जगन्नाथ यात्रा के बाद रथ का क्या होता है, क्या आपको मिल सकते हैं रथ के पवित्र हिस्से
, गुरुवार, 19 जून 2025 (17:31 IST)
jagannath rath yatra 2025: हर साल, ओडिशा के पुरी में होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) लाखों भक्तों को अपनी ओर खींचती है। यह एक ऐसा भव्य आयोजन है जिसे देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब यात्रा समाप्त हो जाती है, तो इन विशालकाय रथों का क्या होता है? उनकी लकड़ियां कहां जाती हैं? आइए, इस अनोखी और पवित्र प्रक्रिया को विस्तार से समझते हैं।
रथ के हिस्सों की नीलामी
दरअसल, जैसे ही जगन्नाथ यात्रा (Jagannath Yatra) सफलतापूर्वक संपन्न होती है, इन रथों के हिस्सों को सावधानीपूर्वक अलग कर दिया जाता है। ये रथ केवल लकड़ी के ढांचे नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति का प्रतीक होते हैं, और इसलिए इनके साथ किया जाने वाला हर कार्य अत्यंत पवित्रता के साथ किया जाता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रथ के एक बड़े हिस्से की नीलामी (Auction) की जाती है। यह उन भक्तों के लिए एक अद्भुत अवसर होता है जो भगवान के रथ के एक टुकड़े को अपने घर ले जाना चाहते हैं। श्री जगन्नाथ वेबसाइट (Shree Jagannatha Website) पर इन हिस्सों का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है। इनमें से रथ का पहिया (Rath ka Pahia) सबसे कीमती हिस्सा होता है, जिसकी शुरुआती कीमत ₹50,000 बताई जाती है। कल्पना कीजिए, भगवान के रथ का एक पहिया अपने घर में रखना कितनी बड़ी बात होगी!
रथ के इन पवित्र हिस्सों को खरीदने के लिए भक्तों को पहले आवेदन करना होता है। मंदिर की ओर से यह सुनिश्चित किया जाता है कि इन हिस्सों का इस्तेमाल गलत तरीके से न हो। मंदिर की अधिसूचना (Notification) के अनुसार, खरीदार के ऊपर पहियों और बाकी हिस्सों को संभालकर रखने की जिम्मेदारी होती है। यह केवल एक खरीद-बिक्री नहीं, बल्कि एक पवित्र धरोहर को आगे बढ़ाने का कार्य है।
मंदिर की रसोई में रथ की लकड़ी का उपयोग
नीलामी के अलावा, रथ की बची हुई लकड़ी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपयोग होता है। इस लकड़ी को सीधे मंदिर की रसोई (Mandir ki Rasoi) में भेज दिया जाता है। यहां, यह पवित्र लकड़ी देवताओं के लिए महाप्रसाद (Mahaprasad) पकाने के लिए ईंधन (Fuel) के तौर पर इस्तेमाल की जाती है। यह एक अद्भुत चक्र है – जिस लकड़ी से भगवान का रथ बनता है, उसी से उनके भोग का प्रसाद तैयार होता है।
पुरी की रसोई के चमत्कार
जिस रसोई में यह प्रसाद बनता है, वह अपने आप में एक चमत्कार है। पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी सामुदायिक रसोईघरों में से एक है। भगवान के भोग के लिए यहां रोजाना 56 तरह के भोग (56 Bhog) तैयार किए जाते हैं। कहते हैं यहां एक के उपर के 7 बर्तनों पर प्रसाद पकने के लिए रखा जाता है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि सबसे ऊपर रखा बर्तन सबसे पहले पकता है। ये सारा प्रसाद आज भी मिट्टी के बर्तनों (Mitti ke Bartan) में तैयार होता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
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