वॉशिंगटन में बोले जयशंकर, दुनिया को पुन: वैश्वीकरण की सख्त जरूरत

Webdunia
शुक्रवार, 29 सितम्बर 2023 (21:42 IST)
S Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया को किसी तरह के पुन: वैश्वीकरण (globalization) की सख्त जरूरत है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत गैर पश्चिमी देश है लेकिन पश्चिम का विरोधी नहीं है। जयशंकर वॉशिंगटन डीसी (Washington DC) में 'थिंक टैंक' हडसन इंस्टीट्यूट द्वारा 'नई प्रशांत व्यवस्था में भारत की भूमिका' विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
 
उन्होंने कहा कि यदि आप इसे एकसाथ रखें तो मैं आपको सुझाव दूंगा कि दुनिया को किसी प्रकार के पुन: वैश्वीकरण की सख्त जरूरत है। मंत्री ने कहा कि वैश्वीकरण अपने आप में निर्विवाद है, क्योंकि इसने बहुत गहरी जड़ें जमा ली हैं।
 
उन्होंने कहा कि इसके जबर्दस्त फायदे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन वैश्वीकरण का यह विशेष मॉडल पिछले 25 वर्षों में विकसित हुआ है। जाहिर है, इसमें बहुत सारे जोखिम निहित हैं और आज उन जोखिमों को कैसे दूर किया जाए और एक सुरक्षित दुनिया कैसे बनाई जाए, यह चुनौती का हिस्सा है।
 
हिन्द-प्रशांत एक अवधारणा : हिन्द-प्रशांत पर जयशंकर ने कहा कि यह एक अवधारणा है जिसने आधार कायम कर लिया है। उन्होंने कहा कि हिन्द महासागर और प्रशांत क्षेत्र का एक तरह से अलगाव वास्तव में कुछ ऐसा है, जो वास्तव में द्वितीय विश्वयुद्ध का परिणाम था। इसमें हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर से पहले एक वैश्विक रणनीति और वैश्विक समझ पर ध्यान दिया गया, लेकिन भारत पर जोर देते हुए इसे कहीं अधिक एकीकृत तरीके से सामने रखा गया।
 
जयशंकर ने कहा कि प्रशांत व्यवस्था के संदर्भ में कई वैश्विक चिंताएं सबसे गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से बड़ा मुद्दा यह है कि हो रहे एक बहुत बड़े बदलाव के बीच आप स्थिरता कैसे बनाए रखते हैं, क्योंकि अक्सर तेज बदलाव शक्ति और हित तथा प्रभाव के असंतुलन पैदा करते हैं एवं जोखिम पैदा करते हैं।
 
एक सवाल पर जयशंकर ने रेखांकित किया कि भारत, पश्चिम के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत गैर पश्चिमी देश है लेकिन पश्चिम का विरोधी नहीं है। मंत्री ने दोहराया कि भारत जैसे देश और अफ्रीका जैसे महाद्वीप का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में नहीं होना 21वीं सदी की जमीनी हकीकत को प्रतिबिम्बित नहीं करता है।
 
जयशंकर ने कहा कि उनका मानना है कि संयुक्त राष्ट्र की जिस इकाई में सबसे अधिक आबादी वाला देश नहीं है और 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था शामिल नहीं है, साथ ही 50 से अधिक देशों का महाद्वीप नहीं है, उसमें स्पष्ट रूप से विश्वसनीयता और काफी हद तक प्रभावशीलता की कमी है।
 
रूस के बारे में मंत्री ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के परिणामस्वरूप मॉस्को के साथ पश्चिमी देशों के संबंध लगभग टूट गए हैं। उन्होंने कहा कि आज यूरोपीय शक्ति रहा रूस, एशिया की ओर देख रहा है और एशियाई देशों के साथ अपने संबंध बना रहा है।
 
बढ़ते रूस-चीन संबंधों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि रूस ने हमेशा खुद को यूरोपीय के रूप में देखा है इसलिए (यूक्रेन में) जो हो रहा है, उसके परिणामस्वरूप आप वास्तव में रूस का पुनर्निमाण देख रहे हैं। जयशंकर ने अनुमान जताया कि रूस यूरोप, अमेरिका से दूर गैर-पश्चिमी दुनिया तथा एशिया, संभवत: अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Exit Poll : वोटिंग खत्म होने के बाद RSS मुख्यालय पहुंचे देवेंद्र फडणवीस, मोहन भागवत से की मुलाकात

Exit Poll 2024 : झारखंड में खिलेगा कमल या फिर एक बार सोरेन सरकार

महाराष्ट्र में महायुति या एमवीए? Exit Poll के बाद बढ़ा असमंजस

महाराष्‍ट्र बिटकॉइन मामले में एक्शन में ईडी, गौरव मेहता के ठिकानों पर छापेमारी

BJP महासचिव विनोद तावड़े से पहले नोट फॉर वोट कांड में फंसे राजनेता

सभी देखें

नवीनतम

Adani Group को लेकर AAP नेता संजय सिंह ने किया यह दावा...

दिल्ली में दिखी छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति की झलक, सशक्त भारत के निर्माण में बड़ी भूमिका

अब Delhi-NCR में भी बिकेंगे नंदिनी के ये उत्‍पाद

LIVE: अडाणी को बड़ा झटका, केन्या ने रद्द किया 700 मिलियन डॉलर का करार

Manipur Violence : मणिपुर के हालात को लेकर कांग्रेस ने किया यह दावा

अगला लेख