इस्लामाबाद। राजनीतिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बृहस्पतिवार को अपने संबोधन में धमकी वाले पत्र के लिए अमेरिका का नाम लिया, जिसे उन्होंने अपनी सरकार को बेदखल करने की साजिश के कथित सबूत के तौर पर पेश किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि जुबान फिसलने के कारण उन्होंने अमेरिका का नाम लिया।
बुधवार को, खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेतृत्व वाली सरकार ने पुष्टि की कि विदेशी साजिश के बारे में उसका आरोप विदेश में स्थित उसके दूतावासों में से एक से प्राप्त एक राजनयिक संदेश पर आधारित था। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि इमरान ने चीन को खुश करने के लिए अमेरिका का नाम लिया।
इस्लामाबाद में रविवार को आयोजित एक विशाल जनसभा में, खान ने अपनी जेब से कागज का एक टुकड़ा निकाला था और भीड़ के सामने इसे लहराते हुए दावा किया कि यह उनकी सरकार को गिराने के लिए रची गई अंतरराष्ट्रीय साजिश का सबूत है।
खान ने अपने संबोधन में कहा कि यह पत्र सरकार के खिलाफ नहीं उनके खिलाफ था। खान ने कहा, इस पत्र में कहा गया है कि अगर अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है तो पाकिस्तान को माफ कर दिया जाएगा, अगर ऐसा नहीं किया गया तो परिणाम भुगतने होंगे। खान ने कहा कि यह एक आधिकारिक पत्र था जिसे पाकिस्तान के राजदूत को भेजा गया था, जो बैठक के दौरान (नोट) टिप्पणी लिख रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजदूत को बताया गया था कि अगर इमरान खान सत्ता में बने रहते हैं तो पाकिस्तान को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
खान ने कहा कि मैं आज अपने राष्ट्र से कह रहा हूं कि यह हमारी हालत है। हम 22 करोड़ आबादी वाला देश हैं और दूसरा देश...वे (धमकी देने का) कोई कारण नहीं बता रहे हैं। उन्होंने कहा है कि इमरान खान ने अपने दम पर रूस जाने का फैसला किया, भले ही विदेश कार्यालय और सैन्य नेतृत्व से सलाह ली गई हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे राजदूत ने उन्हें फैसले के बारे में बताया (कि रूस का दौरा करने का निर्णय परामर्श के बाद किया गया था) लेकिन वे इससे इनकार कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह केवल इमरान खान की वजह से हुआ और अगर वह (पद पर बने) रहते हैं तो हमारे संबंध अच्छे नहीं हो सकते। वे वास्तव में यह कह रहे हैं कि उन्हें उन लोगों से कोई समस्या नहीं है, जो इमरान खान की जगह लेंगे।
अमेरिका का खंडन : वहीं, अमेरिका ने जोर देकर कहा है कि उसने देश में मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर पाकिस्तान को कोई पत्र नहीं भेजा। साथ ही, उसने इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के पीछे अमेरिका का हाथ होने के आरोपों का खंडन करने की भी मांग की है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को कहा कि किसी भी अमेरिकी सरकारी एजेंसी या अधिकारी ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर पाकिस्तान को पत्र नहीं भेजा है।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में बृहस्पतिवार को अधिकतम तापमान 40.4 डिग्री सेल्सियस (सामान्य से 5 डिग्री अधिक) दर्ज किया गया, जबकि इंदौर में 38.9 (सामान्य से तीन डिग्री अधिक), जबलपुर में 40.7 (सामान्य से 5 डिग्री अधिक) और ग्वालियर 41.8 डिग्री सेल्सियस (सामान्य से 7 डिग्री अधिक) रहा।