चीन का चौंकाने वाला बयान, भारत से भागीदारी 'गहरी' हुई

Webdunia
गुरुवार, 12 जनवरी 2017 (07:13 IST)
बीजिंग। चीन ने एशिया प्रशांत सुरक्षा पर एक नीति दस्तावेज में भारत के साथ अपने संबंधों की एक अच्छी तस्वीर पेश करते हुए कहा है कि उनके बीच भागीदारी 'गहरी' हुई है, लेकिन परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य बनने तथा जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित कराने के भारत के प्रयास जैसे विवादास्पद मुद्दों का कोई जिक्र नहीं किया।
'एशिया प्रशांत सुरक्षा सहयोग पर चीन की नीतियों' शीर्षक वाले एक श्वेत पत्र में कहा गया कि चीन और भारत ने आदान-प्रदान में 'नई प्रगति' की है। इसने कहा, 'शांति एवं समृद्धि के लिए 2015 से चीन-भारत रणनीतिक एवं सहयोगात्मक भागीदारी और गहरी हुई है। दोनों देशों ने घनिष्ठ विकास भागीदारी स्थापित करने का लक्ष्य तय किया है और विभिन्न क्षेत्रों में आदान-प्रदान तथा सहयोग में नयी प्रगति की है और क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर करीबी संपर्क रखा है।'
 
हालांकि, नीति दस्तावेज में एनएसजी में भारत के प्रवेश के प्रयास पर मतभेद तथा अजहर को संयुक्त राष्ट्र से वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयास में बीजिंग द्वारा अड़ंगा लगाए जाने जैसे मुद्दों का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग तथा चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग के साथ विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर हुई बैठकों का उल्लेख करते हुए इसमें कहा गया है, 'दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय मामलों में संपर्क एवं समन्वय रखा है तथा संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स, जी..20, चीन-भारत-रूस तथा अन्य तंत्रों में सहयोग मजबूत किया है।'
 
दस्तावेज में कहा गया है, 'उन्होंने जलवायु परिवर्तन, डब्ल्यूटीओ दोहा बातचीत, उर्जा एवं खाद्य सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एवं आर्थिक संस्थानों में सहयोग किया है । इस तरह के सहयोग ने चीन, भारत और अन्य विकासशील देशों के समान हितों की रक्षा करने में मदद की है।' इसमें यह भी कहा गया कि करीबी संपर्क एवं आदान-प्रदान के साथ सैन्य संबंधों में भी सुधार हुआ है।
 
दस्तावेज में कहा गया, 'बढ़ते संपर्क एवं आदान-प्रदान के साथ चीन और भारत की सेनाओं के बीच संबंध स्वस्थ एवं सामान्य हैं।'
 
इसमें कहा गया कि अब तक रक्षा एवं सुरक्षा वार्ता के आठ दौर तथा छह संयुक्त आतंकवाद रोधी प्रशिक्षण अभ्यास हो चुके हैं । एशिया प्रशांत सुरक्षा स्थिति पर इसमें कहा गया कि शांति एवं विकास के लिए तेज गति के साथ कुल मिलाकर स्थिति स्थिर है। (भाषा)
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