अगर जी7 सम्मेलन में कोरोना की उत्पत्ति को लेकर सवाल उठे और देशों ने इसकी जांच की मांग की तो चीन की दिक्कतें बढ सकती हैं। हालांकि पहले से अमेरिका की कई खुफिया रिपोर्ट यह कहती हैं कि वायरस चीन से ही आया था।
ब्रिटेन में आयोजित हो रहे जी7 शिखर सम्मेलन को लेकर जिस तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, वो अब सच होती भी दिख रही हैं। जी7 शिखर सम्मेलन के नेता कोरोना वायरस की उत्पत्ति की नई और परादर्शी तरीके से जांच करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन से अनुरोध कर सकते हैं। जबकि दुनिया के कई देशों के लिए वैक्सीन की एक अरब डोज देने की बात भी कही गई है। इस बात की जानकारी बैठक की ड्राफ्ट विज्ञप्ति से सामने आई है। जो लीक हो गई है।
जी7 के सदस्य देश कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका से आए नेता सम्मेलन में शामिल होने के लिए 11-13 जून तक कॉर्नवाल के नदी किनारे बसे रिजॉर्ट में एकत्रित होंगे। जबकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल फॉर्मेट में ही सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं। उन्हें विशेष अतिथि के तौर पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने आमंत्रित किया था। भारत में कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति को देखते हुए पीएम मोदी ब्रिटेन नहीं जा सके हैं। हालांकि वह 12 और 13 जून को आउटरीच सत्र में शामिल होंगे।
हिंदुस्तान टाइम्स ने ब्लूमबर्ग न्यूज के हवाले से लिखा है कि ड्राफ्ट विज्ञाप्ति में कहा गया है कि जी7 देश के नेता कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए WHO की अगुवाई में एक नई और पारदर्शी जांच की मांग करेंगे। इससे पहले भी कई देश चीन की वुहान लैब की जांच की मांग कर चुके हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि कोरोना वायरस दुनियाभर में कैसे फैला था। अमेरिका की कई खुफिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से ही निकला है।