रूसी राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट का गिरफ्तारी वारंट

Webdunia
शुक्रवार, 17 मार्च 2023 (22:56 IST)
मॉस्को। अंतरराष्ट्रीय अदालत (International Criminal Court) ने यूक्रेन में कार्रवाई को लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इंटरनेशनल कोर्ट के इस कदम से रूस बुरी तरह भड़क गया है। उसने इसे अपमानजनक बताया है। 
 
क्रेमलिन प्रवक्ता ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की गिरफ्तारी के लिए वारंट अपमानजनक और अस्वीकार्य, आईसीसी का फैसला कानूनी तौर पर अमान्य है। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने पुतिन को युद्ध अपराध का आरोपी मानते हुए उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।

वहीं, पुतिन के प्रेस सचिव दमित्री पेस्कोव ने अंतरराष्ट्रीय अदालत के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि हम इस अदालत और उसके क्षेत्र को मान्यता नहीं देते।
 
नीदरलैंड के हेग में स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ने कहा है कि इस बात पर विश्वास करने के लिए उचित आधार हैं कि पुतिन युद्ध अपराध के लिए जिम्मेदार हैं। यह भी कहा गया है कि पुतिन नागरिक और सैन्य अधीनस्थों पर ठीक से नियंत्रण करने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं।

यूक्रेन ने सराहना की : वहीं, यूक्रेन ने अदालत के फैसले की सराहना की है। उसने इसे संपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कानून प्रणाली के लिए ऐतिहासिक बताया है। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का यह फैसला तब आया है, जब एक दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र की इन्वेस्टिगेटिव बॉडी ने रूस पर यूक्रेन में व्यापक युद्ध अपराध करने का आरोप लगाया था। जिसमें जानबूझकर हत्याएं करना और यातनाएं देना शामिल है। कोर्ट के अभियोजन करीम खान ने एक साल पहले यूक्रेन में संभावित युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराधों और नरसंहार की जांच शुरू की थी। 
 
युद्ध विश्व व्यवस्था के खिलाफ : फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री एडवर्ड फिलिप ने शुक्रवार को भारत में कहा कि रूस का यूक्रेन पर किया गया हमला विश्व व्यवस्था के खिलाफ ‘जानबूझकर किया गया बलप्रयोग’ है और यह केवल यूरोप की समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि अलोकतांत्रिक चीन के नेतृत्व वाली दुनिया में रहना अमेरिका नीत दुनिया में रहने के समान नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि अगर कोई यह सोचता है कि यूक्रेन की स्थिति यूरोप का मामला है, तो मैं आपको बता देना चाहता हूं कि यह ऐसा नहीं है। यह जानबूझकर कर संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र, विश्व व्यवस्था और संप्रभु देशों की लोकतांत्रिक आकांक्षा के खिलाफ बल प्रयोग है। यह इन सभी पर बड़ा हमला है।

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