Ramcharitmanas

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

युद्ध को लेकर चीन में भय, विशेषज्ञों की नसीहत

Advertiesment
हमें फॉलो करें India China war
, सोमवार, 21 अगस्त 2017 (15:14 IST)
डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच बढ़ रही तनातनी युद्ध का रूप ले सकती है, लेकिन इससे चीन को कुछ हासिल नहीं होगा। एक्सपर्ट की राय अनुसार बड़े संघर्ष पर लोगों की जान जाने का खतरा अधिक है। दरअसल, लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच शीर्ष विशेषज्ञों ने युद्ध का आंकलन किया है। 
 
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक शीर्ष सरकारी अधिकारियों का अनुमान है कि युद्ध की स्थिति में चीन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ जाएगा। ऐसे में, चीन द्वारा लगातार की जा रही बयानबाजी के बावजूद दोनों देशों के बीच बचे हुए कूटनीतिक संबंध भी खतरे में पड़ जाएंगे। डोकलाम या भारत-चीन सीमा पर दूसरी समस्याओं से अगर युद्ध की स्थिति बनती है तो चीन को कोई प्रत्यक्ष सामरिक लाभ नहीं मिलने वाला। अब किसी भी सशस्त्र संघर्ष में तय करना मुश्किल होगा कि जीता कौन या हारा कौन।
 
भारत-चीन की 3488 किमी लंबी सीमा का बड़ा हिस्सा विवादित है। दोनों पक्षों में यहां अकसर टकराव की आशंका बनी रहती है। हालांकि टकराव की स्थिति में दोनों पक्षों में से किसी को भी स्पष्ट बढ़त हासिल नहीं है। अगर डोकलाम की बात करें तो यहां की भौगोलिक परिस्थिति की वजह भारत को ज्यादा बेहतर स्थिति और खास मिलिटरी एडवांटेज है।
 
यह सही है कि भारत सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में चीन से पीछे है लेकिन युद्ध की स्थिति में यह असमानता चीन के लिए खास फायदेमंद नहीं होगी। ऐसे में दोनों ही सेनाओं को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। डोकलाम में चीन को रोड बनाने से रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई कर भारत ने दिखाया है कि वह यहां अपने हित में ताकत का इस्तेमाल कर सकता है। इसके अलावा भारतीय सेना ने बागडोगरा से गुवाहाटी और सिलिगुड़ी रोड लिंक के संदर्भ में चीन की सेना को एक सुविधाजनक स्थान बनाने से भी रोका है।
 
विशेषज्ञों ने दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को भी युद्ध नहीं होने देने की एक वजह के रूप में बताया है। भारत और चीन के बीच 700 करोड़ डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार होता है, जो युद्ध नहीं होने देने की वजह बन सकता है। इसका उदारण चीन और जापान के संबंधों में भी मिलता है। आर्थिक संबंध होने के बाद भी सिंकाकू द्वीप को लेकर चीन और जापान के संबंध खराब हुए लेकिन दोनों पक्षों ने पूर्वी चीन सागर में सैन्य टकराव से परहेज किया। 
चीन का युद्धाभ्यास जारी : 
डोकलाम और लद्दाख में भारतीय सैनिकों द्वारा खदेड़े जाने से बौखलाया चीन युद्धाभ्यास कर रहा है। मीडिया में चल रही खबरों की मानें तो चीन ने युद्धाभ्यास किया है। चीन के चैनल चाइना सेंट्रल टेलीविजन यानि CCTV ने अपनी रिपोर्ट में पांच मिनट का वीडियो दिखाया है। जिसमें चीन की सेना की एविएशन यूनिट समेत 10 यूनिटों ने साझा युद्धाभ्यास किया है।
 
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने ये मिलिट्री ड्रिल वेस्टर्न चीन में एक पठार पर की है जिसमें बड़े पैमाने पर जंगी हथियारों का इस्तेमाल किया गया। इसमे स्पेशल फोर्स, आर्मी एविएशन और सशस्त्र सैनिकों ने भाग लिया। इस लाइव फायर ड्रिल में टैंक, हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया। चीनी सैनिकों ने युद्ध की नई तकनीकों का भी अभ्यास किया। कमांडर के आदेश पर टैंकों ने टारगेट को हिट किया वहीं आसमान में उड़ते जंगी जहाजों ने भी बम बरसाए। रात के वक्त जमीन पर कैसे युद्ध लड़ा जाएगा इसका भी अभ्यास किया गया।
 
चीन को सबक सिखाना जरूरी:
इस पूरे विवाद को लेकर भारतीय रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय सेना चीन को सबक सीखाने के लिए पूरी तरह तैयार है। रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी ने कहा कि डोकलाम पर चीन के ब‌िगड़े रवैये का अंत अब युद्ध ही है। चीन को धूल चटाने में भारतीय सेना सक्षम है। ऐसे में अगर वे नहीं मानें तो हम युद्ध करने से पीछे नहीं हटेंगे।
 
हालांकि अब स्थिति यह आ गई है कि भारत को इस वक्त अमेरिका, रूस और जापान का भी समर्थन हासिल हो गया है। इन सभी ताकतवर देशों ने भी चीन को बातचीत के जरिए मसले को सुलझाने के सलाह दी है, लेकिन चीन किसी की भी नहीं मानने वाला है तो फिर अंतिम विकल्प युद्ध ही होगा।
 
राजनाथ ने दिया पहली बार बयान :
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आईटीबीपी के कार्यक्रम में कहा, 'दुनिया में कौन सी ताकत है जो भारत की ओर आंखें उठाकर देखेगा। हमारे जवानों में हिम्मती हैं, इनके रहते दुनिया की कोई ताकत आंखें नहीं उठा सकता है।' उन्होंने कहा-'डोकलाम में भारत और चीन मिलकर समाधान निकालेंगे। हमने कभी आक्रमण नहीं किया है। हमारे जवान देश की सुरक्षा की खातिर दमखम दिखाते हैं।'
 
राजनाथ सिंह ने पूर्व प्रधामंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की विदेश नीति का जिक्र किया। उन्होंने कहा, हम वाजपेयी जी की विदेश नीति को मानते हैं, इसलिए पड़ोसियों से अच्छे रिश्ते चाहते हैं और इसके लिए लगातार कोशिश में हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

धोखेबाज चीन की 7 फितरतें, पढ़ेंगे तो चौंक जाएंगे...