नकली दवाओं में सबसे ज्यादा बेची जाती है एंटी बायोटिक

Webdunia
बुधवार, 8 फ़रवरी 2017 (22:47 IST)
नई दिल्‍ली। देश में बिकने वाली दवाओं में 0.1 प्रतिशत से 0.3 प्रतिशत नकली हैं जबकि चार से  पांच प्रतिशत दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरतीं। नकली दवाओं में बाजार में सबसे ज्यादा एंटी  बायोटिक बेची जा रही हैं क्योंकि इन पर मोटा मुनाफा मिलता है। सरकार के एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण  में ये बातें सामने आई हैं जिसके आंकड़े जल्द ही सार्वजनिक किए जाएंगे।
राष्ट्रीय राजधानी में आज से शुरू हुए इंटरनेशनल ऑथेंटिकेशन कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय औषधि मानक  नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के उपनिदेशक रंगा चंद्रशेखर ने बताया कि नकली दवाओं के  विश्वसनीय आंकड़ों के लिए अब तक कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ था। सरकार ने देशभर के शहरी और  ग्रामीण इलाकों में दवा दुकानों से 47 हजार नमूने एकत्र किए जिनकी जांच में पाया गया है कि दवा  बाजार में 0.1 से 0.3 प्रतिशत नकली हैं। इस सर्वेक्षण में एक स्वयंसेवी संस्था की भी मदद ली गई   है।
 
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि नकली दवाओं में सबसे ज्यादा एंटीबायोटिक बिकती हैं  जबकि उसके बाद एंटी बैक्टीरियल दवाओं का स्थान है। देश के कुल दवा बाजार का आकार तकरीबन  एक लाख 10 हजार करोड़ रुपए का है। उन्होंने कहा कि अधिकतर नकल उन दवाओं की बनाई   जाती है जिनमें मुनाफा काफी ज्यादा होता है यानी जिनके उत्पादन और विक्रय मूल्य का अंतर  ज्यादा होता है। 
 
चंद्रशेखर ने कहा कि इसके अलावा चार से पांच प्रतिशत दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतर पाईं। ये  दवाएं वास्तविक विनिर्माताओं द्वारा बनाई  गई  थीं। हालांकि इनके मानक से कमतर होने के कई  कारण हो सकते हैं। सबसे बड़ा कारण उनके भंडारण में कमी हो सकती है। उन्होंने कहा कि देश में  मौसमी विविधता के कारण आपूर्ति श्रंखला में दवाओं को नमी आदि से बचा पाना मुश्किल होता है  जिससे उनकी रासायनिक संरचना प्रभावित होती है। 
 
उन्होंने कहा कि निर्यात से पहले सभी दवाओं के नमूनों की जांच की जाती है और उनके मानकों से  कमतर पाए जाने की स्थिति में निर्यात की जाने वाली पूरी खेप को वापस भेजने का प्रावधान है।  निर्यात की जाने वाली दवाओं के लिए ड्रग ऑथेंटिकेशन एंड वेरिफिकेशन एप्लिकेशन (दवा ऐप) भी  बनाया गया है जिससे किसी भी चरण में दवा की प्रामाणिकता की जांच की जा सकती है। 
 
सरकार घरेलू बाजार के लिए भी दवा ऐप लागू करने पर विचार कर रही है, लेकिन इसके लिए  उत्पादन संयंत्रों में जरूरी बदलाव काफी महंगे होने के कारण कंपनियां अभी इसके लिए तैयार नहीं हैं।  कार्यक्रम का उद्घाटन उपभोक्ता मामले विभाग के संयुक्त सचिव पीवी रामा शास्त्री ने किया। (वार्ता)
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