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काले जादू का गांव मायोंग, लोगों को कर देते हैं यहां के जादुगर गायब

हमें फॉलो करें काले जादू का गांव मायोंग, लोगों को कर देते हैं यहां के जादुगर गायब
, बुधवार, 24 मार्च 2021 (18:05 IST)
जादू एक इंद्रजाल है। जादू जानने और करने वाले को जादुगर कहते हैं। जादू हाथ की सफाई है, भ्रम है या यह सच में ही होता है यह कहना मुश्‍किल है। जादू अनंतकाल से किया जाने वाला सम्मोहनभरा प्रदर्शन है। भारत में बंगाल और असम इसके केंद्र रहे हैं। दुनिया में एक से बढ़कर एक जादुगर हुए हैं। उनके जादू देखकर लोग हैरत में पड़ जाते थे। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत के असम में एक ऐसा गांव है, जहां हर घर में एक से बढ़कर एक जादुगर रहते हैं। तो आओ जानते हैं इस गांव की रोचक कहानी।


भारतीय राज्य असम की राजधानी गुवाहाटी शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर जिला मोरिगांव में पबित्रा वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी के पास स्थित है काले जादू का गांव मायोंग। कहते हैं कि मायोंग पर आज भी रहस्य का आवरण रहता है। इसे 'काले जादू की भूमि' के नाम से जाना जाता है। 'मायोंग' शब्द संस्कृत शब्द 'माया' से बना है जिसका अर्थ होता है भ्रम। यहां के लोग भ्रम पैदा करने में उस्ताद हैं।
 
कहते हैं कि यहां के लोग गायब करने और गायब होने का जादू जानते हैं। यहां के लोग खुद को जानवरों में भी बदलने की शक्ति रखते हैं और यहां पर जंगली जानवरों को अपनी जादू की शक्ति से पालतू बना लिया जाता है। यहां के लोग मंत्र से दर्द दूर करते हैं, चोर पकड़ते हैं और कई तरह के जादू के प्रदर्शन भी करते हैं। यहां के लोग वैसे हैं तो किसान लेकिन किसानी के साथ ही ये अपने बच्चों को जादू भी सिखाते हैं। यहां पर काला जादू और जादू-टोना पीढ़ियों से किया जाता रहा है।
 
 
इसे काले जादू का गढ़ माना जाता है। यहां के हर घर में आज भी जादू किया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि पूरे विश्व में काले जादू की शुरुआत इसी गांव से हुई थी। यहां के लोग मानते हैं कि यह गांव भीम के बेटे घटोत्कच का है। उसे यहां का राजा माना जाता है। हालांकि वर्तमान में यहां काला जादू कम ही किया जाता है। खासकर यहां पर अब लोगों की बीमारी ठीक करने के लिए जादू या तंत्र का सहारा लेते हैं। यहां अक्सर बीमार इंसान की पीठ पर थाली टिकाकर मंत्र उच्चारण के साथ मिट्टी मारी जाती है, कहा जाता है कि ये यहां बीमारियों को दूर करने का पारंपरिक तरीका है।
 
असम में ये कहानी प्रचलित है कि 1332 ईस्वीं में असम पर कब्जा जमाने के लिए मुगल बादशाह मोहम्मद शाह ने अपने घुड़सवारों के साथ चढ़ाई की थी। उस समय असम में हजारों जादुगर मौजूद थे और उन्होंने मायोंग को बचाने के लिए एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी थी जिसे पार करते ही शाह की पूरी सेना गायब हो गई थी। सेना का क्या हुआ, किसी को पता नहीं चला।
 
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मायोंग में बूढ़ा मायोंग नाम की एक जगह है जिसे काले जादू का केंद्र माना जाता है। यहां 2 कुंड हैं- एक अष्टदल कुंड व दूसरा योनि कुंड। योनि कुंड पर हिन्दू व अष्टदल कुंड पर बौद्ध अपनी तंत्र विद्या को सिद्ध करने के लिए साधना किया करते थे। इसके अलावा यहां पर भगवान शिव व पार्वती के अलावा गणेशजी की भी प्रतिमाएं हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि काले जादू की मंत्र शक्ति के कारण ये कुंड हमेशा पानी से लबालब भरा रहता है। 
 
मायोंग सेंट्रल म्युजियम में आयुर्वेद और काले जादू के बहुत से प्राचीन अवशेष और पांडुलिपियां आज भी हैं। यहां के संग्रहालय में 12वीं शताब्दी की कई पांडुलिपियां मौजूद हैं। जानकारों के अनुसार इन लिपियों में उड़ने के लिए, किसी को मारने के लिए और वश में करने के लिए काला जादू किस तरह किया जाए, ये सारी जानकारियां मौजूद हैं। इसके अलावा नदी के किनारे काशाहिला कच्छप पहाड़ी की चट्टानों पर रहस्यमयी मंत्र लेख खुदे हुए हैं। शिला पर डमरू, त्रिशूल और देवी का प्रतीक अष्टभुजी चक्र अंकित हैं। इन्हें कोई जानकार ही पढ़ और समझ सकता है। यहां हिन्दू और बौद्ध धर्म संबंधी 8वीं सदी के कई पुरावशेष भी मिले हैं।

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