कोरियाई छात्रों में हिन्दी पढ़ने की ललक बढ़ी

Webdunia
सोमवार, 3 जुलाई 2017 (17:32 IST)
सोल (दक्षिण कोरिया)। भारत में दक्षिण कोरिया की कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खुलने के कारण  कोरियाई छात्रों में हिन्दी सीखने की ललक बढ़ी है। अब काफी कोरियाई छात्र हिन्दी सीखने लगे हैं तथा भारतीय संस्कृति एवं समाज के बारे में भी अध्ययन करने लगे हैं। 
              
यह  कहना है जामिया विश्विद्यालय में हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रोफेसर डॉ. महेंद्र पाल  शर्मा का जो भारत से यहां कोरियाई छात्रों को हिन्दी सीखाने आए हैं। सोल में स्थित हंकुंक विदेशी अध्ययन  विश्विद्यालय में हिंदी के अतिथि प्रोफेसर डॉ. शर्मा ने बताया कि नई आर्थिक नीति के बाद भारत में पूंजी निवेश होने और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खुलने का एक नतीजा यह हुआ कि विदेशी लोग भी अब हिन्दी सीखने लगे क्योंकि उन्हें भारत में रहकर काम करना है। 
 
भारत में दक्षिण कोरिया की कई कम्पनियां खुली हैं। भारत में दक्षिण कोरिया की सैमसंग, एलजी,  हुंडई तथा देवू मोटर्स जैसी ऑटोमोबाइल्स कंपनियों ने बड़ी तादाद में पैर पसार लिए हैं और इनके उत्पाद आज लगभाग  हर  मध्यवर्गीय भारतीयों के घरों में हैं। भारत में इलेक्ट्रोनिक्स चीज़ों  विशेषकर मोबाइल का बाज़ार बढ़ा है। इसके अलावा पास्को खनन और वूरी बैंकिंग के क्षेत्र में सक्रिय है। इस तरह दक्षिण कोरिया के इंजीनियरों, टेक्‍नीशियनों और प्रबंधकों की बड़ी फौज हर साल  भारत आती है। ऐसे में उनके लिए हिन्दी सीखना अब अनिवार्य हो गया है। 
                
उन्होंने कहा कि भारत के साथ दक्षिण कोरिया का जितना बड़ा व्यापार है उतना भारत का दक्षिण कोरिया के साथ नहीं है। दक्षिण कोरिया के लिए व्यापार बहुत जरूरी है। इसलिए वे लोग हिन्दी सीखने पर जोर दे रहे हैं। हंकुंक विदेशी अध्ययन विश्विद्यालय से अब तक बड़ी संख्या में कोरियाई छात्र हिन्दी सीख चुके हैं और वे भारत में कार्यरत हैं। पिछले एक सत्र में 75 छात्रों को हिन्दी में  दक्ष किया जा चुका है। कई छात्र भारतीय भाषा में पीएचडी भी करते हैं।  
                
उन्होंने बताया कि सभी छात्र बहुत मेहनती हैं और अपने घर से अलग कैंपस में रहकर हिन्दी सीखते हैं। यहां पर सुबह साढ़े नौ बजे से शाम साढ़े चार बजे तक हिन्दी के लेक्चर होते हैं। छात्रों का बीच बीच में मौखिक और लिखित टेस्ट भी होता है। उन्होंने कहा कि यहां के छात्र बहुत सजग होते हैं और सवाल बहुत पूछते हैं। इसलिए मुझे भी तैयार होकर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मुझे जामिया विश्‍वविद्यालय से अधिक आनंद इन छात्रों को पढ़ाकर आया। उन्होंने कहा कि यहां पर स्मार्ट क्लास रूम हैं जिसमें हर तरह की सुविधाएं हैं, जबकि हमारे देश में इतनी सुविधाएं नहीं हैं। 
              
उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया के लोगों की राजनीति में उतनी रुचि नहीं होती, जितनी भारत के लोगों की दिलचस्पी होती है। यहां के लोग व्यापार में अधिक जोर देते हैं। इसलिए दक्षिण कोरिया की कंपनियां आज दुनियाभर में छाई हुई हैं। (वार्ता)  
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