क्‍या आप जानते हैं Bluetooth की कहानी, कैसे पड़ा ये नाम और क्‍या है इसके पीछे का मध्‍यकालीन इतिहास?

नवीन रांगियाल
ब्‍लूटूथ डेटा ट्रांसफर की एक पुरानी तकनीक है, अब इंटरनेट के जमाने में इसका इस्‍तेमाल न के बराबर रह गया है, हालांकि एक दौर में ब्‍लूटूथ की अपनी एक उपयोगिता रही है।

लेकिन क्‍या आप जानते हैं यह नाम ब्‍लूटूथ कहां से आया, और क्‍या है इसके नाम के पीछे की कहानी।

अब हर किसी के फोन में ब्लूटूथ होता है, जिससे हम बिना किसी वायर के फाइल, फोटो आदि को ट्रांसफर करते हैं।

यह बेहद यूजर फ्रेंडली माना जाता है और इससे लंबे वक्त तक लोग डेटा ट्रांसफर करते रहे। अगर ‘ब्लूटूथ’ नाम को हिंदी में ट्रांसलेट करते हैं तो मतलब आता है ‘नीला दांत’

हालांकि आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका दांतों से कोई लेना देना नहीं है। इसके नाम के पीछे बेहद दिलचस्‍प कहानी है।

कैसे आया ये नाम, क्‍या है कहानी?
शायद ही आपको इस बात की जानकारी हो कि ‘ब्लूटूथ’ का नाम किसी तकनीक से जुड़े काम की वजह से नहीं, बल्कि एक राजा के नाम पर रखा गया है। हालांकि कुछ रिपोर्ट ये भी कहती हैं कि ब्लूटूथ के नाम के पीछे नीला दांत भी जुड़ा हुआ है।

दरअसल, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ब्लूटूथ की वेबसाइट पर भी इसका जिक्र है। इसमें बताया गया है कि ब्लूटूथ का नाम मध्ययुगीन स्कैंडिनेवियाई राजा के नाम पर पड़ा है। उस राजा का नाम था हेराल्‍ड ब्‍लूटूथ Harald Bluetooth Gormsson.

आपको यह भी बता दें कि डेनमार्क, नॉर्वे और स्वीडन देशों के राजाओं को स्कैंडिनेवियाई राजा कहा जाता है।
रिपोर्ट्स में सामने आया है कि उनका नाम blátǫnn था और यह डेनमार्क भाषा का नाम है। इसका अंग्रेजी में अर्थ ब्लूटूथ होता है। अब कहानी ये है कि राजा का नाम blátǫnn क्यों पड़ा था, जिसका मतलब है ब्लूटूथ यानी नीला दांत।

ये भी है एक कहानी
दरअसल, यूएसए टूडे और इकोनॉमिक्स टाइम्स की कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि राजा का नाम ब्लूटूथ इसलिए दिया गया था कि उनके एक दांत, जो नीले रंग का दिखता था, जो एक तरीके से डेड दांत था। ऐसे में इस राजा के इस नीले दांत से ब्लूटूथ का नाम ब्लूटूथ पड़ा है।

हालांकि वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में दांत वाली कहानी से कुछ अलग कहानी बताई गई है। लेकिन, यह बात तय है कि ब्लूटूथ का नाम राजा Harald Gormsson के नाम पर ही पड़ा था।

क्‍यों रखा गया राजा के नाम पर
ब्‍लूटूथ एक तकनीक से जुडा डि‍वाइस है। ऐसे में राजा के नाम से इसका नाम क्‍यों रखा गया, इसे लेकर भी कई सवाल हैं। कहा जा रहा है कि आखिर क्‍या वजह थी कि ब्लूटूथ के मालिक ने उस राजा के नाम पर ही इस तकनीका का नाम रखा।

कहा जाता है कि ब्लूटूथ के मालिक Jaap HeartSen, Ericsson कंपनी में Radio System का काम करते थे। Ericsson के साथ नोकिया, इंटेल जैसी कंपनियां भी इस पर काम कर रही थी। ऐसी ही बहुत सी कंपनियों के साथ मिलकर एक गठन या समीति बनाई गई, जिसका नाम SIG (Special Interest Group) रखा गया था।

इन सभी कम्पनी का उद्देश्य था, एक short-range wireless link के साथ PC और Cellular को एकजुट करना। फिर उसी वक़्त एक ऐतिहासिक किताब का ज़िक्र छिड़ा, जिसका नाम था The Longships by Frans G. Bengtsson. जो मध्ययुग के स्कैंडिनेवियाई राजा Harald Gormsson के ऊपर थी। जिन्होंने सन 940 से सन 986 तक डेनमार्क और नॉर्वे पर शासन किया। उस वक़्त कई मध्यकालीन शासकों की तरह उनका भी उपनाम Blatonn था, जिसका एक और मतलब भी था Bluetooth. वो अपने मूल नाम की जगह Harald Bluetooth के नाम से जाने जाते थे।

नाम ही नहीं, लोगो का भी है इतिहास
नाम की यह कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती, नाम के अलावा Bluetooth लोगो की भी अपनी कहानी है। इसका लोगो भी Harald Blatand नाम से लिया गया है, इमेज में आप देख सकते है की राजा Harald Blatand के समय के दो फेमस चिन्हों ᚼ और ᛒ को मिलाकर Bluetooth का logo तैयार किया गया है, जिसमे ᚼ का मतलब “H” और ᛒ का मतलब “B” से है।  इन दोनों को ब्लू बैकग्राउंड पर मिलाने के बाद आपको Bluetooth का logo नजर आ जाएगा।

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