वॉशिंगटन। अमेरिका के एक शीर्ष सांसद ने हिन्द-प्रशांत पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सांसदों से कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच तनाव 4 दशकों में सबसे खराब स्तर पर है। अमेरिका के हिन्द-प्रशांत कमान के एडमिरल जॉन एक्विलिनो का यह बयान बुधवार को तब आया है, जब भारत और चीन के बीच 11 मार्च को 15वें दौर की उच्चस्तरीय वार्ता होनी है। सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता बढ़ती जा रही है।
उन्होंने सदन की सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से कहा कि पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) और भारत के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव 4 दशकों से भी ज्यादा समय में सबसे खराब स्तर पर हैं। एक्विलिनो ने कहा कि अक्टूबर 2021 में चीनी संसद ने भूमि सीमा कानून पारित किया था जिसमें पवित्र और अलंघनीय संप्रभुत्ता और क्षेत्रीय अखंडता की बात कही गई और सीमा सुरक्षा में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की वृहद संलिप्तता के लिए घरेलू वैध रूपरेखा मुहैया कराई गई।
हिन्द-प्रशांत सुरक्षा मामलों के लिए सहायक रक्षामंत्री एली रटनेर ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के घटनाक्रम पर अमेरिका करीबी नजर रख रहा है। कांग्रेस सदस्य एंडी किम के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत को एलएसी पर चीन से कड़े हालात का सामना करना पड़ा है।
एक्विलिनो ने गलवान घाटी में झड़प का संदर्भ देते हुए कहा कि चीन ने भारत की ओर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों की जान ली। इस झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। पिछले साल फरवरी में चीन ने आधिकारिक रूप से माना था कि भारतीय सेना के साथ झड़पों में 5 चीनी सैन्य अधिकारी और सैनिक मारे गए थे।
एक्विलिनो ने कहा कि चीन, अमेरिका तक मार करने में सक्षम पारंपरिक हथियार बनाते हुए वैश्विक सैन्य शक्ति बनना चाहता है और ताइवान पर कब्जा जमाने की क्षमता हासिल करना चाहता है। भारतीय अधिकारियों के मुताबिक भारत और चीन टकराव वाले बाकी के इलाकों में 22 महीने से चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए लद्दाख में चुशुल मोल्दो बैठक केंद्र में अगले चरण की सैन्य वार्ता करेंगे।