भारत के चुनाव में अक्सर यह स्थिति बनती है। एक तरफ सांपनाथ तो दूसरी तरफ नागनाथ। किसे वोट दिया जाए और किसे नहीं, इसका जवाब अंतिम समय तक नहीं मिलता और अंत में बेमन से किसी को भी वोट देकर इस स्थिति से छुटकारा पाया जाता है। ऐसी ही स्थिति से गुजर रहे हैं अमेरिकी नागरिक।
इस बार मुकाबला रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट की हिलेरी क्लिंटन के बीच है। अभी तक ज्यादातर लोग मन नहीं बना पाए कि किसे वोट दिया जाए और किसे नहीं। नागरिकों की यह मनोस्थिति दोनों उम्मीदवार भलीभांति समझते हैं, इसलिए साम-दाम-दंड-भेद वाले फॉर्मूले पर चलकर मतदाताओं को रिझाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।
अपने आपको बुद्धिमान, सम्पन्न और शिष्ट समझने वाले इन अमेरिकी उम्मीदवारों ने अपना स्तर इतना गिरा लिया कि लग रहा है भारत में पार्षदों के चुनाव के समय वाले माहौल की याद दिला दी है। इन उम्मीदवारों को भी पता है कि उनमें कांटे का मुकाबला है और ऊंट किस करवट बैठेगा इसका जवाब देने में तो 'पॉल द ऑक्टोपस' के भी पसीने छूट जाए। सर्वेक्षण भी डांवाडोल हो रहे हैं। एक पल में कांटा इस तरह झुकता है तो दूसरे पल दूसरी ओर।
इस तरह के अंधकार भरे माहौल में तीर चलाए जा रहे हैं कि कब कौन सा तीर निशाने पर लग जाए। अपनी सोच और नीतियां बताने से काम नहीं चला तो कीचड़ उछाले जा रहे हैं। अपनी शर्ट गंदी है तो सामने वाले की ज्यादा गंदी कर दी जाए। 'मेरी कम गंदी है' का ही ढिंढोरा पीटा जाए। एक-दूसरे पर कटाक्ष किए जा रहे हैं। लिंग और उम्र का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है। बदजुबानी ऐसी हो रही है कि कान बंद करने की इच्छा हो रही है।
दोनों दूध के धुले नहीं है। यह बात साफ हो गई है। गड़े मुर्दे फिर निकाले जा रहे हैं। दूसरे को भ्रष्ट साबित करने में ही सारी मेहनत हो रही है। बजाय अपनी लाइन बड़ी करने के दूसरे की लाइन छोटी करने के प्रयास हो रहे हैं जो चिंतनीय है। अमेरिका की छवि बड़ी उजली है, लेकिन इस बार के चुनाव में यह मंद पड़ी है। भारत के चुनाव पूर्व बनने वाले माहौल को कोसने वाले तथाकथित अमेरिकी प्रेमी हैरान हैं। उन लोगों का गर्व भी चूर हो गया है।
हिलेरी के पुराने ईमेल ढूंढ निकाले गए हैं जिसे एफबीआई ने क्लिन चिट दी है। इस पर डोनाल्ड ट्रंप का भड़कना स्वाभाविक है। उन्होंने 'धांधली वाली व्यवस्था' वाली बात दोहरा कर एफबीआई पर ही निशाना साध दिया है कि एक सप्ताह में 6.5 लाख ईमेल पढ़ना असंभव है। सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग केवल हमारे यहां ही नहीं होता। हिलेरी कई आरोपों में घिरी हुई हैं और उन्होंने भी शालीन छवि का आवरण छोड़ दिया है। बड़बोले ट्रंप को उनकी शैली में जवाब दे रही हैं। दूसरी ओर ट्रंप तो रूकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। महिलाओं के प्रति उनका दृष्टिकोण कितना मलिन है इसके कई उदाहरण पेश कर दिए गए हैं। इस आरोप में बुरी तरह घिर गए ट्रंप को बैकुफट पर जाकर सफाई देनी पड़ रही है।
बात की जाए ताजे पोल की जो रोजाना हो रहे हैं और लोगों के दिमाग को चकरघिन्नी कर रहे हैं। ताजा पोल बता रहा है कि डेमोक्रेट प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन संभावित वोटर्स के बीच अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप से 6प्रतिशत पाइंट आगे चल रही हैं। यानी कि ईमेल विवाद का कोई असर हिलेरी पर नहीं पड़ा है। इसी बात से ट्रंप तिलमिलाए हुए हैं, लेकिन 'टेबल टर्न' होने में ज्यादा देर नहीं लगती।
एक-एक वोट कीमती है। इसलिए अमेरिका में रहने वाले तमाम विदेशियों (जो वोट देने का अधिकार रखते हैं) को लुभाने का प्रयास किया जा रहा है। हिंदुओं को रिझाने के लिए ट्रंप परिवार सहित मंदिर में पूजा करने चले गए। हिलेरी को यह कह कर घेरने की कोशिश की जा रही है कि लंबे समय से उनकी सहयोगी रहीं हुमा अबेदीन पाकिस्तान मूल की है। हिलेरी पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति रखती हैं।
दूसरी ओर ट्रंप को मुस्लिमों के लिए खतरा बताया जा रहा है। यानी भारत की तरह 'धर्म' को भी चुनावी हथियार बना लिया गया है। कौन कितने प्रतिशत है इसके आंकड़े जुटा कर वोट पाने की कोशिश चल रही हैं।
हिलेरी और ट्रंप के बयान आपको केजरीवाल, लालूयादव, साध्वी प्रज्ञा जैसे लोगों की याद दिला रही है तो हैरान मत होइए। अमेरिकी चुनाव का स्तर भी अब रसातल में पहुंच गया है। अब दो अच्छे में से एक की बजाय दो बुरे में से कम बुरा चुनना है।