भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता अपने चरम पर है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर 3 अप्रैल को वोटिंग होनी है। नेशनल असेंबली में गुरूवार शाम से बहस शुरु होगी लेकिन उससे पहले ही इमरान खान सरकार संसद में अपना बहुतम खो चुकी है। ऐसे में पाकिस्तान की इमरान सरकार अब बस चंद घंटों की मेहमान है। इस बीच इमरान खान के आज रात पाकिस्तान की अवाम को संबोधित करने की भी खबरें आ रही है।
पाकिस्तान में इमरान खान के सत्ता से बेदखल होने और वहां पर सत्ता परिवर्तन का भारत पर क्या असर होगा इसको लेकर वेबदुनिया ने भारत के पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा से एक्सक्लूसिव बातचीत की।
पाकिस्तान में क्या इमरान सरकार बचेगी?-वेबदुनिया से बातचीत में पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा कहते है कि पाकिस्तान में इमरान सरकार तो गई। सत्ता परिवर्तन पाकिस्तान में बिल्कुल निश्चित है और इमरान खान का जाना भी तय है। तीन अप्रैल को जब पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी तो उनका हारना तय है। इमरान खान तो गए,वह केवल चंद घंटों-दिनों के मेहमान है।
क्यों सत्ता से बेदखल हो रहे इमरान खान?- वेबदुनिया के इस सवाल पर पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा कहते हैं कि इमरान खान जोकि एक ग्लैमर बॉय की छवि के साथ क्रिकेट की फील्ड से राजनीति के क्षेत्र में आए और उनको पाकिस्तान की फौज का आशीर्वाद भी मिला लेकिन दिक्कत यह आई कि वह मुल्क (पाकिस्तान) को चला नहीं पाए। आज आर्थिक क्षेत्र में पाकिस्तान की हालत बहुत ही खराब है और वहां के लोग भंयकर तकलीफ में है। इमरान खान के आने पर जो आशा का वातावरण था वह आज निराशा के वातावरण में बदल गया। ऐसे हालात में इमरान खान का सत्ता में बने रहना मुश्किल था, इसलिए पाकिस्तान की सेना ने उनको हटाया है।
अब किसके हाथ में पाकिस्तान की सत्ता?- पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा कहते हैं कि अभी की खबरों के मुताबिक शहबाज शरीफ जो पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई है उनको वहां का विपक्ष मिलकर प्रधानमंत्री पद के लिए चुनेगा।
सत्ता परिवर्तन का भारत पर प्रभाव पड़ेगा?- पाकिस्तान में इमरान खान की विदाई और सत्ता परिवर्तन का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा? 'वेबदुनिया' के इस सवाल पर पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा कहते हैं कि देखिए जब देशों के संबंधों की बात होती है तो व्यक्तियों को बहुत ज्यादा महत्व नहीं देना चाहिए। हमारे यहां दिक्कत यह है कि भारत की विदेश नीति बिल्कुल पर्सनलाइज हो गई है और प्रधानमंत्री के इर्द गिर्द घूमने लगी है। इसलिए हम लोग सोचते है कि शायद दूसरे देशों में भी ऐसा है।
लेकिन जब हम देशों के संबंधों के देखते है तो उसमें व्यक्ति का महत्व नहीं होता है जो देश के हित होते है उसका महत्व होता है। पाकिस्तान अपना हित देखेगा और भारत अपना हित देखेगा। इसकी नतीजा है कि सारे प्रयासों के बाद भी पाकिस्तान से हमारे संबंध नहीं सुधरे।
पाकिस्तान भारत के बारे में बिल्कुल गलत धारणा रखता है और बार-बार जब उसको मौका मिलता है वह दुश्मनी निभाता है। नवाज शरीफ जब वहां प्रधानमंत्री थे तो वह भी इसी रास्ते चले और अगर शहबाज वहां के प्रधानमंत्री बनते है तो भी पाकिस्तान की भारत के प्रति जो नीति है उसमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
भारत से संबंधों में सेना की क्या भूमिका?- पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा कहते हैं कि सेना के बिना पाकिस्तान की सत्ता में कोई टिक नहीं सकता। वास्तव में सेना अपने ढंग से मुल्क को चलाती है। अगर भारत से पाकिस्तान के संबंध सुधरते है तो पाकिस्तान की फौज का जो पाकिस्तान की जनता पर कंट्रोल है वह घट जाएगा।
इसलिए पाकिस्तान की फौज कभी नहीं चाहेगी कि भारत से संबंध सुधरे इसलिए पाकिस्तान में कोई भी प्रधानमंत्री हो हमें कोई भी उम्मीद उससे नहीं रखनी चाहिए। इसके साथ ही पाकिस्तान की फौज से भी एक बड़ी संस्था है जो नहीं चाहती है कि भारत से संबंध सुधरे। सत्ता में कोई भी आए पाकिस्तान में सेना की भूमिका में कोई फर्क नहीं आएगा।