कर्नाटक में कांग्रेस के विधायक डीके शिवकुमार एक फिर बड़े रणनीतिकार के रूप में सामने आए। कांग्रेस के इस 'चाणक्य' के सामने भाजपा के 'चाणक्य' अमित शाह की रणनीति धरी की धरी रह गई और और भाजपा की येदियुरप्पा सरकार ढाई दिन में ही गिर गई। वे इस 'सियासी क्रिकेट मैच' के मैन ऑफ द मैच बने। शिवकुमार ने अपनी रणनीति से कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखा। कांग्रेस के कद्दावर नेता शिवकुमार ने कभी सियासी दुश्मन रहे देवगौड़ा परिवार को सत्ता के सिंहासन पर पहुंचाया है। शिवकुमार की देवगौड़ा परिवार से पुरानी सियासी जंग है।
कांग्रेस के डीके शिवकुमार ने अपने दांव-पेंच और चाणक्य नीति से ऐसा माहौल बनाया कि बहुमत न होने के बाद भी आनन-फानन में सरकार बनाने वाली भाजपा को सत्ता से हटना पड़ा और मुख्यमंत्री की कुर्सी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के लिए छोड़नी पड़ी। डीके शिवकुमार ही वे कांग्रेसी नेता हैं, जिन्होंने अपने सभी विधायकों को भाजपा की सेंधमारी से बचाए रखा और एक भी विधायक को टूटने नहीं दिया। जब भाजपा बहुमत के आंकड़े को छूने के लिए एक-एक विधायक की जुगत में थी, तब कांग्रेस के लिए संकटमोचक की भूमिका में डीके शिवकुमार ने पार्टी की नैया को संभाले रखा और बीच मझधार में डूबने से बचाया।
देवगौड़ा परिवार से लड़कर ही बनाई राजनीति में पहचान : शिवकुमार 30 साल से देवगौड़ा परिवार से लड़कर ही उभरे हैं। 1989 और 1994 में एचडी देवगौड़ा से हार भी मिली, लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में देवगौड़ा को हराकर बदला चुकता किया। शिवकुमार की पटरी सिद्धारमैया से नहीं बैठती, लेकिन उनके साथ रहे क्योंकि दोनों देवगौड़ा के दुश्मन हैं।
पहले भी बन चुके हैं कांग्रेस सरकारों के खेवनहार : शिवकुमार इससे पहले भी महाराष्ट्र और गुजरात में कांग्रेस सरकार के खेवनहार बन चुके हैं। 2002 में विलासराव देशमुख सरकार संकट में आ गई थी। ऐसे में देशमुख विधायकों के साथ कर्नाटक आए। तब शिवकुमार ने विधायकों को एक हफ्ते इगलटन रिजॉर्ट में रखा। फिर फ्लोर टेस्ट के लिए एस्कार्ट मुंबई ले गए। ऐसे महाराष्ट्र में सरकार बचाई।
राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल के संकटमोचक बने : भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल की घेराबंदी की। कांग्रेस विधायक टूटकर भाजपा में चले गए, तभी शिवकुमार ने रणनीति बनाकर बाकी विधायकों को कर्नाटक भेजा। इगलटन रिजॉर्ट में शिवकुमार ने आश्रय दिया।
गांधी परिवार का करीबी : कर्नाटक के वोक्कलिगा समुदाय से आने वाले शिवकुमार को गांधी परिवार का करीबी माना जाता है। वे एमएस कृष्णा के भी काफी करीबी हुआ करते थे। 2004 में जब कांग्रेस-जेडीएस सरकार बनी, तब उन्हें जेडीएस के चलते मंत्री पद नहीं दिया गया। 2017 में सिद्धारमैया ने पार्टी अध्यक्ष बनने से भी रोका, इसके बावजूद उन्होंने कभी खुलेआम नाराजगी जाहिर नहीं की।
सबसे अमीर विधायकों में : डीके शिवकुमार देश के सबसे अमीर विधायकों में से एक हैं। शिवकुमार दूसरे सबसे अमीर विधायक हैं। उनकी कुल संपत्ति 840 करोड़ है। बीते 5 साल में उनकी संपत्ति 589 करोड़ रुपए बढ़ी।कनकपुरा विधानसभा से विधायक डीके शिवकुमार कर्नाटक की राजनीति में कांग्रेस के लिए बड़ा नाम है। शिवकुमार ने 1989 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा। वे 7 बार कांग्रेस से विधायक रहे हैं। सिद्धारमैया की सरकार में शिवकुमार ऊर्जा मंत्री भी रह चुके हैं।
लगे भ्रष्टाचार के आरोप : 2017 में उनके यहां आयकर के छापे भी पड़े। डीके शिवकुमार पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे हैं। 2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका डाल डीके शिवकुमार और उनके परिवार पर अवैध खनन में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। इतना ही नहीं, 2015 में ही शिवकुमार और उनके भाई डीके सुरेश पर 66 एकड़ जमीन पर कब्जा करने के आरोप लगे हैं। Photo courtesy: Twitter