दक्षिण चीन सागर विवाद पर अमेरिका से क्या बोला चीन...

Webdunia
बुधवार, 8 फ़रवरी 2017 (10:49 IST)
बीजिंग। चीन ने अमेरिका को चेतावनीभरे लहजे में कहा है कि उसे दक्षिण चीन समुद्र के विवादित द्वीपों के बारे में इतिहास की अपनी जानकारी को दोहरा लेना चाहिए, क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हुए समझौतों में चीन को यह अधिकार दिया गया था कि जापान ने जिन क्षेत्रों पर कब्जा किया था उन पर चीन का आधिपत्य होगा। गौरतलब है कि इन विवादित द्वीपों पर नए अमेरिकी प्रशासन की टिप्पणियों से चीन बहुत ही आहत है।
 
अमेरिका के विदेश मंत्री रैक्स टिलरसन ने संसद में हाल ही में कहा था कि चीन का उन द्वीपों पर कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। इसके अलावा व्हाइट हाउस ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जलीय क्षेत्र में 'अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों' की रक्षा करने का संकल्प भी व्यक्त किया है। पिछले हफ्ते अमेरिकी रक्षामंत्री जिम मैटिस ने सुझाव दिया था कि दक्षिण चीन समुद्र के मामले में कूटनीतिक विषयों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
 
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग ई ने ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में मंगलवार को कहा कि मेरी अमेरिकी दोस्तों को सलाह है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के इतिहास के बारे में अपनी जानकारी को दोहरा लें। उन्होंने कहा कि 1943 के काहिरा घोषणा पत्र और 1945 पोर्ट्सडेम समझौते में साफ कहा गया है कि जापान ने जिन चीनी क्षेत्रों पर कब्जा किया था, वे उसे चीन को लौटाने होंगे। इसमें नांनसा द्वीप भी शमिल हैं।
 
वांग ने कहा कि 1946 में तत्कालीन चीनी सरकार ने अमेरिका की मदद से कानूनी प्रावधानों के मुताबिक नानसा द्वीपों को जापान से वापस लिया था तथा वे चीन के संप्रभु क्षेत्र थे। इसके कुछ समय बाद चीन के कुछ पड़ोसी देशों ने नानसा द्वीपों और रीफ क्षेत्रों पर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया और इसी की वजह से यह तथाकथित दक्षिणी चीन समुद्र विवाद पैदा हुआ है। 
 
उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप चीन संबद्ध पक्षों के साथ सीधे तौर पर बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है ताकि इस विषय का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकाला जा सके और चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं होगा।
 
गौरतलब है कि दक्षिण चीन समुद्र के अधिकतर हिस्सों पर चीन अपना दावा करता है जबकि पड़ोसी देश ताईवान, मलेशिया, वियतनाम, फिलीपींस और ब्रुनई इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर अपना दावा कर रहे हैं, जो न केवल सामरिक दृष्टि बल्कि प्रचुर मत्स्य संपदा, तेल एवं गैस भंडारों के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। (वार्ता)
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