सियोल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि अब समय आ गया है कि वैश्विक समुदाय आतंकवादी नेटवर्कों और उन्हें वित्तीय मदद मुहैया कराने वाले माध्यमों का पूरी तरह खात्मा करने के लिए एकजुट होकर कदम उठाए। मोदी ने कहा कि भारत 40 वर्ष से ज्यादा समय से सीमापार से आतंकवाद का दर्द झेल रहा है और शांति की भारत की पहल को इस खतरे ने अक्सर पटरी से उतार दिया।
2 दिवसीय यात्रा पर दक्षिण कोरिया आए मोदी ने कट्टरपंथ और आतंकवाद को वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। मोदी ने 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के हमले के बाद दक्षिण कोरिया द्वारा भारत के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेइ इन के साथ बातचीत के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि दुनिया बातें करना छोड़कर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करे। बाद में उन्होंने प्रतिष्ठित 'सियोल शांति पुरस्कार' ग्रहण करने के बाद यहां एक समारोह में कहा कि दक्षिण कोरिया की तरह ही भारत भी सीमापार आतंकवाद से पीड़ित है।
मोदी ने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण विकास की हमारी कोशिशें अक्सर सीमापार आतंकवाद की वजह से बाधित होती रही हैं। पाकिस्तान पर कई आतंकवादी समूहों को पनाहगाह मुहैया कराने का आरोप है। भारत 40 से अधिक वर्षों से सीमापार से आतंकवाद का पीड़ित रहा है। सभी देश आज इस गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं, जो किसी सीमा का सम्मान नहीं करता।
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि मानवता में विश्वास रखने वाले सभी देश आतंकवादी नेटवर्कों, उन्हें वित्तीय मदद देने वाले माध्यमों का पूरी तरह खात्मा करने और आतंकवादी विचारधारा एवं दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए हाथ मिलाएं। हम ऐसा करके ही नफरत को सौहार्द, विनाश को विकास और हिंसा एवं प्रतिशोध के परिदृश्य को शांति में बदल सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 1988 में सियोल ओलंपिक से कुछ महीने पहले अल कायदा का गठन हुआ था और आज, कट्टरवाद और आतंकवाद का वैश्वीकरण हो गया है और वे वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
मोदी ने पुलवामा हमले पर शोक प्रकट करने और समर्थन व्यक्त करने के लिए राष्ट्रपति मून का धन्यवाद करते कहा कि हम आतंकवाद के खिलाफ हमारे द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। भारत के गृह मंत्रालय और दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय पुलिस एजेंसी ने जिस समझौता पत्र पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किए हैं, वह आतंकवाद के खिलाफ दोनों पक्षों के आपसी सहयोग को आगे लेकर जाएगा।