इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को कहा कि आज पाकिस्तान के लिए फैसले का दिन है। उन्होंने कहा कि मेरे मेनिफेस्टो में इंसाफ सबसे ऊपर रहा है। उन्होंने कहा कि मैं इस्तीफा नहीं दूंगा और आखिरी गेंद तक मुकाबला करूंगा।
बहुत ही भावुक अंदाज में कहा कि इमरान ने कहा कि मेरा भाषण रिकॉर्डेड नहीं है, लाइव है। उन्होंने कहा कि इंसाफ का मतलब ताकतवर और कमजोर लोगों के लिए एक ही कानून होना चाहिए। पाकिस्तान को इस्लामिक रियासत बनाना मेरा मकसद था।
इमरान खान का राष्ट्र के नाम संबोधन तय समय से कुछ देरी से शुरू हुआ। पहले कहा जा रहा था इमरान का रिकॉर्डेड भाषण प्रसारित किया जाएगा, लेकिन बाद में इमरान ने खुद भाषण लाइव करने की बात कही थी।
इमरान खान ने और क्या कहा...
मेरे खिलाफ वोट किया तो लोग आपको माफ नहीं करेंगे।
कौम के सामने खरीद-फरोख्त की जा रही है।
बागियों और विपक्षी नेताओं को इमरान ने बताया गद्दार।
मैं चुप होकर नहीं बैठने वाला, हालात का पूरी ताकत से मुकाबला करूंगा।
मैं संघर्ष करूंगा यहां तक पहुंचा हूं। किसी भी भी साजिश को कामयाब नहीं होने दूंगा।
रविवार को फैसला हो जाएगा कि पाकिस्तान किस तरफ जाएगा।
रविवार को होगी अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग।
इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान में साढ़े तीन साल में जो कुछ हुआ, वह पहले कभी नहीं हुआ।
मैं इस्तीफा देने वाला नहीं हूं। आखिरी गेंद तक मुकाबला करता हूं।
वोट के नतीजों के बाद और मजबूत होकर लौटूंगा।
20-25 करोड़ में सांसदों को खरीदा जा रहा है।
इमरान ने अपने संबोधन में भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी का नाम भी लिया। नवाज शरीफ और नरेन्द्र मोदी बार-बार मिलते थे।
विपक्षी पार्टियों को बताया भ्रष्टाचारी।
नवाज शरीफ और भुट्टो की पार्टियों पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप।
मेरे खिलाफ अमेरिका को तीन लोग पसंद हैं।
मेरे रूस जाने से अमेरिका नाराज है।
अमेरिका की खिदमत करना चाहते हैं फजलुर्रहमान।
इमरान खान ने अमेरिका की कथित चिट्ठी का उल्लेख किया। अमेरिका ने किसी भी तरह की चिट्ठी या संलिप्तता से इंकार किया है।
चिट्ठी में कहा गया कि इमरान चला जाएगा तो पाकिस्तान को माफ कर देंगे।
इमरान खान ने कहा- धमकी वाली चिट्ठी 7 मार्च को अमेरिका से आई थी।
चिट्ठी में अविश्वास प्रस्ताव की बात थी। मेरे खिलाफ साजिश रची गई। यह चिट्ठी पाकिस्तान के खिलाफ थी।
खुफिया चिट्ठी आधिकारिक थी। चिट्ठी में रूस दौरे का भी विरोध किया गया था।
पाकिस्तान में बैठे लोगों की साजिश है यह चिट्ठी।
विदेशी ताकतें मुझे हटाना चाहती हैं। विरोधी चाहते हैं कि मैं कैसे भी सत्ता से हट जाऊं।
हमारी विदेश नीति भारत विरोधी नहीं थी।
हमारी विदेश नीति पाकिस्तान के लिए है।
मैं भारत, अमेरिका, इंग्लैंड या किसी अन्य देशों के खिलाफ नहीं।
9/11 में पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं।
अमेरिका का हिमायती बनना परवेज मुशर्रफ की सबसे बड़ी गलती थी।
जो अमेरिका हमारा दोस्त था, उसने ही हम पर प्रतिबंध लगाया।
अमेरिका के लिए पाकिस्तानियों ने कुर्बानियां दी हैं।
हम गुलाम कौम नहीं बनेंगे। मेरा राजनीति में आने का भी यही मकसद था।
देश के लिए आज अहम दिन है।
हम वो जनरेशन हैं जो आजाद पाकिस्तान में पैदा हुए।
अल्लाह ने मुझे सब कुछ दिया।
मैंने राजनीति शास्त्र पढ़ा, इसलिए राजनीति में आया।
खुद्दारी किसी भी आजाद कौम की पहचान होती है। किसी भी तरह की गुलामी गलत है।