अमेरिका की 'मजबूरी' है पाकिस्तान

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हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस में दो सांसदों ने पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने से संबंधित एक बिल पेश किया था। सवाल भी उठा था कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने के लिए विवश होंगे? अमेरिका के इस रुख से न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के आतंकवाद पीड़ित अन्य देशों को भी उम्मीद बढ़ी थी कि दुनिया का चौधरी अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवादी देश जरूर घोषित करेगा, लेकिन यह उम्मीदें जल्द ही धराशायी हो गईं।
 
ताजा मामले में अमेरिकी संसद की प्रति‍निधि सभा में एक ऐसा सैन्य विधेयक पास कर दिया है जिसमें पाकिस्तान को 90 करोड़ डॉलर की आर्थिक व अन्य मदद का वायदा किया गया है। इससे पहले पेंटागन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान खतरनाक हक्कानी गुट के खिलाफ वांछित कदम उठा रहा है। वर्ष 2017 के लिए यूएस नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन कानून को शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा में पास कर दिया है। 
 
दरअसल, अमेरिका में चाहे ओबामा राष्ट्रपति हों या फिर नवनिर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप, उसकी पाकिस्तान नीति में शायद ही कभी बदलाव होगा। ट्रंप ने तो चुनाव से पहले जिस तरह के बयान दिए थे उससे लगा था कि वे पाकिस्तान पर जरूर नकेल कसेंगे, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं देता। पाकिस्तान को लगातार अमेरिका से मदद मिल रही है। 
 
पिछले 15 अगस्त पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बलूचिस्तान पर बयान दिया था और कहा था कि वहां की स्वतंत्रता की लड़ाई में भारत बलूचियों का सहयोग करेगा। दूसरे दिन ही अमेरिका हवाले से खबर आ गई थी कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का आंतरिक मामला है और हम उसमें किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। आज भी अमेरिका के लिए पाकिस्तान उतना ही अहम है जितना पहले था। आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में अमेरिका की बड़ी भूमिका है।
 
आखिर क्या मजबूरी है अमेरिका की, जो आतंकवाद को खुला समर्थन देने वाले पाकिस्तान का साथ नहीं छोड़ना चाहता? दरअसल, अमेरिका को अफगानिस्तान में अपना मिशन पूरा करने के लिए पाकिस्तान के सहयोग की जरूरत है। अफगानिस्तान की सीमा समुद्र से नहीं लगती, ऐसे में पाकिस्तान के बंदरगाहों से अमेरिका ज्यादा से ज्यादा सामग्री अफगानिस्तान में मौजूद अपनी सेना तक पहुंचा सकता है। अफगानिस्तान में उसके आर्मी बेस इरान और चीन पर दबाव बनाने में मदद करते हैं। इसके अलावा पाकिस्तान भी अमेरिका के लिए सैन्य अड्‍डे उपलब्ध करवाता है साथ खुफिया जानकारी भी अमेरिका को उससे मिलती हैं। इसके साथ अमेरिका यह भी नहीं चाहता कि पाकिस्तान पूरी तरह से चीन के खेमे में चला जाए, यदि ऐसा हुआ तो अमेरिका के लिए अफगानिस्तान में टिके रहना लगभग नामुमकिन हो जाएगा। 
 
ये ऐसे कारण भी हैं जिनके चलते भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी जंग को अंजाम तक नहीं पहुंचा पा रहा है क्योंकि पाकिस्तान भारत विरोधी आतंकवादियों को समर्थन और शरण उपलब्ध करवाता है तो वहीं अमेरिका और चीन उसको समर्थन देते हैं। चीन तो संयुक्त राष्ट्र में भी हाफिज मोहम्मद सईद का बचाव कर चुका है। ऐसे में जरूरी है कि भारत को अपनी लड़ाई खुद के बूते ही लड़नी होगी क्योंकि पाकिस्तान अमेरिका के लिए मजबूरी हो सकता है, भारत के लिए नहीं। 
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