न्यूयॉर्क। विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा है कि दीर्घकालिक स्थाई ऐतिहासिक संबंधों के कारण और निकटतम पड़ोसी होने के नाते भारत के लिए अफगानिस्तान का घटनाक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने रेखांकित किया कि वहां विभिन्न परियोजनाओं में नई दिल्ली का 3 अरब डॉलर का निवेश अफगान लोगों की भलाई के लिए है।
लेखी ने कहा कि भारत की ओर से अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में विकास और कल्याणकारी परियोजनाओं का क्रियान्वयन वहां के लोगों के कल्याण पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, दीर्घकालिक स्थाई ऐतिहासिक संबंधों के कारण और निकटतम पड़ोसी होने के नाते, अफगानिस्तान का घटनाक्रम हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विदेश राज्यमंत्री ने कहा कि पिछले महीने सुरक्षा परिषद की भारत की अध्यक्षता के तहत संयुक्त राष्ट्र निकाय ने प्रस्ताव 2593 को अंगीकार किया, जिसमें स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी देश के लिए खतरा पैदा करने, हमला करने, आतंकवादियों को शरण देने, प्रशिक्षित करने अथवा आतंकवादी कृत्यों की योजना या वित्त पोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, यह विशेष रूप से रेखांकित करता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1267 के तहत घोषित आतंकवादियों, व्यक्तियों और संस्थाओं, जिसका भारत के लिए प्रत्यक्ष महत्व हो, को अफगानिस्तान के क्षेत्र में समर्थन नहीं मिलना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के दौरान तालिबान ने अगस्त के मध्य में युद्धग्रस्त अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा कर पश्चिम समर्थित निर्वाचित सरकार को अपदस्थ कर दिया था। लेखी ने कहा कि प्रस्ताव में विशेष रूप से अफगान महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों को बनाए रखने के संबंध में स्पष्ट प्रावधान हैं।
लेखी ने कहा, यह (प्रस्ताव) विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह बातचीत से समावेशी समाधान और अफगानिस्तान के वास्ते तत्काल मानवीय सहायता की बात भी कहता है। ये सभी प्रमुख पहलू हैं, जिन्हें भारत द्वारा लगातार रेखांकित किया गया है और यह हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप है।
गौरतलब है कि अगस्त महीने में भारत की अध्यक्षता के तहत सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान पर तीन चर्चा सत्र आयोजित किए और 3, 16 तथा 27 अगस्त को तीन प्रेस वक्तव्य जारी किए। इनमें आखिरी बयान में 26 अगस्त को काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास हुए हमलों की कड़ी निंदा की गई थी।
भारत की अध्यक्षता के अंतिम दिन, सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान पर एक ठोस प्रस्ताव अंगीकार किया जिसमें कहा गया है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग किसी भी देश के लिए खतरा उत्पन्न करने या हमला करने या आतंकवादियों को शरण देने या प्रशिक्षित करने अथवा आतंकवादी कृत्यों की योजना बनाने या वित्त पोषण करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
यह इसके साथ ही प्रस्ताव 1267 (1999) के तहत घोषित आतंकवादियों, व्यक्तियों तथा संस्थाओं सहित अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को दोहराता है तथा तालिबान की प्रासंगिक प्रतिबद्धताओं का उल्लेख करता है।
भारत वर्तमान में 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का दो साल के लिए अस्थाई सदस्य है। अगस्त में इसने एक महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र निकाय की अध्यक्षता ग्रहण की थी। तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की स्थिति पर परिषद द्वारा अपनाए गए पहले प्रस्ताव के साथ भारत की अध्यक्षता संपन्न हो गई थी।(भाषा)