माल्टीज पत्रकार दाफ्ने कारूआना गैलिजिया जहां अपने दुश्मनों के लिए किसी आतंकवादी से कम नहीं थीं वहीं वे दुनिया भर के रिपोटर्स के लिए एक ऐसी रिपोर्टर थीं जोकि किसी भी खतरे को अपने काम से बड़ा नहीं समझती थीं। यही कारण है कि दाफ्ने को उनका काम करने से रोकने के लिए मार डाला गया। हालांकि उनके दुश्मनों की संख्या बहुत थी लेकिन मौत से पहले और इसके बाद उनके प्रशंसकों की संख्या सारी दुनिया में कम नहीं थी और अब तो और भी बढ़ गई होगी।
वे द संडे टाइम्स ऑफ माल्टा की जनमत लेखिका थीं और इसमें लिखा भी करती थीं। बाद में, वे द माल्टा इंडिपेंडेंट की सहायक सम्पादक बन गईं और इसके बाद उन्होंने उंचे स्तर की गुणवत्ता वाली पत्रिकाओं पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। वे जहां द माल्टा इंडिपेंडेंट में नियमित स्तम्भ लिखती थीं तो साथ ही वे अपनी कठोर लेखन शैली के लिए जानी जाती थीं।
कुछेक वर्ष पहले उन्होंने 'रनिंग कमेंट्री' नाम से एक निजी ब्लॉग शुरू किया था। रनिंग कमेंट्री के लिए जहां उन्हें निर्भीक लेखन के लिए प्रशंसा मिली वहीं वे आलोचना में डूबी अपनी कलम से कुछ ऐसा लिखती थीं कि उनके विरोधी तिलमिलाकर रह जाते थे।
हालांकि यह उनका ब्लॉग था लेकिन पिछले वर्ष ही उन्होंने इसमें पनामा की दो कंपनियों की मौजूदगी का खुलासा किया था। इनमें से एक कंपनी, मंत्री कोनराड मिज्जी और प्रधानमंत्री के चीफ ऑफ स्टाफ, कीथ कीमब्री की थी। वर्ष 2016 में पॉलिटिको ने '28 ऐसे लोगों में शामिल किया था जोकि यूरोप को नया आकार दे रहे हैं और इसे आंदोलित कर रहे हैं।'
इस वर्ष अप्रैल में उन्होंने एक ऐसी स्टोरी लिखी थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रधानमंत्री की पत्नी मिशेल, पनामा की एक तीसरी कंपनी इग्रेंट की मालिक हैं। इस कंपनी का जिक्र उन्होंने अपने पनामा पेपर्स में भी किया था।
चुनाव के बाद कारूआना गैलीजिया ने अपनी निगाहें नेशनलिस्ट पार्टी के नेतृत्व के दावेदार एड्रियन डेलिया पर लगी थीं। उन्होंने इस बात का भी पता लगा लिया है कि डेलिया ने लंदन में माल्टा की एक कंपनी के बतौर वकील काम किया था। यह माल्टीज कंपनी वेश्यावृत्ति के काम में एक दशक से भी अधिक समय तक जुड़ी थी।
वे डेलिया की कटुतम आलोचक बनी रहीं भले ही इससे पहले वे पीएन पार्टी का नेतृत्व जीतने में सफल हो गए थे। कारूआना गैजीलिया को उनकी विवादास्पद कमेंट्री के लिए जाना जाता था और इसका परिणाम यह था कि उनके खिलाफ बहुत से मान हानि के मुकदमे लगे थे। वे स्लीएमा में पैदा हुई थीं और उन्होंने एक वकील पीटर कारूना गैलीजिया से विवाह किया था। उनके तीन बेटे हैं। दाफ्ने अपने दुश्मनों के लिए किसी आतंकवादी से कम नहीं थीं।
उनकी निर्भीकता का यह आलम था कि जिस जानकारी को पत्रकार बहुत संभालकर गुप्त रखते थे, उसे वे अपने साथियों के साथ साझा कर देती थीं
वे अपने साथियों या सहयोगियों से ऐसे स्थान पर मिल जाती थीं जहां पर उनके मिलने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। लीबिया के समुद्र तट पर प्रवासियों को राहत देने की बात हो, या लाम्पेडूसा में प्रवासियों के अंतिम संस्कार का मामला हो या फिर नेपल्स में माफिया अपराधियों के खिलाफ मुकदमा हो। वे हमेशा जानकार लोगों से एक कदम आगे ही रहती थीं और वे ऐसे मामलों का पीछा करते भी नजर आती थीं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनकी पत्रकारीय कुशाग्रता ही उनकी मौत का कारण बनी और उनकी मौत तब हुई जब किसी ने माल्टा आइलैंड के बिदनिजा स्थित घर के बाहर उनकी प्यूजो 108 में बम लगा दिया और इसी विस्फोट में 53 वर्षीय दाफ्ने की मौत हो गई। माल्टा में भ्रष्टाचार से जुड़े पनामा पेपर्स के लिए विकीलीक्स ने उन्हें 'अकेली महिला विकीलीक्स' करार दिया था। उनकी रिपोर्टों में माल्टा के अधिकारियों में बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया था।
माल्टा के एक सांसद ने पॉलिटिको से कहा था कि ' उसने अकेले ही सरकार को गिराने की कगार पर ला दिया था। वह अकेली मर्दाना औरत थी।' दाफ्ने को खुद इस बात का अहसास था कि उनकी रिपोर्टिंग के कारण उनकी जान जा सकती है। जलती कार से अपनी मां को निकालने वाले मैथ्यू कारूआना गैलीजिया का भी यही मानना है। उनका कहना है कि 'मेरी मां इसलिए मारी गई क्योंकि वह कानून के शासन और इसे तोड़ने वालों के बीच आ गई थी।'
उन्हें इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि मात्र वही एक व्यक्ति थीं जोकि जोखिम भरा काम करती थीं। कई बार जब उन्हें लगातार मौत की धमकी दी गई थी तो उन्होंने पुलिस सुरक्षा भी छोड़ दी थी क्योंकि वे पुलिस अधिकारियों पर भरोसा नहीं करती थीं और इस कारण से भी कि उनका काम बाधित हो सकता था। लेकिन उन्हें भी अपनी मौत से पहले भी चिंता थी कि उनका ब्लॉग कौन लिखेगा?