जेटली के बयान पर चीन ने दिया यह जवाब

Webdunia
सोमवार, 3 जुलाई 2017 (21:44 IST)
बीजिंग। चीन ने आज रक्षा मंत्री अरुण जेटली की उन टिप्पणियों को खारिज किया, जिनमें उन्होंने कहा था कि 2017 का भारत 1962 के भारत से अलग है। चीन ने कहा कि आज का चीन भी 1962 के चीन से अलग है तथा देश अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
 
जेटली ने चीन को तब जवाब दिया था, जब चीन ने दोनों देशों के बीच 55 साल पहले हुए युद्ध का संदर्भ देते हुए भारत से ऐतिहासिक सबक से सीखने को कहा था। रक्षा मंत्री ने एक प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, यदि वे हमें याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं तो 1962 की स्थिति अलग थी और 2017 का भारत अलग है। उन्होंने यह भी कहा था कि सिक्किम सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच वर्तमान गतिरोध की स्थिति चीन द्वारा खड़ी की गई है।
 
जेटली की टिप्पणियों के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने कहा, वे ठीक कह रहे हैं कि 2017 का भारत 1962 के भारत से अलग है, ठीक उसी तरह जैसे चीन भी अलग है। उन्होंने कहा कि सिक्किम सेक्टर में दोनों देशों के बीच की सीमा 1890 की चीन-ब्रिटिश संधि के तहत भलीभांति निर्धारित है।
 
शुआंग ने कहा, मैं चाहूंगा कि भारतीय पक्ष 1890 की संधि का तत्काल पालन करे और सैनिकों को वापस बुलाए जो चीनी क्षेत्र में घुस आए हैं। उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में कहा, चीन अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा। चीन और भारत के बीच भूटान ट्राईजंक्शन के पास डोका ला इलाके में करीब एक महीने से गतिरोध बना हुआ है।
 
सिक्किम एकमात्र राज्य है जिसकी चीन के साथ निर्धारित सीमा है। यह राज्य मई 1976 में भारत का हिस्सा बन गया था। सीमारेखा 1898 में चीन के साथ हुई एक संधि पर आधारित हैं। डोका ला उस क्षेत्र का भारतीय नाम है जिसे भूटान डोकलाम कहता है और चीन इसे अपने डोंगलांग क्षेत्र का हिस्सा होने का दावा करता है।
 
शुआंग ने यह भी आरोप लगाया कि डोकलाम क्षेत्र में भारत अपने अवैध प्रवेश को छिपाने के लिए भूटान का इस्तेमाल कर रहा है जिस पर भूटान ने मामले में चीन सरकार के समक्ष विरोध दर्ज कराया है। उन्होंने कहा, भारतीय सैनिकों के अवैध प्रवेश को छिपाने, तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने के क्रम में और यहां तक कि भूटान की स्वतंत्रता और संप्रभुता की कीमत पर वे सही और गलत के बीच घालमेल कर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, जो व्यर्थ है।  
 
उन्होंने कहा कि चीन को भारत और भूटान के बीच सामान्य द्विपक्षीय संबंधों पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह भूटान के बहाने भारतीय पक्ष के चीनी क्षेत्र में घुसपैठ करने के पूरी तरह खिलाफ है। शुआंग ने कहा कि भूटानी पक्ष पहले यह नहीं जानता था कि भारतीय सैनिक डोकलाम क्षेत्र में घुस गए हैं, जो भारतीय पक्ष द्वारा किए जा रहे दावे के अनुरूप नहीं है।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या सिक्किम गतिरोध के समाधान के लिए भारत और चीन के बीच कोई वार्ता हो रही है, शुआंग ने कहा, सीमा पर अवैध प्रवेश होने के बाद, चीन ने दिल्ली और बीजिंग में कई स्तरों पर भारत के समक्ष गंभीरता के साथ विरोध दर्ज कराया है।  
 
उन्होंने कहा, दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संवाद खुला और सहज है। विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग से पहले सरकारी ग्लोबल टाइम्स ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा था कि भारत के साथ अपने सीमा संबंधी टकरावों में चीन अपनी संप्रभुता की दृढ़ता से सुरक्षा करेगा, जो युद्ध की कीमत पर भी हो सकता है। दोनों पक्षों के बीच डोकलाम में बना गतिरोध तीसरे सप्ताह भी जारी है और अब तक का सबसे लंबा गतिरोध है, ऐसे में यहां सरकारी मीडिया और थिंक-टैंकों ने कहा कि अगर भारत और चीन के बीच टकराव की स्थिति को सही तरीके से नहीं संभाला जाता तो युद्ध की आशंका है। जम्मू कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक की 3488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा का 220 किलोमीटर हिस्सा सिक्किम में पड़ता है। (भाषा)
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