बृहस्पति पर बरस रहे हैं हीरे...!

Webdunia
बुधवार, 16 अक्टूबर 2013 (13:04 IST)
वॉशिंगटन। आसमान से चमकते-दमकते और झिलमिलाते हीरों की बारिश की बात भले ही कल्पना लगे लेकिन वैज्ञानिकों ने नए शोध में बताया कि शनि और बृहस्पति ग्रहों से टनों हीरों की बरसात हो रही है।
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी और विस्कोंसिन मेडिसिन विश्वविद्यालय के डॉ. केविन ब्रेंस ने गैस के इन विशालकाय ग्रहों के वातावरण के नए आंकड़ों का विश्लषेण करके बताया कि इन ग्रहों पर झिलमिलाते क्रिस्टल के रूप में बहुतायत मात्रा में कार्बन मौजूद है।

ब्रेंस ने कोलोराडो के डेनेवर में कैलिफोर्निया स्पेशियलिटी इंजीनियरिंग की मोना देलिस्तकी के साथ डिवीजन फॉर प्लैनेटरी साइंसेज की वार्षिक बैठक में अपने अप्रकाशित शोध के निष्कर्षों में बताया कि इन ग्रहों पर गरज-चमक के साथ तूफान के साथ ओलावृष्टि मीथेन को कार्बन में बदल देते हैं, जो गिरने पर ठोस होकर ग्रेफाइट का रूप ले लेते हैं और फिर हीरे में तब्दील हो जाते हैं।

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बाद में हीरे के ये टुकडे इन ग्रहों के दहकते केंद्र में पिघल जाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि शनि पर हर वर्ष 1 हजार टन से भी ज्यादा हीरावृष्टि हो रही है। सबसे बड़े हीरे का आकार करीब 1 सेंटीमीटर तक का है।

शनि पर आने वाले प्रलयंकारी तूफान कार्बन के काले बादल बना देते हैं, जो गिरने पर ठोस होकर हीरा बन जाते हैं। अरुण-वरुण ग्रहों में तो बेशकीमती रत्नों का भंडार होने की बात पता थी लेकिन शनि और बृहस्पति का वातावरण इसके लिए उपयुक्त नहीं माना जाता था।

कैसा है इन ग्रहों का तापमान... अगले पन्ने पर..


दोनों वैज्ञानिकों ने इन ग्रहों के आंतरिक तापमान और दबाव के ताजा आंकड़ों का विश्लेषण किया। साथ ही विभिन्न स्थितियों में कार्बन कैसे काम करता है इसका भी पता लगाया। दोनों वैज्ञानिकों के इस शोध की अभी समीक्षा होनी बाकी है लेकिन ग्रह संबंधी विज्ञान से जुड़े कई वैज्ञानिकों का मानना है कि हीरावृष्टि के सिद्धांत को खारिज नहीं किया जा सकता है।

अरुण और वरुण पर रत्न होने का सिद्धांत प्रतिपादित करने वाले प्रोफेसर रेमंड जीनलोज का कहना है कि शनि और बृहस्पति के विशाल आकार को देखते हुए कार्बन की यह मात्रा बहुत की मामूली है।

सांताक्रूज के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की डॉ. नादिने नेट्टमैन ने कहा कि इसकी पुष्टि के लिए और शोध की जरूरत है। (वार्ता)

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