं। हम भी तो चंद्र ग्रह, मंगल ग्रह पर पहुंच गए हैं। हमने शनि पर भी एक यान भेज दिया है। अब किसी न किसी दिन मानव भी उन यानों में बैठकर जाने की हिम्मत करेंगे। जो भी हो, हर देश का वैज्ञानिक इस खोज में लगा हुआ है कि क्या सचमुच अपने देश में भी एलियंस आए थे और क्या किसी ने इसे देखा है? लोग इसे मानें या न मानें, लेकिन यह सच है कि धरती पर दूसरे ग्रह के लोग आकर चले गए हैं और वे आते रहते हैं और यह भी कि वे धरती पर किसी अनजानी जगह पर रहते भी हैं। वैज्ञानिक यही सब कुछ खोज रहे हैं। इस खोज के चलते ही भारत में ऐसे कई स्थानों की खोज की गई है, लेकिन यहां प्रस्तुत है सिर्फ 7 स्थानों की जानकारी।
 
पहला स्थान हिमालय: 
विश्वभर के वैज्ञानिक मानते हैं कि धरती पर कुछ जगहों पर छुपकर रहते हैं दूसरे ग्रह के लोग। उन जगहों में से एक हिमालय है। भारतीय सेना और वैज्ञानिक इस बात को स्वीकार नहीं करते लेकिन वे अस्वीकार भी नहीं करते हैं। हिस्ट्री चैनल्स की एक सीरिज में इसका खुलासा किया गया। भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की यूनिटों ने सन् 2010 में जम्मू और कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में उड़ने वाली अनजान वस्तुओं (यूएफओ) के देखे जाने की खबर दी थी, लेकिन बाद में इस खबर को दबा दिया गया। इसके बाद 20 अक्टूबर 2011, को फिर 22 जून को यह घटना घटी। सेना के एक जवान ने यान को उतरते हुए देखा जिसमें से 3 फुट ऊंचे जीव, जिनमें प्रत्येक के 6 पैर और 4 आंखें थीं। यान के किनारे से एक ट्यूब से उभरे और वो जवान के पास पहुंचे और अंग्रेजी के भारी-भरकम उच्चारण के साथ जोर्ग ग्रह का रास्ता पूछा। हिमालय की एक घटना है कि 15 फरवरी की दोपहर तकरीबन 2.18 पर भारत-चीन सीमा से करीब 0.25 किलोमीटर दूर एक छोटे से क्षेत्र में मैदान से करीब 500 मीटर ऊपर चमकदार सफेद रोशनी नजर आई और 8 भारतीय कमांडो, 1 कुत्ते, 3 पहाड़ी बकरियों और 1 बर्फीले तेंदुए को भारी बादलों में ले जाने से पहले वह गायब हो गई। हालांकि कुछ मानते हैं कि वह ले जाने में कामयाब नहीं हो पाई। कहा जाता है कि बाद में 6 कमांडो को गोवा के एक स्वीमिंग पूल से बचाया गया। 2 लापता हैं। शेष बचे हुए लोगों को यह घटना याद ही नहीं। इस घटना का गवाह एक स्थानीय किसान बना, जो सीमा रेखा के नजदीक भेड़ चरा रहा था। इस तरह के सैकड़ों किस्से हैं, जो समय-समय पर देश-दुनिया के अखबारों में छपते रहते हैं।ALSO READ: क्या एलियंस ने बनाया था एलोरा का कैलाशनाथ मंदिर? जानिए क्या है कैलाश मंदिर का रहस्य
 
दूसरा स्थान ओडिशा: 
इस बात का पता एक ताड़पत्र की खुदाई से चला है। वर्ष 1947 में भारत के आजाद होने से कुछ माह पहले ही एक यूएफओ को ओडिशा के नयागढ़ जिला में उतरते देखे जाने की बात कही गई थी। एक स्थानीय कलाकार पचानन मोहरना ने इस घटना को ताड़पत्र पर खुदाई कर दर्ज किया था। पचानन ने उन एलियन व उनके विमान के रेखाचित्र भी बनाए थे। यह यूएफओ 31 मई 1947 को पहाड़ी इलाके नयागढ़ में उतरे थे। इस घटना के एक माह बाद ही न्यू मैक्सिको के पास एक संदिग्ध दुर्घटना हुई थी। इसके बाद अमेरिकी वायुसेना ने दुर्घटनास्थल से एक उडनतश्तरी को बरामद करने का दावा किया था। हालांकि इस घटना को बाद में अमेरिका और भारत ने छिपाने का प्रयास किया।
 
तीसरा स्थान मध्यप्रदेश: 
कहते हैं कि मध्यप्रदेश की नर्मदा नदी के तट पर सैर करने आते थे एलियंस। नर्मदा घाटी को विश्व की सबसे प्राचीन घाटियों में गिना जाता है। यहां भीमबैठका, भेड़ाघाट, नेमावर, हरदा, ओंकारेश्वर, महेश्वर, होशंगाबाद, बावनगजा, अंगारेश्वर, शुलपाणी आदि नर्मदा तट के प्राचीन स्थान हैं। नर्मदा घाटी में डायनासोर के अंडे भी पाए गए हैं और यहां कई विशालकाय प्रजातियों के कंकाल भी मिले हैं। यहां प्रागैतिहासिक शैलचित्रों के शोध में जुटी एक संस्था ने रायसेन के करीब 70 किलोमीटिर दूर घने जंगलों के शैलचित्रों के आधार पर अनुमान जताया है कि प्रदेश के इस हिस्से में दूसरे ग्रहों के प्राणी 'एलियन' आए होंगे। संस्था का मानना है कि यहां आदिमानव ने इन शैलचित्रों में उड़नतश्तरी की तस्वीर भी उकेरी है। पत्थर पर दर्ज आकृति नर्मदा घाटी में नए प्रागैतिहासिक स्थलों की खोज में जुटी सिड्रा आर्कियोलॉजिकल एन्वॉयरन्मेंट रिसर्च, ट्राइब वेलफेयर सोसाइटी के पुरातत्वविदों के अनुसार ये शैलचित्र रायसेन जिले के भरतीपुर, घना के आदिवासी गांव के आसपास की पहाड़ियों में मिले हैं। इनमें से एक शैलचित्र में उड़नतस्तरी (यूएफओ) का चित्र देखा जा सकता है। इसके पास ही एक आकृति दिखाई देती है जिसका सिर एलियन जैसा है। यह आकृति खड़ी है। जैसा देखा, वैसा बनाया।ALSO READ: क्या हम कभी एलियन भाषा को समझ पाएंगे?
 
चौथा स्थान छत्तीसगढ़ का बस्तर:
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक गुफा में 10 हजार वर्ष पुराने शैलचित्र मिले हैं। नासा और भारतीय आर्कियोलॉजिकल की इस खोज ने भारत में एलियंस के रहने की बात पुख्ता कर दी है। यहां मिले शैलचित्रों में स्पष्ट रूप से एक उड़नतश्तरी बनी हुई है। साथ ही इस तश्तरी से निकलने वाले एलियंस का चित्र भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जो आम मानव को एक अजीब छड़ी द्वारा निर्देश दे रहा है। इस एलियंस ने अपने सिर पर हेलमेट जैसा भी कुछ पहन रखा है जिस पर कुछ एंटीना लगे हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि 10 हजार वर्ष पूर्व बनाए गए ये चित्र स्पष्ट करते हैं कि यहां एलियन आए थे, जो तकनीकी मामले में हमसे कम से कम 10 हजार वर्ष आगे हैं ही।
पांचवां स्थान अजंता-एलोरा:
माना जाता है कि एलोरा की गुफाओं के अंदर नीचे एलियंस का एक सीक्रेट शहर है। यह हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म का प्रमुख स्थल है। यहां की जांच-पड़ताल करने के बाद पता चलता है कि यहां पर एलियंस के रहने के लिए एक अंडरग्राउंड स्थान बनाया गया था। आर्कियोलॉजिकल और जियोलॉजिस्ट की रिसर्च से यह पता चला कि ये कोई सामान्य गुफाएं नहीं हैं। इन गुफाओं को कोई आम इंसान या आज की आधुनिक तकनीक नहीं बना सकती। यहां एक ऐसी सुरंग है, जो इसे अंडरग्राउंड शहर में ले जाती है। अजंता के कैलाश मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह एलियंस के सहयोग से बनाया गया था। आर्कियोलॉजिस्टों के अनुसार इसे कम से कम 4 हजार वर्ष पूर्व बनाया गया था। 40 लाख टन की चट्टानों से बनाए गए इस मंदिर को किस तकनीक से बनाया गया होगा? यह आज की आधुनिक इंजीनियरिंग के बस की बात नहीं है।ALSO READ: भारत में 'एलियंस' के उतरने के सात स्थान, जानिए
 
छठा स्थान महाबलीपुरम: 
केरल का महाबलीपुरम शहर बहुत ही प्राचीन शहर है। यहां के अब तक ज्ञात सबसे प्राचीन राजा बलि थे। बलि के कारण ही विष्णु को वामन अवतार लेना पड़ा था। यहां पर एक प्राचीन गणेश मंदिर बना है जिसके शिखर को स्पष्ट रूप से रॉकेट की आकृति का बनाया गया है। इस मंदिर की जांच करने के बाद यहां रेडियो एक्टिविटी मटेरियल्स मिला है। यहां पर एक बहुत ही फरफेक्स होल्स बना है। माना जाता है कि यहीं से रॉकेट लांच किया जाता था।
 
सातवां स्थान द्वारिका: 
एलियंस के अवशेषों की खोज करने वाले वैज्ञानिक कहते हैं कि द्वारिका का निर्माण एलियंस ने किया था। इस नगर पर एलियंसों ने ही हमला करके इस नष्ट कर दिया था। गुजरात के तट पर भगवान श्रीकृष्ण की बसाई हुई नगरी यानी द्वारिका। कहा जाता है कि कृष्ण की मृत्यु के साथ उनकी बसाई हुई यह नगरी समुद्र में डूब गई। आज भी यहां उस नगरी के अवशेष मौजूद हैं, लेकिन प्रमाण आज तक नहीं मिल सका कि यह क्या है? काफी समय से जाने-माने शोधकर्ताओं ने यहां पुराणों में वर्णित द्वारिका के रहस्य का पता लगाने का प्रयास किया, लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित कोई भी अध्ययन कार्य अभी तक पूरा नहीं किया गया है। 2005 में द्वारिका के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान में भारतीय नौसेना ने भी मदद की। अभियान के दौरान समुद्र की गहराई में कटे-छंटे पत्थर मिले और यहां से लगभग 200 अन्य नमूने भी एकत्र किए, लेकिन आज तक यह तय नहीं हो पाया कि यह वही नगरी है अथवा नहीं जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था। आज भी यहां वैज्ञानिक स्कूबा डायविंग के जरिए समंदर की गहराइयों में कैद इस रहस्य को सुलझाने में लगे हैं।
एलियंस के संबंध में 10 बातें जानकर चौंक जाएंगे आप:
1. वर्षों के वैज्ञानिक शोध से यह पता चला कि 10 हजार ईपू धरती पर एलियंस उतरे और उन्होंने पहले इंसानी कबीले के सरदारों को ज्ञान दिया और फिर बाद में उन्होंने राजाओं को अपना संदेशवाहक बनाया। वे अलग-अलग काल में अलग-अलग परंपरा-समाज की रचना कर धरती के देवता या कहें कि फरिश्ते बन बैठे। इजिप्ट (मिस्र), मेसोपोटामिया, सुमेरियन, इंका, बेबीलोनिया, सिन्धु घाटी, माया, मोहनजोदड़ो और दुनिया की तमाम सभ्यताओं के विकास में उन्हीं का योगदान रहा है। उन्होंने ही चीन, भारत, मिस्र, इसराइल, अमेरिका और रशिया में ऐसे स्मारक, पूजा स्थल या अजूबे बनाए जिन्हें बनाना मनुष्य के बस की बात ही नहीं लगती। हिस्ट्री चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक प्राचीन सभ्यताओं के स्मारकों पर शोध करने वाले मशहूर लेखक एरिक वोन डेनीकेन की किताब 'चैरियोट्स ऑफ गॉड्स' ने दुनिया की सोच को बदलकर रख दिया है। उनके अनुसार प्राचीन मिस्र के निवासियों के पास गीजा के पिरामिडों को बनाने की कोई तकनीक ही नहीं थी। मिस्र के निवासियों के पास गीजा में पिरामिड बनाने के लिए न तो औजार थे, न ही इन्हें बनाने का ज्ञान था। इस तरह इन्हें अवश्य ही एलियंस ने बनाया होगा। यदि भारत के संदर्भ में बात करें, तो ऐसे कई मंदिर हैं जिन्हें आज की आधुनिक मानव तकनीक से भी नहीं बनाया जा सकता।
 
2. वैज्ञानिकों ने कई सालों के रिसर्च के बाद यह पता लगाया कि 'ओरायन' एक ऐसा नक्षत्र है जिसका हमारी धरती से कोई गहरा संबंध है। भारतीय, मिस्र, मेसोपोटामिया, माया, ग्रीक और इंका आदि सभ्यताओं की पौराणिक कथाओं और तराशे गए पत्थरों पर अंकित चित्रों में इस 'नक्षत्र' संबंधी जो जानकारी है, वह आश्चर्यजनक ढंग से एक समान है। वैज्ञानिक मानते हैं कि हमारे पूर्वज या कहें कि हमें दिशा-निर्देश देने वाले लोग 'ओरायन' नक्षत्र से आए थे। भारत में ओरायन नक्षत्र को कालपुरुष नक्षत्र कहते हैं, जो मृगशिरा से मिलता-जुलता है।
 
3. सन् 2010 में खबर आई थी कि 1948 के बाद सुदूर अंतरिक्ष में रहने वाले एलियंस अमेरिका और ब्रिटेन के परमाणु मिसाइल वाले स्थलों पर कई बार मंडराए थे। अमेरिकी वायुसेना के पूर्व जवानों के एक दल का दावा है कि ब्रिटेन के सफोल्क परमाणु स्थल पर वे उतरे भी थे। इन अधिकारियों ने अज्ञात उड़नतश्तरियों (यूएफओ) से जुड़े अपने अनुभवों को सार्वजनिक करने की घोषणा भी की थी। अमेरिकी वायुसेना के पूर्व अधिकारी कैप्टन रॉबर्ट सलास ने बताया कि हम अनजान उड़नतश्तरियों के बारे में बातें कर रहे हैं। हम इन्हें अकसर यूएफओ के नाम से जानते हैं। 'डेली मेल' ने उनके हवाले से लिखा कि अमेरिकी वायुसेना अज्ञात उड़नतश्तरियों के परमाणु स्थलों पर मंडराने और इससे जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर झूठ बोल रही हैं और हमसे कुछ छुपा रही है।  
 
4. छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक गुफा में 10 हजार वर्ष पुराने शैलचित्र मिले हैं। नासा और भारतीय आर्कियोलॉजिकल की इस खोज ने भारत में एलियंस के रहने की बात पुख्ता कर दी है। यहां मिले शैलचित्रों में स्पष्ट रूप से एक उड़नतश्तरी बनी हुई है, साथ ही इस तश्तरी से निकलने वाले एलियंस का चित्र भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जो आम मानव को एक अजीब छड़ी द्वारा निर्देश दे रहा है। इस एलियंस ने अपने सिर पर हेलमेट जैसा भी कुछ पहन रखा है जिस पर कुछ एंटीना लगे हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि 10 हजार वर्ष पूर्व बनाए गए ये चित्र स्पष्ट करते हैं कि यहां एलियन आए थे, जो तकनीकी के मामले में हमसे कम से कम 10 हजार वर्ष आगे हैं ही। दुनियाभर की प्राचीन सभ्यताओं के चित्रों में ऐसे चित्र भी मिलते हैं जिसमें एक अंतरिक्ष यान के साथ एक अजीब-सा मानव दर्शाया गया है।
 
5. इजिप्ट, मेसोपोटामिया, सुमेरियन, इंका, बेबीलोनिया, सिंधु घाटी, माया, मोहनजोदड़ो और दुनिया की तमाम सभ्यताओं के टैक्स में लिखा है कि जल्दी ही लौट आएंगे हमारे 'आकाशदेव' और फिर से वे धरती के मुखिया होंगे। इजिप्ट और माया सभ्यता के लोग मानते थे कि अंतरिक्ष से हमारे जन्मदाता एक निश्चित समय पर पुन: लौट आएंगे। ओसाइशिरा (मिस्र का देवता) जल्द ही हमें लेने के लिए लौट आएगा। तो क्या हम 'स्टार प्रॉडक्ट' हैं? और क्या इसीलिए गिजावासी मरने के बाद खुद का ममीकरण इसलिए करते थे कि उनका 'आकाशदेव' उन्हें अं‍तरिक्ष में ले जाकर उन्हें फिर से जीवित कर देगा?
 
6. विश्वभर के वैज्ञानिक मानते हैं कि धरती पर कुछ जगहों पर छुपकर रहते हैं दूसरे ग्रह के लोग। उन जगहों में से एक हिमालय है और दूसरा समुद्री सुरंगें और गुफाएं और तीसरी जगह हो सकती है वे जंगल, जहां मनुष्य कभी नहीं जाता। अंत में चौथी जगह यह कि वे हमारे बीच में ही रहते हों मनुष्य की तरह। विश्‍वभर में एलियंस या यूएफओ के देखे जाने की घटना का वर्णन हमें अखबारों या किताबों में मिलता है। 
 
7. अंतरिक्ष वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंच गए हैं कि पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रह पर प्राणियों (एलियंस) का अस्तित्व है। एलियंस तकनीकी विकास में मनुष्यों से कहीं आगे हैं और वे हमारी गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। स्पेन के इंस्टीट्यूट एस्टोफिसिका डेल केनारियास और फ्लोरिडा विवि के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के एक दल ने अपने अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है। उनका मानना है कि दूसरे ग्रहों के प्राणी पृथ्वी पर मनुष्यों द्वारा विकसित तकनीकों के इस्तेमाल को संभवत: कौतूहलवश देख रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'डेली टेलीग्राफ' ने मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की वैज्ञानिक सुश्री सारा सीगेट के हवाले से कहा कि 'हो सकता है कोई हमें इस क्षण भी देख रहा हो और पृथ्वी की घूर्णन गति और दिन-रात के बारे में पूर्ण जानकारी रखता हो।'
 
8. एक सर्वेक्षण के मुताबिक विश्व में 20 प्रतिशत लोगों का मानना है कि एलियंस हमारे बीच इंसानों के भेष में घूमते हैं। समाचार एजेंसी रायटर्स ने एक सर्वेक्षण किया जिसमें 22 देशों के 23 हजार लोगों से सवाल पूछे गए। भारत और चीन में 40 प्रतिशत से ज्यादा लोगों का मानना है कि एलियंस पृथ्वी पर मनुष्यों के भेष में घूमते हैं। वहीं नीदरलैंड्स, स्वीडन और बेल्जियम के ज्यादातर लोग ऐसा नहीं मानते। वहां केवल 8 प्रतिशत लोग ही एलियंस की उपस्थिति पर विश्वास करते हैं। सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले लोगों में से 80 प्रतिशत को पक्का भरोसा है कि एलियंस हमारे बीच नहीं रहते हैं।
9. यह सही है कि आज का आधुनिक विज्ञान उन्हें एलियंस ही माने, लेकिन बाइबल में इन्हें 'नेफिलीम' कहा गया है जिन्हें स्वर्ग से बाहर कर दिया गया था और जो धरती के नहीं थे। ये स्वर्गदूतों के बच्चे थे। उनमें से एक शैतान था। परमेश्वर ने स्वर्गदूतों को स्वर्ग में रहने के लिए बनाया था, न कि धरती पर रहने के लिए लेकिन वे सब धरती पर आ गए। धरती पर वे इंसानों की औरतों की ओर आकर्षित होने लगे और फिर वे अपनी मनपसंद औरतों के साथ रहने लगे। फिर उनके भी बच्चे हुए और धीरे-धीरे उन्होंने धरती पर अपना साम्राज्य फैलाना शुरू किया। सामान्य मानव उन्हें या तो देवदूत कहता या राक्षस। इस तरह धरती पर एक नए तरह का युग शुरू हुआ और नए तरह का संघर्ष भी बढ़ने लगा और सभी तरफ एलियंस का ही साम्राज्य हो गया। लोग रक्त शुद्धता पर जोर देने लगे। भारतीय, मिस्र, ग्रीस, मैक्सिको, सुमेरू, बेबीलोनिया और माया सभ्यता के अनुसार वे कई प्रकार के थे, जैसे आधे मानव और आधे जानवर। इंसानी रूप में वे लंबे-पतले थे, उनका सिर पीछे से लंबा था। वे 8 से 10 फीट के थे। अर्द्धमानव रूप में वे सर्प, गरुड़ और वानर जैसे थे। आपने विष्णु के वाहन का चित्र देखा होगा। नागदेवता को कौन नहीं जानता? दूसरे वे थे जो राक्षस थे, जो बहुत ही खतरनाक और लंबे-चौड़े थे। कुछ तो उनमें से पक्षी जैसे दिखते थे और कुछ वानर जैसे। उनमें से कुछ उड़ सकते थे और समुद्र में भीतर तल पर चल सकते थे। जब वे समुद्र के भीतर चलते थे तो उनके सिर समुद्र के ऊपर दिखाई देते थे। उनमें ऐसी शक्तियां थीं, जो आम इंसानों में नहीं थीं, जैसे पानी पर चलना, उड़ना, गायब हो जाना आदि।
 
10. अमेरिका में कुछ महिलाओं ने दावा किया है कि उन्‍होंने एलियन के साथ सेक्स किया है। इन महिलाओं का यह भी दावा है कि उनके बच्‍चों के पिता भी वही एलियन हैं। एलियन से शा‍रीरिक संबंध बनाने के बाद महिलाओं ने कहा है कि यह उनका सबसे अच्‍छा अनुभव था। नीलसन और एलुना नाम की इन महिलाओं ने बताया कि उनके एलियन से कुल 13 बच्‍चे हैं। इन महिलाओं ने दावा किया कि एलियन के साथ उनका संसर्ग बेहद शानदार रहा और उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है तथा यह उत्तेजना से भरा एक अनोखा और बार-बार किया जाने वाला अनुभव रहा। ब्रिगेट नीलसन अमेरिका के शहर एरिजोना और एलुना वर्स लॉस एंजिल्स की रहने वाली हैं, साथ ही दोनों हाईब्रीड बेबी समुदाय की सदस्‍य भी हैं। इस समुदाय की सदस्‍य होने की वजह से ही इन दोनों का मानना है कि उनके बच्‍चे अंतरिक्ष में एलियंस के साथ स्पेसशिप में रहते हैं!
 
संकलन : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

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