Why The British Feared Lord Jagannath: भगवान जगन्नाथ का नाम सुनते ही भक्तों का मन श्रद्धा से भर उठता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब अंग्रेजों के होश इस नाम से फाख्ता हो जाते थे? जी हां, यह कोई कहानी नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक सच्चाई है, जिसका खुलासा एक ब्रिटिश अधिकारी की गुप्त डायरी से हुआ था। आखिर क्या था वो रहस्य, जिसने अंग्रेजों को थर्राने पर मजबूर कर दिया? आइए जानते हैं।
अंग्रेजों की बेचैनी और जासूसी का खेल
उन्नीसवीं सदी की शुरुआत थी, जब अंग्रेज भारत पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे थे। इसी दौरान उनकी नज़र ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर पर पड़ी। इस मंदिर की लोकप्रियता, भव्यता और लाखों भक्तों की अटूट श्रद्धा ने अंग्रेजों को हैरान कर दिया था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर कैसे एक मूर्ति और उसके आसपास बने रीति-रिवाज लोगों को इतना एकजुट और समर्पित कर सकते हैं। उनके मन में भय था कि कहीं यह भक्ति अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का रूप न ले ले।
इसी बेचैनी के चलते, तत्कालीन ब्रिटिश अधिकारियों ने मंदिर की जासूसी कराने का फैसला किया। उनका मकसद मंदिर के रहस्यों, अनुष्ठानों और भक्तों की गतिविधियों को समझना था। इसी मिशन पर कई अधिकारियों को लगाया गया, जिनमें से एक थे लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग।
लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग की गुप्त डायरी के चौंकाने वाले खुलासे
लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग एक ऐसे अधिकारी थे, जिन्होंने जगन्नाथ मंदिर की गहनता से पड़ताल की। उन्होंने अपनी हर खोज, हर अवलोकन को अपनी डायरी में दर्ज किया। वे मंदिर के भीतर होने वाले हर छोटे-बड़े अनुष्ठान, भक्तों की भीड़ और मंदिर प्रबंधन के तरीकों पर बारीकी से नज़र रख रहे थे। उनकी डायरी में जगन्नाथ पुरी के अद्भुत रथ यात्रा, महाप्रसाद और भक्तों की असीम आस्था का विस्तृत वर्णन मिलता है।
जैसे-जैसे स्टर्लिंग मंदिर के करीब आते गए, उन्होंने कुछ ऐसा महसूस किया जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल था। स्टर्लिंग ने अपनी डायरी में खुलासा किया कि मंदिर की शक्ति उसके स्वर्ण भंडार या सैन्य बल में नहीं थी, बल्कि यह भक्तों की अगाध श्रद्धा और भगवान जगन्नाथ के प्रति उनके अटूट विश्वास में निहित थी। उन्होंने लिखा कि कैसे भगवान के नाम से ही लोग अपनी सारी चिंताएं छोड़कर उनके चरणों में समर्पित हो जाते थे। यह शक्ति अंग्रेजों के लिए बिल्कुल नई और अभूतपूर्व थी।
पागल हो गए अंग्रेज अधिकारी
स्टर्लिंग ने अपनी डायरी में इस बात का भी जिक्र किया कि किस तरह मंदिर के भीतर मौजूद एक अदृश्य शक्ति उन्हें और उनके साथी अधिकारियों को विचलित कर रही थी। अंग्रेज जानना चाहते थे कि ब्रह्म पदार्थ क्या है, जो भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर माना जाता है, कुछ लोगों की मान्यताओं ये उनका धड़कता हुआ दिल है। कुछ इसे अंतरिक्ष से आया अवशेष मानते हैं। कुछ लोग रहस्य से दूसरों ने फुसफुसाते हुए इसके बारे में बताते हैं कि मूर्ति के अंदर रहने वाला ब्रह्म पदार्थ जीवित पदार्थ की ही तरह धड़कता है। इस जासूसी आपरेशन के दौरान एक अधिकारी को तेज बुखार हो गया। दूसरा पागल हो गया। वो चिल्लाने लगा कि भगवान की आंखें अंधेरे में भी उसे देख रही हैं।
स्टर्लिंग ने देखा कि कुछ ब्रिटिश अधिकारी, जिन्होंने पहले इस मंदिर और इसकी आस्था का उपहास किया था, वे धीरे-धीरे इसके प्रभाव में आने लगे थे। कुछ तो मानसिक रूप से अस्थिर भी हो गए थे, जैसा कि स्टर्लिंग ने अपनी डायरी में 'पागल हो गए अधिकारी' शब्दों से इंगित किया। हालत ये हो गई कि अंग्रेज सैनिक और अफसर गर्भगृह में जाने से कतराने लगे। एक अधिकारी ने उन्हें “जीवित भगवान” कहना शुरू कर दिया।
लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग की डायरी का रहस्यमय गायब होना
इस पूरे घटनाक्रम का सबसे रहस्यमय पहलू यह है कि लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग की गुप्त डायरी गायब हो गई। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अंग्रेजों ने इस डायरी को इसलिए गायब कर दिया होगा ताकि मंदिर की आध्यात्मिक शक्ति का रहस्य बाहर न आए और उनके साम्राज्यवादी मंसूबों पर आंच न आए। यह डायरी शायद ब्रिटिश शासन के लिए एक चेतावनी थी कि भारत की आत्मा उसके धर्म और संस्कृति में बसती है, जिसे बलपूर्वक नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
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