मैक्सिको की युवती अमेरिका में ग्रहण करेगी जैन साध्वी की दीक्षा

Webdunia
- शोभना जैन
 
डलास, अमेरिका। भारतीय वधू की पारंपरिक परिधान पहने मैक्सिको की एक युवती, लेकिन यह युवती विवाह करने नहीं जा रही है, बल्कि कुछ ही क्षणों में वह वधू की साज-सज्जा छोड़ साध्वी का वेश धारण कर लेगी और संन्यास में विधिवत प्रवेश कर जाएगी। मैक्सिको की 33 वर्षीय युवती तान्या मेंज आगामी 9 जुलाई को जैन साध्वी की दीक्षा ग्रहण करने जा रही है।
  
अमेरिका के जैन तीर्थ सिद्धायतन की साध्वी सिद्धाली श्री के अनुसार, पिछले चार वर्षों से सुश्री तान्या इस तीर्थ में संन्यासी की अभ्यास साधना कर रही हैं। जैन साध्वी सिद्धाली श्री के अनुसार, सुश्री तान्या एक सफल प्रोफेशनल रही हैं। 
 
2 वर्ष की आयु में उनका परिवार अमेरिका आ बसा और यहां उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट व अनेक उच्चतर शिक्षा के पाठ्यक्रम पढ़े और उच्च पदासीन हुईं, दुनिया घूमी, लेकिन संसार यात्रा से अलग हटकर अध्यात्म की यात्रा उन्हें आकर्षित करने लगी थी, चार वर्ष पूर्व पहली बार सिद्धायतन तीर्थ आईं और यहां से उनके जीवन की दिशा ही बदल गई।
 
जैन दर्शन, तप और साधना से प्रभावित होकर यहां आचार्य श्री योगीश के आशीर्वाद से जैन साध्‍वी बनने का संकल्प लिया, साधु आश्रम में रहते हुए जैन साधु परंपरा का पालन करते हुए वे शाकाहारी बनीं, जहां अहिंसा, प्रेम, करुणा उनके जीवन का मूलमंत्र बना। सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान एवं सम्यक चरित्र के सिद्धांतों का पालन करते हुए उन्होंने आचार्य और गुरुजनों के आशीर्वाद से आत्मकल्याण के जरिए जन कल्याण की राह चुनी। 
 
इस अवसर पर अपने आशीर्वचन में आचार्य श्री ने कहा कि अब सुश्री तान्या साध्वी का जीवन अपनाकर स्वयं को पूरी तरह से मानवता के लिए समर्पित कर रही हैं और अध्यात्म, अहिंसा और शांति के संदेश का पूरी दुनिया में प्रसार ही उनके जीवन का ध्‍येय है। 
 
साध्वी सिद्धाली श्री के अनुसार, साध्वी बनने के संकल्प लेने के बाद से सुश्री तान्या सिद्धायतन तीर्थ में ही रह रही हैं और उन्होंने अपना शेष जीवन जैन दर्शन और जैन सिद्धांत को समर्पित कर दिया है। साध्वी श्री के अनुसार, आगामी 9 जुलाई को साधु-संतों, अपने परिजनों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति में सुश्री तान्या आचार्य श्री योगीश से पूरे विधि-विधान से साध्वी की दीक्षा ग्रहण कर लेंगी। 
 
एक जैन श्रद्धालु के अनुसार, इस अवसर पर सुश्री तान्या पहले जैन साधु परंपरा अनुसार वधू की वेशभूषा में सुसज्जित होंगी, लेकिन फौरन ही दुल्‍हन वेश त्यागकर साध्वी के सफेद वस्त्र धारण कर लेंगी और सांसारिक इच्छाओं, बंधनों का त्याग कर जैन दर्शन के सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए  जीवन को समर्पित कर देंगी। (वीएनआई) 
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