इजराइल : 12 साल बाद नेतन्याहू का शासन खत्म, जानें कौन हैं इजराइल के नए प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट?

Webdunia
सोमवार, 14 जून 2021 (07:10 IST)
यरुशलम। नफ्ताली बेनेट ने रविवार को इजराइल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही 12 साल से प्रधानमंत्री पद पर काबिज बेंजामिन नेतन्याहू का कार्यकाल खत्म हो गया।
 
संसद में बहुमत हासिल करने के बाद दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के 49 वर्षीय नेता बेनेट ने रविवार को शपथ ली। नई सरकार में 27 मंत्री हैं जिनमें से 9 महिलाएं हैं। बेनेट 120 सदस्यीय सदन में 61 सांसदों के साथ मामूली बहुमत वाली सरकार का नेतृत्व करेंगे। नई सरकार के लिए अलग-अलग विचारधारा के दलों ने गठबंधन किया है। इनमें दक्षिणपंथी, वाम, मध्यमार्गी के साथ अरब समुदाय की एक पार्टी भी है।
 
इससे पहले बेनेट ने संसद में संबोधन के दौरान अपनी सरकार के मंत्रियों के नामों की घोषणा की और इस दौरान 71 वर्षीय नेतन्याहू के समर्थकों ने बाधा भी डाली। प्रतिद्वंद्वी पार्टी के सांसदों के शोर शराबे के बीच बेनेट ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वे ‘अलग-अलग विचार वाले लोगों के साथ काम करेंगे।'
 
बेनेट ने कहा कि इस निर्णायक समय हम यह जिम्मेदारी उठा रहे हैं। इस सरकार के अलावा बस यही विकल्प था कि और चुनाव करवाएं जाएं। इससे और नफरत फैलती और देश पर असर पड़ता।

ALSO READ: राम के नाम पर घोटाला, कांग्रेस ने कहा- ये कैसे दिन...

कौन हैं इसराइल के नए नेता नफ्ताली बेनेट? : इसराइल के नए प्रधानमंत्री के तौर पर रविवार को नफ्ताली बेनेट ने शपथ ले ली। पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कभी बेहद करीबी रहे बेनेट ने उनकी गलत नीतियों का विरोध कर आज यह मकाम हासिल किया है। बेनेट एक धर्मपरायण यहूदी हैं जिन्होंने विशेषकर धर्मनिरपेक्ष हाईटेक क्षेत्र से लाखों कमाए हैं। पुनर्वास आंदोलन के अगुआ रहे बेनेट तेल अवीव उपनगर में रहते हैं। वे बेंजामिन नेतन्याहू के पूर्व सहयोगी रहे हैं। नेतन्याहू के 12 साल के शासन को खत्म करने के लिए बेनेट ने मध्य और वाम धड़े के दलों से हाथ मिलाया है।
 
उनकी घोर राष्ट्रवादी यामिना पार्टी ने मार्च में हुए चुनाव में 120 सदस्यीय नेसेट (इसराइल की संसद) में महज 7 सीटें जीती थीं। लेकिन उन्होंने नेतन्याहू या अपने विरोधियों के आगे घुटने नहीं टेके और 'किंगमेकर' बनकर उभरे। अपनी धार्मिक राष्ट्रवादी पार्टी से एक सदस्य के पार्टी छोड़ने के बावजूद आज सत्ता का ताज उनके सिर पर है। बेनेट लंबे समय तक नेतन्याहू का दाहिना हाथ रहे। लेकिन वे उनके गठबंधन के तौर-तरीकों से नाखुश थे। संसद में कम बहुमत के बावजूद वे दक्षिणपंथी, वामपंथी और मध्यमार्गी दलों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने में सफल रहे और इस वजह से आगे उनके लिए रास्ता आसान नहीं होगा।
 
बेनेट फिलीस्तीनी स्वतंत्रता के विरोधी हैं और वे कब्जे वाले वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में यहूदी बस्तियों के घोर समर्थक हैं जिसे फिलीस्तीनी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कई देश शांति की प्रक्रिया में बड़ा अवरोधक मानते हैं। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के दबाव में आकर बस्तियों के निर्माण कार्य को धीमा करने के नेतन्याहू के कदम का बेनेट ने जबर्दस्त विरोध किया था। हालांकि अपने पहले कार्यकाल में ओबामा शांति प्रक्रिया बहाल करने में नाकाम रहे थे। इसराइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट के प्रमुख योहानन प्लेज्नर ने कहा कि वे एक दक्षिणपंथी नेता हैं, सुरक्षा को लेकर सख्त हैं, लेकिन वे एक व्यावहारिक सोच रखने वाले नेता हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

LoC से सटे उड़ी को भूतिया शहर बना दिया पाक गोलाबारी ने

भारत को कैसे मिलेगा POK, सेना के पूर्व DGMO ने बताया तरीका

अमेरिका में कर लगने से भारतीयों के लिए घर पैसा भेजना होगा महंगा

पाकिस्तान को दुनिया में बेनकाब करेंगे भारत के सांसद, कांग्रेस से कौन कौन?

नक्सलियों से लड़ते हुए शहीद हुई बहादुर K9 सिपाही ‘रोलो’!

सभी देखें

नवीनतम

कितनी है कर्नल सोफिया कुरैशी की सैलरी, जानिए भारतीय सेना में इस पोस्ट का वेतनमान

प्रतिनिधिमंडल को लेकर सियासत तेज, कांग्रेस ने उठाए सरकार की ईमानदारी पर सवाल

चांदी के कड़ों के लिए मां की चिता पर लेटा कलयुगी बेटा, नहीं होने दिया अंतिम संस्‍कार

यदि परमाणु युद्द हुआ तब भी सुरक्षित होंगे ये 5 देश, जानिए नाम और कारण

ट्रंप ने फिर किया दावा, भारत 100 प्रतिशत शुल्क कम करने को तैयार

अगला लेख