एलन मस्क बहुत सारे ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिससे आने वाले दिनों में इंसानों की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाएगी। अब वे इंसानों के ब्रेन में चिप लगाने के काम को अंजाम दे रहे हैं। फिलहाल बंदरों के साथ इस चिप का इस्तेमाल किया गया है जो कि सफल रहा है। बंदर के साथ किए गए प्रयोग के बाद जो परिणाम सामने आए हैं वे चौंकाने वाले हैं।
कहा जा रहा है कि यह छोटी सी ब्रेन चिप इंसान की जिंदगी बदल देगी। यह दावा खुद ब्रेन इंटरफेस टेक्नोलॉजी कंपनी न्यूरालिंक के सीईओ एलन मस्क ने किया है।
अब बस, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की मंजूरी का इंतजार है। इसके बाद चिप का ट्रायल शुरू किया जाएगा।
क्या है ब्रेन चिप?
दरअसल, एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने एक ऐसा न्यूरल इम्प्लांट तैयार किया है जो दिमाग में चल रही एक्टिविटी को बताने में सक्षम है। मस्क का कहना है, इस इम्प्लांट के जरिए हमारे पास किसी ऐसे व्यक्ति को ताकत देने का मौका है, जो चल नहीं सकता है या फिर अपने हाथों से काम नहीं कर सकता है।
इंसानों पर इस इम्प्लांट के ट्रायल के लिए फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से मंजूरी मांगी गई है। मंजूरी मिलते ही ह्यूमन ट्रायल शुरू किया जाएगा।
वॉल स्ट्रीट जर्नल के सीईओ काउंसिल समिट में एलन मस्क ने कहा था कि बंदरों पर इस इम्प्लांट का ट्रायल किया गया है। यह ट्रायल सफल और पूरी तरह से सुरक्षित भी रहा है। 2022 में हम इसका ह्यूमन ट्रायल शुरू करेंगे।
9 अप्रैल, 2021 को, न्यूरालिंक ने एक बंदर में ब्रेन चिप लगाई थी। चिप के कारण बंदर अपने दिमाग का इस्तेमाल कर पोंग खेल आराम से खेलने के लिए कर सका। बंदर के दिमाग में डिवाइस ने खेल खेलते समय न्यूरॉन्स फायरिंग के बारे में जानकारी दी, जिससे वह सीख पाया कि खेल के दौरान कैसे चाल चलनी है। मस्क ने बताया कि चिप लगाए जाने के बावजूद बंदर सामान्य लग रहा था और टेलीपैथिक रूप से एक वीडियो गेम खेल रहा था। मुझे लगता है कि यह काफी अच्छा प्रयोग था।
एलन मस्क ने दावा किया है कि उनकी कंपनी 2022 में अपनी ब्रेन चिप का मानव परीक्षण शुरू कर देगी। वॉल स्ट्रीट जर्नल के सीईओ काउंसिल समिट के दौरान उन्होंने इसका खुलासा किया। उन्होंने कहा कि बंदरों पर चिप का परीक्षण सफल रहा है और यह पूरी तरह सुरक्षित है। अब इंसानों पर परीक्षण शुरू करने के लिए हमें फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की मंजूरी का इंतजार है।
सबसे पहले इम्प्लांट का इस्तेमाल रीढ़ की हड्डी से जुड़ी गंभीर बीमारी वाले मरीजों पर किया जाएगा। ऐसे मरीज जो हाथों और पैरों में पैरालिसिस से जूझ रहे हैं वो भी इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। यह डिवाइस लगने के बाद मरीज ब्रेन से डिजिटल डिवाइस को कंट्रोल कर सकेंगे। यह प्रयोग कितना असरदार होगा, यह ह्यूमन ट्रायल के बाद पता चलेगा।