तुर्की के इस्तांबुल में ऐतिहासिक हागिया सोफिया को मस्जिद में बदलने के बाद शुक्रवार को वहां पहली बार नमाज़ अदा की जाएगी।
कुछ दिनों पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने हागिया सोफिया को म्यूजियम से मस्जिद में बदलने का आदेश दिया था। हागिया सोफिया नाम की यह खूबसूरत इमारत सबसे पहले एक चर्च थी। बाद में इसे मस्जिद बना दिया गया। लेकिन तुर्की के संस्थापक अतातुर्क कमाल पाशा ने इसे एक म्यूजियम बना दिया था।
दरअसल, अतातुर्क कमाल पाशा तुर्की धर्म निरपेक्षता के पक्षधर थे। वे तुर्की को आधुनिक युरोपियन की तरह बनाना चाहते थे। वे चाहते थे कि तुर्की को दुनिया के दूसरे इस्लाम कट्टरपंथी देशों की तरह न देखा जाए। इसलिए हागिया सोफिया भी सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों के लिए खुला था। इसी वजह से तुर्की अब तक दुनिया के लिए ‘सेक्यूलरिज्म’ का एक प्रतीक था।
लेकिन अब तुर्की के वर्तमान राष्ट्रपति अर्दोआन ने इसे मस्जिद में बदल दिया है। उनकी सारी गतिविधिया इस्लामिक कट्टरपंथ की तरफ इशारा करती है। हागिया सोफिया को मस्जिद में बदलने के बाद दुनिया में कई देशों ने इसका विरोध भी किया था। खुद तुर्की के नोबेल प्राइज से सम्मानित लेखक ओरहान पामुक ने इस फैसले पर दुख और नाराजगी जताई थी।
लेकिन इसी महीने के शुरू में तुर्की की एक अदालत ने हागिया सोफ़िया म्यूज़ियम को मस्जिद में बदलने का फैसला सुनाया था। इसके बाद अर्दोआन ने घोषणा की कि विश्व प्रसिद्ध हागिया सोफ़िया में 24 जुलाई से नमाज़ अदा की जाएगी।