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ट्रंप प्रशासन के तहत भारत की स्थिति अपेक्षाकृत काफी अच्छी, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति भारत को समस्या के रूप में नहीं देखते

कई मुद्दों पर भारत वास्तव में सीधे-सीधे प्रभावित नहीं होने जा रहा है, क्योंकि ट्रंप भारत को एक समस्या के रूप में नहीं देखते हैं

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

वॉशिंगटन , शुक्रवार, 17 जनवरी 2025 (12:39 IST)
Donald Trump administration: अमेरिका में जाने-माने भारतवंशी विशेषज्ञ ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trum) प्रशासन के अंतर्गत अपेक्षाकृत रूप से भारत की स्थिति काफी अच्छी है। उन्होंने कहा कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति भारत को समस्या के रूप में नहीं देखते हैं, लेकिन शुल्क और वैध आव्रजन (immigration) के मुद्दे पर बाधाएं आ सकती हैं।
 
'ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) अमेरिका' के कार्यकारी निदेशक ध्रुव जयशंकर ने ट्रंप (78) के राष्ट्रपति पद के लिए शपथ ग्रहण से कुछ दिन पहले 'पीटीआई-भाषा' को दिए साक्षात्कार में कहा कि मैं हमेशा कहता हूं कि भारत, ट्रंप प्रशासन के तहत अपेक्षाकृत काफी बेहतर स्थिति में है। डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे।ALSO READ: गल्फ ऑफ मेक्सिको का नाम बदलकर गल्फ ऑफ अमेरिका करेंगे ट्रंप, जानिए क्यों?
 
ट्रंप की मांगें क्या हैं? : जयशंकर की पुस्तक 'विश्व शास्त्र' हाल में बाजार में आई है। उन्होंने कहा कि ट्रंप की मांगें क्या हैं? उनका कहना है कि अमेरिकी सहयोगी मुफ्त में बहुत कुछ पा रहे हैं जबकि उन्हें और अधिक करना चाहिए। उन्हें विदेशी सहायता पसंद नहीं है। इसलिए कई मुद्दों पर भारत वास्तव में सीधे-सीधे प्रभावित नहीं होने जा रहा है, क्योंकि वे भारत को एक समस्या के रूप में नहीं देखते हैं।
 
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि 2 मुद्दे हैं, जहां कुछ रुकावटें आएंगी। एक, कुछ व्यापार मुद्दों पर, जहां भारत अमेरिका के साथ काफी बड़ा व्यापार अधिशेष प्राप्त करता है। ट्रंप से जुड़े कुछ लोगों का मानना ​​है कि भारत अनियंत्रित व्यापार प्रथाओं में शामिल है जबकि भारत का कहना है कि ऐसा नहीं है और वे इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि भारत वास्तव में दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए शुद्ध आयातक है। यह एक उपभोक्ता-आधारित अर्थव्यवस्था है।ALSO READ: ट्रंप 2.0 और AI के इर्दगिर्द घूमेगा साल 2025, जानिए चुनौतियों से निपटने के लिए क्या है भारत की तैयारी
 
उन्होंने कहा कि इसलिए मुझे लगता है कि पहले कुछ महीनों में बातचीत मुश्किल होगी, लेकिन उम्मीद है कि जल्द यह एक अच्छी स्थिति में पहुंच जाएगी। 6 महीने या 1 साल के भीतर हम किसी तरह का व्यापक समझौता कर लेंगे, जहां दोनों पक्ष आर्थिक जुड़ाव की शर्तों को समझेंगे।
 
जयशंकर ने कहा कि दूसरा मुद्दा अप्रवास का है : जयशंकर ने कहा कि दूसरा मुद्दा अप्रवास का है, जो मुश्किल हो सकता है। जाहिर है कि यह बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों के मामले में बहुत स्पष्ट है, लेकिन मुझे लगता है कि वैध प्रवास का सवाल भी अमेरिका में पहले से ही एक मुद्दा बन चुका है। ये 2 ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर मेरी नजर रहेगी। इसलिए यह ऐसा रिश्ता नहीं है जिसमें कुछ अड़चनें नहीं हों। लेकिन मुझे लगता कि यह रिश्ता सकारात्मक दिशा में बना रहेगा।ALSO READ: भारत से पंगा, ट्रंप की ट्रैरिफ धमकियां, कनाडा में जस्टिस ट्रूडो की 10 साल पुरानी सत्ता का अंत, 11 साल से थे लिबरल पार्टी के प्रमुख
 
चीन पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह (चीन) ट्रंप प्रशासन की सबसे बड़ी अनिश्चितताओं में से एक है। उन्होंने कहा कि कम से कम अब तक घोषित नियुक्तियों के आधार पर सबसे प्रमुख दृष्टिकोण यह है कि चीन को अमेरिका के एक व्यवस्थित प्रतियोगी के रूप में देखा जाता है।
 
उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो मानते हैं कि चीन एक प्रतिस्पर्धी बना हुआ है। उनका कहना है कि अमेरिका को वास्तव में अन्य क्षेत्रों, यूरोप और पश्चिम एशिया में अपनी मौजूदगी या तो खत्म कर लेनी चाहिए या फिर कम कर लेनी चाहिए।(भाषा)

Edited by: Ravindra Gupta

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