कुलभूषण जाधव केस पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस में सुनवाई

Webdunia
सोमवार, 15 मई 2017 (13:18 IST)
नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान करीब 18 साल बाद एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में हैं। इस बार मामला भारत के कुलभूषण जाधव को एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाने के खिलाफ भारत द्वारा आईसीजे का दरवाजा खटखटाए जाने का है, जबकि 18 साल पहले इस्लामाबाद ने अपने एक नौसैनिक विमान को मार गिराए जाने के बाद उससे हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी। सोमवार को कोर्ट में इस केस की सुनवाई है।
 
नीदरलैंड्स के हेग में संयुक्त राष्ट्र के प्रधान न्यायिक अंग आईसीजे के पीस पैलेस के ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस में जन सुनवाई होगी जहां विवादित जाधव मामले पर दोनों पक्षों से अपना मत रखने को कहा जाएगा।
 
भारत ने आठ मई को आईसीजे में याचिका दायर कर 46 वर्षीय कुलभूषण जाधव के लिए न्याय की मांग की थी। भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने पूर्व नौसैनिक अधिकारी से दूतावास संपर्क के लिए दिए गए 16 आवेदनों की अनदेखी कर वियना संधि का उल्लंघन किया।
 
पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने पिछले महीने जाधव को कथित तौर पर जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। पाकिस्तान ने जाधव के परिवार द्वारा वीजा के लिए किए गए आवेदन पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जाधव को पिछले साल तीन मार्च को गिरफ्तार किया गया था।
 
इससे पहले 10 अगस्त 1999 को कच्छ क्षेत्र में भारतीय वायु सेना ने एक पाकिस्तानी समुद्री टोही विमान एटलांटिक को मार गिराया था। विमान में सवार सभी 16 नौसैनिकों की मौत हो गई थी. पाकिस्तान का दावा था कि विमान को उसके वायुक्षेत्र में मार गिराया गया और उसने भारत से 6 करोड़ अमेरिकी डालर के मुआवजे की मांग की। अदालत की 16 जजों की पीठ ने 21 जून 2000 को 14-2 से पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया था।
 
गौरतलब हैकि कुलभूषण जाधव को 3 मार्च, 2016 को ईरान से पाकिस्तान में अवैध घुसपैठ के चलते गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान का दावा था कि वह एक रिसर्च एंड एनैलेसिस विंग (रॉ) एजेंट है. जबकि भारतीय नागरिक जाधव कानूनी तौर पर ईरान में अपना व्यापार करते थे।
 
पिछले साल जाधव के कथित कबूलनामे का एक वीडियो भी पाकिस्तान ने जारी किया था। अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में वीडियो पर सवाल उठाए गए थे। वीडियो के सामने आने के बाद दावा किया गया कि 358 सेकेंड के इस वीडियो में 102 कट थे। कई जानकारों ने दावा किया कि जाधव से मजबूरन आरोपों को कबूल करवाया गया था।
 
कथित वीडियो में जाधव कहते हैं, वे दिसंबर 2001 तक इंडियन नेवी में रहे। भारत में संसद पर हुए हमले के बाद डोमेस्टिक इंटेलिजेंस जुटाई गई। जिसके बाद उन्होंने 2003 में इंडियन इंटेलिजेंस सर्विस जॉइन की. जाधव कहते हैं कि वह ईरान से बलूचिस्तान में टेररिस्ट एक्टिविटीज को बढ़ावा दे रहे थे।
 
वीडियो में जाधव ने यह भी बताया कि वह 2013 में रॉ में शामिल हुए थे. भारत सरकार ने कथित वीडियो और पाकिस्तान के आरोपों को सिरे खारिज कर दिया था। हालांकि भारत सरकार ने इस बात को कबूला था कि जाधव भारतीय नागरिक हैं और भारतीय नौसेना में काम कर चुके हैं।
 
भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक, जाधव कानूनी तौर पर ईरान में अपना व्यापार करते थे। उन्हें जबरन हिरासत में लेकर परेशान किया गया। भारत ने कहा था कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया और पाकिस्तान ये बताने में नाकाम रहा कि वो पाकिस्तान कैसे पहुंचे?
 
जासूसी का दोषी मानते हुए पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने 10 अप्रैल को जाधव को फांसी की सजा सुनाई। 11 अप्रैल को भारत के गृहमंत्री और विदेश मंत्री ने संसद में कुलभूषण जाधव को वापस लाने का दावा किया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि एक निर्दोष भारतीय नागरिक को गलत आरोपों के साथ सजा देने की कोशिश की जा रही है, इसे भारत सुनियोजित हत्या मानेगा। सुषमा ने कहा कि कुलभूषण बिल्कुल निर्दोष है और हर हाल में उसे वापस लाने के लिए सरकार कदम उठाएगी।
 
10 मई को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने कुलभूषण की फांसी पर रोक लगा दी। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने इस मामले में 15 मई को सुनवाई करने का फैसला किया था। कोर्ट ने दोनों देशों से अपना-अपना पक्ष रखने की अपील की थी। (भाषा)
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