Nimisha Priya news in hindi : यमन में तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया की मौत की सजा रद्द कर दी गई है। अबू बकर मुसलियार भारतीय ग्रैंड मुफ्ती और ऑल इंडिया जमीयतुल उलेमा के कार्यालय ने यह जानकारी दी। हालांकि सरकार की ओर से अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
16 जुलाई को निमिषा प्रिया को सजा-ए-मौत दी जानी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया। भारत सरकार ने तलाल अब्दो मेहदी के परिवार को ब्लड मनी की पेशकश की थी, हालांकि परिवार इसके लिए तैयार नहीं था। सना में आयोजित एक उच्च-स्तरीय बैठक में पहले से अस्थायी रूप से निलंबित मौत की सजा को पूरी तरह से रद्द करने का फैसला किया गया।
कौन है निमिषा प्रिया : केरल के पलक्कड़ जिले की नर्स प्रिया को 2017 में अपने यमनी व्यापारिक साझेदार की हत्या का दोषी ठहराया गया था। उसे 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी और उसकी अंतिम अपील 2023 में खारिज कर दी गई थी। वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में बंद है।
क्यों मिली मौत की सजा : 38 वर्षीय निमिषा प्रिया, साल 2008 में नर्स की नौकरी के लिए यमन गई थीं। वहां निमिषा ने एक क्लिनिक खोला। लेकिन यमन के कानून के तहत, विदेशी को स्थानीय साझेदार रखना अनिवार्य है। इसलिए निमिषा ने एक यमन के नागरिक तलाल अब्दो मेहदी को अपना साझेदार बनाया। आरोपों के मुताबिक मेहदी ने उसके साथ धोखाधड़ी की, पैसे हड़पे और यहां तक कि उस पर शादी का झूठा दावा भी किया। परिवार की याचिका बताती है कि मेहदी ने निमिषा को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। नतीजतन साल 2017 में, निमिषा ने मेहदी को बेहोश कर पासपोर्ट वापस लेने की योजना बनाई पर ड्रग की ओवरडोज से मेहदी की मौत हो गई। घबराहट में निमिषा और उसकी साथी नर्स ने शव के टुकड़े कर उसे पानी की टंकी में फेंक दिया। निमिषा ने अपना जुर्म कबूला था।
कौन हैं शेख अबू बकर मुसलियार : ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया का पूरा नाम शेख अबूबकर अहमद मुसलियार है, जिन्हें कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुसलियार के नाम से भी जाना जाता है। वे भारत के 10वें और वर्तमान ग्रैंड मुफ्ती हैं, जो भारत में सुन्नी मुस्लिम समुदाय के सर्वोच्च धार्मिक नेता हैं। उनका जन्म 22 मार्च 1931 को केरल के कोझिकोड जिले के कंथापुरम गांव में हुआ था। वे अपने गृह राज्य केरल में रहते हैं और ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा के महासचिव भी हैं।
ग्रेंड मुफ्ती ने कैसे की प्रिया की मदद? निमिषा प्रिया को 2017 में यमन के एक व्यापारी तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद से वह सना जेल में बंद थीं। निमिषा का कहना है कि उन्होंने महदी को केवल बेहोश करने के लिए केटामाइन का इंजेक्शन लगाया था, लेकिन ओवरडोज के कारण उसकी मौत हो गई। यमन के कानून के तहत, पीड़ित के परिवार को 'ब्लड मनी' देकर दोषी को सजा से बचाया जा सकता है। निमिषा के परिवार ने 'ब्लड मनी' के लिए कई प्रयास किए थे, लेकिन सफलता नहीं मिली थी।
ऐसे में, ग्रैंड मुफ्ती अबूबकर मुसलियार ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। उन्होंने यमन के सूफी धार्मिक नेताओं और विद्वानों से संपर्क किया, और उनसे मृतक महदी के परिवार से बातचीत करने का आग्रह किया। मुसलियार ने बताया कि इस्लाम में एक ऐसा कानून है जो पीड़ित के परिवार को हत्यारे को माफ करने की अनुमति देता है, खासकर यदि 'ब्लड मनी' का भुगतान किया जाता है। उन्होंने यमनी विद्वानों को इस मानवीय पहलू को समझाने का प्रयास किया और फांसी को अस्थायी रूप से स्थगित करने का अनुरोध किया, जिस पर यमनी प्रशासन ने विचार किया और फिलहाल फांसी पर रोक लगा दी गई है।
edited by : Nrapendra Gupta