प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रविवार को कहा कि आतंकवाद के पीड़ितों और समर्थकों को एक ही तराजू पर नहीं तौला जा सकता तथा आतंकवादियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। मोदी ने शांति एवं सुरक्षा पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि पहलगाम में हुआ कायरतापूर्ण आतंकवादी हमला भारत की आत्मा, पहचान और गरिमा पर सीधा हमला है।
उन्होंन कहा, यह हमला न केवल भारत पर, बल्कि पूरी मानवता पर आघात था। प्रधानमंत्री ने कहा, आतंकवाद की निंदा करना हमारा सिद्धांत होना चाहिए, न कि केवल सहूलियत। उन्होंने कहा, अगर हम पहले यह देखें कि हमला किस देश में हुआ, किसके खिलाफ हुआ तो यह मानवता के साथ विश्वासघात करना होगा। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुट प्रयास करने का आह्वान करते हुए कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, आतंकवाद के पीड़ितों और समर्थकों को एक ही तराजू पर नहीं तौला जा सकता है। मोदी ने कहा कि आतंकवाद के संबंध में कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, यदि हम ऐसा नहीं कर सकते तो स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठता है कि क्या हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को लेकर गंभीर हैं भी या नहीं?
प्रधानमंत्री ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत के साथ खड़े रहे और इसका समर्थन करने वाले मित्र देशों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। इस हमले में 26 नागरिक मारे गए थे। मोदी ने अपने संबोधन में गाजा की स्थिति पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, गाजा में मानवीय स्थिति बहुत चिंता का विषय है।
ग्लोबल साउथ दोहरे मानदंडों का शिकार हुआ
नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि ग्लोबल साउथ अक्सर दोहरे मानदंडों का शिकार हुआ है और विश्व अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान देने वाले राष्ट्रों को निर्णय लेने वाले मंच पर जगह नहीं मिल पाती है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) सहित प्रमुख वैश्विक संस्थाओं में तत्काल सुधार पर भी जोर दिया।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि 20वीं सदी में गठित वैश्विक संस्थाओं में विश्व की आबादी के दो-तिहाई हिस्से को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के बिना ये संस्थाएं ऐसे मोबाइल फोन की तरह लगती हैं, जिनके अंदर सिम कार्ड तो लगा हुआ है लेकिन नेटवर्क नहीं है।
वार्षिक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की शुरुआत समूह के सदस्य देशों के नेताओं द्वारा एक सामूहिक तस्वीर खिंचवाने के साथ हुई, जिसके बाद ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा ने अपना संबोधन दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ अक्सर दोहरे मानदंडों का शिकार हुआ है। चाहे वह विकास का मुद्दा हो, संसाधनों के वितरण या सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का मामला हो।
पहले पूर्ण सत्र में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने इस बात पर अफसोस जताया कि जलवायु वित्त, सतत विकास और प्रौद्योगिकी तक पहुंच जैसे मुद्दों पर ग्लोबल साउथ को अक्सर आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में जिन देशों का बड़ा योगदान है, उन्हें निर्णय लेने वाले मंच पर जगह नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि यह केवल प्रतिनिधित्व का सवाल नहीं है, बल्कि विश्वसनीयता और प्रभावशीलता का भी सवाल है।
मोदी ने कहा कि आज दुनिया को एक नयी बहुध्रुवीय और समावेशी व्यवस्था की जरूरत है और इसकी शुरुआत वैश्विक संस्थाओं में व्यापक सुधारों से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सुधार केवल प्रतीकात्मक नहीं होने चाहिए, बल्कि उनका वास्तविक प्रभाव भी दिखना चाहिए। शासन व्यवस्था, मताधिकार और नेतृत्व के पदों में बदलाव होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने तर्क दिया कि नीति-निर्माण में ग्लोबल साउथ के देशों की चुनौतियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स का विस्तार इस बात का प्रमाण है कि यह एक ऐसा संगठन है जो समय के अनुसार खुद को बदलने की क्षमता रखता है।
ग्लोबल साउथ से तात्पर्य उन देशों से है, जो प्रौद्योगिकी और सामाजिक विकास के मामले में कम विकसित माने जाते हैं। ये देश मुख्यतः दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित हैं। इसमें अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देश शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और बहुपक्षीय विकास बैंकों जैसी संस्थाओं में सुधार के लिए भी यही इच्छाशक्ति दिखानी होगी।
उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के युग में, जहां हर सप्ताह तकनीक का उन्नयन होता है, किसी वैश्विक संस्था का 80 वर्षों में एक बार भी अपडेट न होना स्वीकार्य नहीं है। मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के सॉफ्टवेयर को 20वीं सदी के टाइपराइटर से नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा अपने हितों से ऊपर उठकर मानव जाति के हित में काम करना अपना कर्तव्य माना है। मोदी ने कहा कि हम ब्रिक्स देशों के साथ मिलकर सभी विषयों पर रचनात्मक योगदान देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
क्या है BRICS के संयुक्त घोषणा-पत्र
17वें BRICS शिखर सम्मेलन का संयुक्त घोषणापत्र कि हम दुनिया के कई हिस्सों में चल रहे संघर्षों और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में ध्रुवीकरण और विखंडन की वर्तमान स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त करते हैं। हम मौजूदा प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हैं, जिसमें वैश्विक सैन्य खर्च में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है, जो विकासशील देशों को विकास के लिए पर्याप्त वित्तपोषण के प्रावधान के लिए हानिकारक है। हम एक बहुपक्षीय दृष्टिकोण की वकालत करते हैं जो महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर विविध राष्ट्रीय दृष्टिकोणों और पदों का सम्मान करता है, जिसमें सतत विकास, भूख और गरीबी का उन्मूलन और जलवायु परिवर्तन के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया में योगदान देना शामिल है, साथ ही जलवायु परिवर्तन एजेंडे के साथ सुरक्षा को जोड़ने के प्रयासों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। (भाषा) Edited by: Sudhir Sharma