'मिडनाइट चिल्ड्रन' ने पीढ़ियों की सीमा लाँघी

बेस्ट ऑफ बुकर पुरस्कार प्राप्त सलमान रश्दी ने कहा

Webdunia
शुक्रवार, 11 जुलाई 2008 (21:17 IST)
भारतीय मूल के विवादास्पद लेखक सलमान रश्दी ने बुकर पुरस्कारों की हैट्रिक बनाने वाले अपने उपन्यास 'मिडनाइट चिल्ड्र न' के बारे में कहा कि इसका प्रकाशन 27 वर्ष पहले हुआ था और इसने भारत की स्वतंत्रता के प्रसंग मात्र से जुड़ी पुस्तक होने से पीढ़ियों की सीमा पार की है।

रश्दी ने कहा इस किताब ने पीढ़ियों को पार किया है, जो मेरे लिए अचरज की बात है। मुझे ऐसा नहीं लगा था कि भारत के इतिहास से जुड़ी यह पुस्तक इतनी लोकप्रिय होगी।

रश्दी ने 'दि गार्जियन' को दिए साक्षात्कार में कहा समकालीन इतिहास के साथ समस्या यह है कि आपका संदेश पुराना हो जाता है। वर्ष 1981 में बुकर पुरस्कार जीतने वाली 'मिडनाइट चिल्ड्र न' ने रश्दी को प्रसिद्धि दिलाई और वह एक विज्ञापन एजेंसी की नौकरी छोड़ सके।

वर्ष 1993 में बुकर पुरस्कारों की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के मौके पर भी 'मिडनाइट चिल्ड्र न' को बुकर ऑफ दि बुकर के लिए चुना गया।

इस किताब ने गुरुवार को बेस्ट ऑफ दि बुकर खिताब जीतकर बुकर पुरस्कारों की अपनी हैट्रिक पूरी कर ली। नील मुखर्जी सहित कुछ आलोचकों ने गार्जियन के ब्लॉग में इस किताब को बेकार बताकर हाल ही में इस मिले पुरस्कार की निंदा की थी, लेकिन 61 वर्षीय रश्दी पुरस्कार पाकर खुश हैं।

रश्दी अपने नए उपन्यास दि एनचांट्रेस ऑफ फ्लोरेंस के प्रचार के लिए मियामी में हैं, इसलिए वे पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं हो सके।

उन्होंने कहा खुश करने वाली खास बात यह है कि 'मिडनाइट चिल्ड्र न' के पक्ष में मत करने वाले 50 फीसदी से भी ज्यादा लोग 35 वर्ष से कम उम्र के है।

बच्चों के लिए लिखेंगे पुस्त क : रश्दी बच्चों के लिए एक पुस्तक लिखने की सोच रहे हैं और वे इस महीने के अंत तक अपने नए उपन्यास पर काम शुरू कर सकते हैं।

सलामान ने कहा मेरा छोटा बेटा 11 साल का है। मेरा बड़ा बेटा जफर जब इतनी उम्र का था, तब मैंने उसके लिए एक किताब लिखी। अब मिलन पूछता है मेरी किताब कहाँ हैं । रश्दी ने कहा कि वह इस महीने के अंत तक नया उपन्यास लिखना शुरू कर देंगे।

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