कोलंबो। श्रीलंका की एक अदालत ने सोमवार को महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने से रोक दिया। यह कदम राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के लिए बड़ा झटका है जिन्होंने एक विवादास्पद निर्णय के तहत रानिल विक्रमसिंघे के स्थान पर राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
'कोलंबो गजट' ने खबर दी कि अपीलीय अदालत ने राजपक्षे और उनकी सरकार के खिलाफ नोटिस जारी किया और अंतरिम आदेश दिया जिसमें उन्हें प्रधानमंत्री, कैबिनेट और उपमंत्रियों के तौर पर काम करने से रोका गया है।
राजपक्षे और उनकी सरकार के खिलाफ 122 सांसदों द्वारा दायर याचिका पर आदेश पारित किया गया। श्रीलंका में 26 अक्टूबर से राजनीतिक संकट चल रहा है, जब राष्ट्रपति सिरिसेना ने विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया था और उनकी जगह राजपक्षे को नियुक्त कर दिया था।
सिरिसेना ने बाद में संसद का कार्यकाल खत्म होने से करीब 20 महीने पहले ही उसे भंग कर दिया और चुनाव कराने के आदेश दिए। उच्चतम न्यायालय ने संसद भंग करने के सिरिसेना के निर्णय को पलट दिया और मध्यावधि चुनावों की तैयारियों पर रोक लगा दी थी। विक्रमसिंघे और राजपक्षे दोनों प्रधानमंत्री होने का दावा करते हैं। विक्रमसिंघे का कहना है कि उनकी बर्खास्तगी अवैध है, क्योंकि 225 सदस्यीय संसद में उनके पास बहुमत है। (भाषा)