केप केनवरल (अमेरिका)। नासा का यान शुक्रवार को लाल ग्रह की सतह पर सुरक्षित उतर गया। अब तक के सबसे जोखिमभरे और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण इस अभियान का उद्देश्य यह पता लगाना है कि मंगल ग्रह पर क्या कभी जीवन था। अभियान के तहत ग्रह से चट्टानों के टुकड़े भी लाने का प्रयास किया जाएगा, जो इस सवाल का जवाब खोजने में अहम साबित हो सकते हैं।
कैलिफोर्निया के पासाडेना में अंतरिक्ष एजेंसी की जेट प्रॉपल्जन लैबोरेटरी में ग्राउंड कंट्रोलर अधिकारियों ने रोवर 'पर्सवियरन्स' के मंगल ग्रह की सतह पर उतरने की पुष्टि करने के बाद इस ऐतिहासिक घटना पर खुशी जताई और राहत की सांस ली। सफल लैंडिंग के बारे में धरती तक सिग्नल पहुंचने में साढ़े 11 मिनट का समय लगा और यह समाचार मिलते ही तनाव का माहौल खत्म हो गया।
नासा के विज्ञान मिशन के प्रमुख थॉमस जरबुचेन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अब विज्ञान के चमत्कार की शुरुआत हो रही है। उन्होंने अभियान के दौरान किसी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के बारे में भी जानकारी दी। 6 पहिए वाला यह उपकरण मंगल ग्रह पर उतरकर जानकारी जुटाएगा और ऐसी चट्टानें लेकर आएगा जिनसे इन सवालों का जवाब मिल सकता है कि क्या कभी लाल ग्रह पर जीवन था?
पिछले 1 सप्ताह में मंगल के लिए यह तीसरी यात्रा है। इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात और चीन के 1-1 यान भी मंगल के पास की कक्षा में प्रवेश कर गए थे। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कभी मंगल ग्रह पर जीवन रहा भी था तो वह 3 से 4 अरब साल पहले रहा होगा, जब ग्रह पर पानी बहता था।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि रोवर से दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े एक मुख्य सवाल का जवाब मिल सकता है। इस परियोजना के वैज्ञानिक केन विलिफोर्ड ने कहा कि क्या हम इस विशाल ब्रह्मांडरूपी रेगिस्तान में अकेले हैं या कहीं और भी जीवन है? क्या जीवन कभी भी, कहीं भी अनुकूल परिस्थितियों की देन होता है?
'पर्सविरन्स' नासा द्वारा भेजा गया अब तक का सबसे बड़ा रोवर है। 1970 के दशक के बाद से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का यह नौवां मंगल अभियान है। चीन ने अपने मंगल अभियान के तहत 'तियानवेन-1' पिछले साल 23 जुलाई को लाल ग्रह के लिए रवाना किया था। यह 10 फरवरी को मंगल की कक्षा में पहुंचा। इसके लैंडर के यूटोपिया प्लैंटिया क्षेत्र में मई 2021 में उतरने की संभावना है। यूएई का मंगल मिशन 'होप' भी इस महीने मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया है। (भाषा)