वॉशिंगटन। कश्मीर को दो हिस्सों में बांटकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने और इसे विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने के भारत सरकार के फैसले से पाकिस्तान तिलमिला उठा है। पाकिस्तान के अंदर भी उसी तरह के स्वायत्त क्षेत्र की मांग जोर पकड़ने लगी है, जो स्वायत्तता अब तक जम्मू एवं कश्मीर को मिली हुई थी।
भारत सरकार के फैसले पर पाकिस्तान ने जहां बौखलाहटभरी प्रतिक्रिया दी और कहा कि मोदी सरकार ने 'गलत समय' पर 'खतरनाक खेल' खेला है, वहीं वॉइस ऑफ कराची ने देश के भीतर स्वायत्त 'ग्रेटर कराची' की मांग की है। अमेरिका में रहकर अपनी गतिविधियां चलाने वाले इस समूह का कहना है कि पाकिस्तान को तब तक कश्मीरियों के हक के लिए बोलने का कोई अधिकार नहीं है, जब तक कि वह खुद अपने यहां मुहाजिर, बलूच, पश्तून और हजारा समुदाय के लोगों को उनके अधिकार नहीं दे देता।
खबरों के अनुसार अमेरिका में आत्मनिर्वासन में रह रहे वॉइस ऑफ कराची के चेयरमैन नदीम नुसरत ने कहा कि पाकिस्तान को किसी भी क्षेत्रीय या अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीरियों के बारे में बोलने का कोई हक नहीं है, क्योंकि उसने खुद अपने नागरिकों को उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित कर रखा है। उन्होंने कहा कि 'पाकिस्तान कश्मीर में जनमत संग्रह की बात करता है, लेकिन क्या वह यही अधिकार अपने यहां के उन अल्पसंख्यकों को देने के लिए तैयार है, जो सांस्कृतिक व जातीय भिन्नता के कारण हाशिए पर हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार के कई मंत्री व शीर्ष अधकारी विदेशों में कश्मीरी अलगाववादी नेताओं से मिलते रहे हैं और वहां अस्थिरता को बढ़ावा देते रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के पुनर्गठन की मांग को लेकर जल्द ही प्रयास शुरू किए जाएंगे, जो 1940 के लाहौर रिजॉल्यूशन और मुहाजिर, बलूच, पश्तून व गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों की अकांक्षाओं के अनुरूप होगा।