मोदी के नारे ने दिलाई ट्रंप को जीत, स्तब्ध रह गईं हिलेरी...

नृपेंद्र गुप्ता
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत कई मायनों में ऐतिहासिक है। वह 60 सालों में अमेरिका के पहले गैर राजनीतिक राष्ट्रपति बने हैं। शुरुआती मतगणना में ट्रंप हिलेरी से मुकाबले में काफी पीछे चल रहे थे। यह माना जा रहा था कि हिलेरी अमेरिकी की पहली महिला राष्ट्रपति बन ही जाएगी लेकिन हवा का रुख अचानक ही बदल गया और ट्रंप सरपट आगे निकल गए। हिलेरी के हाथों से जीत फिसल गई और स्तब्ध सी देखती रह गईं। ट्रंप की इस जीत में मोदी की तर्ज पर दिए गए नारे अब की बार ट्रंप सरकार का भी बड़ा हाथ है। 
एक तरफ रुझानों में हिलेरी आगे दिखाई दे रही थीं तो दूसरी तरफ सट्टा बाजार ट्रंप के जीत की भविष्यवाणी कर रहा था। लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि ट्रंप जीतेंगे या हिलेरी। अचानक ओहियो के नतीजों से वहां का चुनावी परिदृश्य पूरी तरह बदल गया। देखते ही देखते ट्रंप हिलेरी से मीलों आगे निकल गए। 
 
ट्रंप ने नॉर्थ कैरोलीना, नॉर्थ फ्लोरिडा, ओहायो, मिसौरी, मोंटाना, लुईसियाना, अर्कांसस, कान्सास, उत्तरी डकोटा, दक्षिण डकोटा, टेक्सास, व्योमिंग और मिसिसिपी में हिलेरी को मात दी तो ओरेगन, कोलोराडो, वर्जिनिया, मैक्सिको, कनेक्टिकट, इलिनोइस, न्यूयॉर्क, वाशिंगटन और रोड आइलैंड में हिलेरी ट्रंप पर भारी पड़ीं। 
 
यह आज का दिन ही नहीं पूरा अमेरिकी चुनाव ही किसी बेहद रोमांचक कहानी से कम नहीं है। इसमें हिलेरी ट्रंप पर हर मोर्चे पर भारी थीं, उनका राजनीतिक अनुभव ज्यादा था, उनकी लोकप्रियता ज्यादा मानी जा रही थी, ट्रंप के मुकाबले उनका प्रचार अभियान भी संतुलित था और चुनाव से पहले हुई तीनों बहस में वे अपने प्रतिद्वंद्वी पर भारी पड़ी। हालांकि हिलेरी के ‍‍लिए भी यहां फिल गुड फैक्टर काम नहीं कर रहा था, उन्हें ई-मेल मामला खासा महंगा पड़ा।
 
इन चुनावों से ऐन पहले आए एक सर्वेक्षण में तो बराक ओबामा को लोकप्रियता के चरम पर बताया था। ओबामा ने अपनी पत्नी मिशेल के साथ हिलेरी के समर्थन में जमकर सभाएं की थी। अमेरिकी मीडिया ने भी खुलकर हिलेरी का समर्थन किया। ट्रंप के विवादास्पद बयानों से भी वे मुकाबले में पीछे छूटते दिखे। लेकिन 'अंत भला तो सब भला'। अमेरिकियों को अब की बार ट्रंप सरकार का नारा बहुत रास आया और उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया। 
 
बहरहाल चुनावी कहानी कुछ भी हो लेकिन जो जीता वहीं सिकंदर की तर्ज पर दुनिया के इस सबसे शक्तिशाली देश पर राज तो ट्रंप का ही होगा। 
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