प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ माल्या की अपील खारिज, भारत को सौंपने में हो सकता है और विलंब

Webdunia
मंगलवार, 21 अप्रैल 2020 (07:22 IST)
लंदन। कोरोना वायरस महामारी के चलते भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को ब्रिटेन से वापस लाने में कुछ ज्यादा समय लग सकता है जबकि ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ माल्या की अपील सोमवार को खारिज कर दी।
ALSO READ: सट्टेबाज चावला के गिरफ्त में आने के बाद घबराया विजय माल्या, बैंकों से की हाथ जोड़कर अपील
लंदन में रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने अपने फैसले में कहा कि 64 साल के माल्या के खिलाफ भारत में 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के संदर्भ में वहां की अदालतों में जवाब देने को लेकर प्रथम दष्ट्या मामला बनता है।

हालांकि प्रत्यर्पण मामलों के एक विशेषज्ञ का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लागू शारीरिक दूसरी सबंधी नियमों को देखते हुए प्रत्यर्पण की कार्रवाई में मानवाधिकार की पेंच लग सकती है। उनके अनुसार यहां मानवाधिकारों पर यूरोपीय संधि के अनुच्छेद 3 का मामला बनता है, क्योंकि ब्रिटेन इस संधि में शामिल है। यह अनुच्छेद अमानवीय और अनुचित व्यवहार या दंड से संबद्ध है।
 
अधिवक्ता और गुयेरनिका 37 इंटरनेश्नल जस्टिस चैंबर्स के सहसंस्थापक टोबी कैडमैन ने कहा कि समयसीमा के संदर्भ में अब चीजें काफी हद तक कारोना वायरस के कारण अटकती जान पड़ रही हैं। सवाल यह है कि अगर किसी व्यक्ति को उस देश में भेजा जाता है, जहां उसे ऐसे माहौल में हिरासत में रखा जा सकता है, जहां कोरोना वायरस संक्रमण का जोखिम है तो क्या यह अनुच्छेद 3 का उल्लंघन नहीं होगा?
 
रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के न्यायाधीश स्टीफन इरविन और न्यायाधीश एलिजाबेथ लांग की 2 सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में माल्या की अपील खारिज कर दी। उच्च न्यायालय ने कहा कि हमने प्रथम दृष्टि में गलतबयानी और साजिश का मामला पाया और इस प्रकार प्रथम दृष्ट्या मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला बनता है।
 
उच्च न्यायालय में अपील खारिज होने से माल्या का भारत प्रत्यर्पण का रास्ता बहुत हद तक साफ हो गया है। उसके खिलाफ भारतीय अदालत में मामले हैं। उसके पास अब ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में अपील के लिए मंजूरी का आवेदन करने के लिए 14 दिन का समय है।
 
अगर वह अपील करता है तो ब्रिटेन का गृह मंत्रालय उसके नतीजे का इंतजार करेगा लेकिन अगर उसने अपील नहीं की तो भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि के तहत अदालत के आदेश के अनुसार 64 साल के माल्या को 28 दिनों के भीतर भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है।
 
प्रत्यर्पण से जुड़े चर्चित मामलों से जुड़े रहे कैडमैन ने कहा कि यह मामला काफी ऊपर पहुंच गया है। मुख्य मजिस्ट्रेट और अब उच्च न्यायालय में सुनवाई तथ्यों के आधार पर हुआ है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने साफ कहा है कि अगर मुख्य मजिस्ट्रेट के पास जाना गलत था, उनका निर्णय गलत नहीं था। इसीलिए 
साफ है कि माल्या को अब उच्चतम न्यायालय में मामले को ले जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
 
कैडमैन ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर माल्या इस आधार पर प्रत्यर्पण के खिलाफ मानवाधिकार पर यूरोपीय अदालत में जा सकते हैं कि उनके साथ उचित व्यवहार नहीं होगा और उन्हें ऐसी स्थिति रखा सकता है जिससे अनुच्छेद 3 का उल्लंघन होगा। इस संधि पर ब्रिटेन ने भी हस्ताक्षर कर रखा है। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

PAN 2.0 Project : अब बदल जाएगा आपका PAN कार्ड, QR कोड में होगी पूरी कुंडली

तेलंगाना सरकार ने ठुकराया अडाणी का 100 करोड़ का दान, जानिए क्या है पूरा मामला?

Indore : सावधान, सरकारी योजना, स्कीम और सब्सिडी के नाम पर खाली हो सकता है आपका खाता, इंदौर पुलिस की Cyber Advisory

क्‍या एकनाथ शिंदे छोड़ देंगे राजनीति, CM पर सस्पेंस के बीच शिवसेना UBT ने याद दिलाई प्रतिज्ञा

संभल विवाद के बीच भोपाल की जामा मस्जिद को लेकर दावा, BJP सांसद ने शिव मंदिर होने के दिए सबूत

सभी देखें

नवीनतम

तमिलनाडु के कई हिस्सों में भारी बारिश, कुछ जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद, चक्रवात तूफान की आशंका, NDRF तैनात

कर्नाटक मंत्रिमंडल में होगा फेरबदल, डिप्टी सीएम शिवकुमार ने दिया संकेत

पाकिस्तान में गृह युद्ध जैसे हालात, सेना से भिड़े इमरान खान के समर्थक, 6 की मौत, 100 से अधिक घायल

कांग्रेस का केंद्र सरकार पर अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे के नागरिक बनाने की साजिश का आरोप

Sambhal Violence: संभल हिंसा, SP नेता का आरोप- बरामद हथियारों से गोली चलाती है UP पुलिस

अगला लेख