इस्तांबुल। तुर्की में दो साल पहले लगाया गया आपातकाल आज खत्म हो गया है। सरकार ने तय किया कि यह आठवीं बार नहीं बढ़ाया जाएगा और इसे खत्म करने की घोषणा की। लेकिन विपक्ष को आशंका है कि अब इसकी जगह और अधिक दमनकारी कानून वैध तरीके से लागू किए जा सकते हैं।
2016 में तख्तापलट की नाकाम कोशिश, अंकारा पर बमबारी और इस्तांबुल में हुई हिंसक झड़पों में 249 लोगों की मौत के बाद आपातकाल लगाया गया था। सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलु के अनुसार, आपातकाल सामान्य तौर पर तीन महीने के लिए लागू रहता है लेकिन यहां इसकी अवधि सात बार बढ़ाई गई और यह अंतत: कल आधी रात को जाकर खत्म हुआ।
सरकार ने तय किया कि यह आठवीं बार नहीं बढ़ाया जाएगा और इसे खत्म करने की घोषणा की। आपातकाल के दौरान करीब 80,000 लोगों को हिरासत में लिया गया और इससे लगभग दोगुने लोगों की नौकरी चली गई जो सरकारी संस्थानों में काम करते थे।
इस दौरान न सिर्फ फेतुल्ला गुलेन के कथित समर्थकों, तख्तापलट के दोषी माने जाने वाले अमेरिका के धर्म प्रचारकों को निशाना बनाया गया बल्कि कुर्द कार्यकर्ताओं और वामपंथियों को भी निशाने पर रखा गया। पिछले महीने राष्ट्रपति चुनाव प्रचार अभियान के दौरान एर्दोआन ने कहा था कि सत्ता में वापसी के साथ ही वह आपातकाल खत्म कर देंगे।
लेकिन विपक्ष के नेता संसद में प्रस्तावित किए गए सरकार के उस नए कानून को लेकर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं जिसमें आपातकाल के कुछ बेहद सख्त पहलुओं को औपचारिक बनाने की बात कही गई है। मुख्य विपक्षी पार्टी रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी का कहना है कि नया कानून अपने आप में एक आपातकाल जैसा है।
एर्दोआन को दुबारा एक नई व्यवस्था के तहत चुना गया है जो उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद किसी भी तुर्की नेता को दी गई शक्तियों से ज्यादा शक्तियां उपलब्ध कराती है। अब इस नई प्रणाली के तहत उनके पास सभी सरकारी मंत्रालयों और सार्वजनिक संस्थाओं का प्रत्यक्ष नियंत्रण होगा।
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आपातकाल के दौरान बंदी बनाए गए एक अमेरिकी पादरी को रिहा नहीं करने पर रोष प्रकट किया है और एर्दोआन से उन्हें छोड़ने की अपील की है। एंड्र्यू ब्रनसन इज्मीर शहर में एक प्रोटेस्टेंट चर्च चलाते हैं और उन्हें आतंकवाद के आरोप में पहली बार 2016 में हिरासत में लिया गया था। तब से अब तक उनकी रिहाई को तीन बार टाला जा चुका है। यह मुद्दा अमेरिका और तुर्की के रिश्तों में आई दूरियों का एक बड़ा कारण बन चुका है। (वार्ता)