ताकत से रक्षा, चीन और बढ़ाएगा अपना रक्षा बजट, भारत से 3 गुना ज्यादा

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
मंगलवार, 4 मार्च 2025 (18:21 IST)
China vs India defense budget: चीन ने मंगलवार को अपने रक्षा बजट को बढ़ाने का संकेत दिया और कहा कि शांति और संप्रभुता की रक्षा केवल ‘ताकत’ से की जा सकती है। चीन बुधवार को अपने रक्षा व्यय का ब्योरा प्रस्तुत करेगा, जो संसद (नेशनल पीपुल्स कांग्रेस) में प्रधानमंत्री ली कियांग द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले मुख्य बजट का हिस्सा होगा। दूसरी ओर, भारत का रक्षा बजट चीन के मुकाबले लगभग तीन गुना कम है। 
 
पिछले साल चीन ने अपने रक्षा बजट को 7.2 प्रतिशत बढ़ाकर लगभग 232 अरब अमेरिकी डॉलर (1.67 ट्रिलियन युआन) कर दिया था, जो भारत के बजट से तीन गुना से अधिक है। चीन अपने सभी सशस्त्र बलों का बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण करने का काम जारी रखे हुए है। ALSO READ: बस 1 साल का इंतजार, अमेरिका, चीन, जर्मनी को इस सेक्टर में पीछे छोड़ देगा भारत
 
ताकत से शांति की रक्षा : चीन के रक्षा बजट के आंकड़ों को उसके द्वारा विमानवाहक पोतों के निर्माण, उन्नत नौसैनिक जहाजों और आधुनिक स्टील्थ विमानों के तेजी से निर्माण सहित बड़े पैमाने पर सैन्य आधुनिकीकरण के मद्देनजर संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। खर्च का बचाव करते हुए नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के प्रवक्ता लू किनजियान ने यहां मीडिया से कहा कि ‘शांति की रक्षा के लिए ताकत जरूरी है।’ ALSO READ: चीन ने दिखाए तेवर, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच तस्मान सागर में किया लाइव फायर अभ्यास
 
उन्होंने कहा कि मजबूत राष्ट्रीय रक्षा क्षमताओं के साथ, चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास से जुड़े हितों की बेहतर ढंग से रक्षा कर सकता है, एक प्रमुख देश के रूप में अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभा सकता है और विश्व शांति और स्थिरता की रक्षा कर सकता है।
 
उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में चीन का रक्षा व्यय वैश्विक औसत से कम है। वर्ष 2016 से चीन के वार्षिक रक्षा खर्च में लगातार 9 वर्षों से एकल अंक में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि चीन का रक्षा खर्च जीडीपी के हिस्से के रूप में पिछले कई सालों से डेढ़ फीसदी से कम रहा है।
 
कितना है भारत का रक्षा बजट : उल्लेखनीय है कि भारत का रक्षा बजट 2025-26 के लिए 6 लाख 21 हजार करोड़ रुए (71.42 अरब डॉलर) से बढ़कर 6 लाख 81 हजार करोड़ रुपए (78.32 अरब डॉलर) हो जाएगा, जो 9.5% बढ़ेगा। यह वृद्धि एक बड़े आधुनिकीकरण प्रयास का हिस्सा है, जो अगले दशक में सालाना 2,60,850 करोड़ रुपये (30 अरब डॉलर) खर्च करने पर केंद्रित है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
 

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