9900 किमी की दूरी सिर्फ 100 मिनट में!

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चीनी वैज्ञानिकों का दावा है कि वे एक सुपरसोनिक सबमरीन प्रोजेक्ट के एक पायदान और करीब पहुंच गए हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये सबमरीन शंघाई से सान फ्रांसिस्को के बीच लगभग 9900 किमी की दूरी सौ मिनट में दो घंटे से भी कम समय में तय कर लेगी।

चीनी वैज्ञानिकों का दावा है कि वे पानी के अंदर एक बुलबुले (अंडरवाटर बबल) की मदद से सबमरीन को चलाने की कोशिश करेंगे जिससे पानी में ड्रैग (पीछे की ओर धकेलने वाला बल) बहुत कम हो जाएगा। इतना ही नहीं, उनका कहना है कि इस नई तकनीक की मदद से लोग बहुत तेज गति से तैर भी सकेंगे।

हर्बिन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में वैज्ञानिकों का एक दल इस नई तकनीक पर काम कर रहा है। हांगकांग आधारित एक न्यूजपेपर की रिपोर्ट के मुताबिक कॉम्प्लेक्स फ्लो और हीट ट्रांसफर लैब की मदद से सबमरीन पानी के भीतर तेज गति में यात्रा कर सकेगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि सबमरीन (पनडुब्बी) ड्रैग को कम करने के लिए एक अंडरवाटर बबल के भीतर यात्रा करेगी और इस तरह से यह सुपरसोनिक गति से भी यात्रा कर सकेगी। उनका यह भी कहना है कि इस तकनीक के जरिए सुपरफास्ट स्विमसूट्‍स भी विकसित किए जा सकेंगे।

डेली मेल ऑनलाइन में मार्क प्रिग लिखते हैं कि बबल बनाने की अत्याधुनिक नई तकनीक से पनडुब्बी एक बुलबुले (बबल) के अंदर रहेगी और सैद्धांतिक शोधकर्ताओं का कहना है कि एक सुपर कैविटेटिंग पनडुब्बी पानी के अंदर ध्वनि की गति यानी करीब 5800 किमी प्रतिघंटे की गति से चल सकती है।

किस तकनीक पर आधारित होगी यह पनडुब्बी... पढ़ें अगले पेज पर....


यह नई पनडुब्बी एक सोवियत तकनीक पर आधारित होगी जिसे सुपरकैविटेशन कहा जाता है। सुपरकैविटेशन के जरिए पानी में डूबी पनडुब्बी को एक पानी के बुलबुले के अंदर रखा जाएगा जो कि पानी द्वारा तेजी से पीछे की ओर धकेले जाने की समस्याओं को समाप्त कर देगा।

गौरतलब है कि पूर्वी चीन में शंघाई और दक्षिणी अमेरिका के सान फ्रांसिस्को के बीच की दूरी लगभग 9873 किमी है। फ्लूड मशीनरी और इंजीनियरिंग के प्रोफेसर ली फेंगशेन का कहना है कि उनकी टीम का इनोवेटिव अप्रोच ये दर्शाता है कि अब वे पानी के अंदर सबमरीन को तेज गति देने के लिए कॉम्प्लिकेटिड 'एयर बबल' तैयार कर सकते हैं।

शीतयुद्ध के दौरान सोवियत सेना ने 'सुपरकैविटेशन' नाम की तकनीक का ईजाद किया था, जिसमें वाटर ड्रैग यानी पानी के भीतर होने वाली समस्या से बचने के लिए 'एयर बबल' वेसल शामिल था। 'शकवाल' नाम की सुपरकैविटेशन सबमरीन पानी के अंदर 370 किमी से भी ज्यादा की गति पकड़ने में सक्षम थी। तब ये किसी भी पारंपरिक सबमरीन से कहीं ज्यादा तेज थी। सिद्धांत रूप में एक सुपर कैविटेटिंग पनडुब्बी या जहाज ध्वनि की गति तक तेज हो सकती है। इस आशय की एक रिपोर्ट 2001 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्‍यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने भी दी थी।

जो परम्परागत पनडुब्बियां होती हैं वे ड्रैग अंडरवाटर का शिकार होती हैं यानी पानी इन्हें पीछे की ओर धकेलता है और इनकी गति धीमी होती है, लेकिन इस नई तकनीक से इस बाधा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा। चीनियों ने अपने देश में एक ऐसी व्यवस्‍था पैदा कर रखी है जिसके चलते वे धरातलों को एक विशेष द्रव मेंम्ब्रेन (झिल्ली) से ढंक देते हैं। हालांकि एक समय पर पानी इस झिल्ली को समाप्त कर देगा लेकिन इस बीच लोअर स्पीड पर ही पनडुब्बी पर पानी का ड्रैग बहुत कम हो जाएगा।

इसके बाद यह गति 75 किमी प्रति घंटा या इससे अधिक तक पहुंच जाएगी पर इसके बाद पनडुब्बी सुपरकैविटेशन स्थिति में आ जाएगी, लेकिन विदित हो कि यह एक सैद्धांतिक स्थिति है और इसे प्रायोगिक बनने में बहुत सारी समस्याएं आएंगी। और सबसे पहले तो इसके लिए एक बहुत शक्तिशाली अंडरवाटर रॉकेट इंजन बनाना होगा और तभी अन्य बातों पर विचार करना उचित होगा।
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