आतंकवाद के मुद्दे पर इस्लामाबाद और काबुल के बीच बिगड़ते संबंधों के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है और इसका असर उन आठ लाख से अधिक अफगान शरणार्थियों पर पड़ सकता है, जिनके पास एसीसी होने से वे दस्तावेज वाले शरणार्थियों की श्रेणी में शामिल हैं। जबकि सैकड़ों और हजारों लोग बिना दस्तावेज के यहां शरण लिए हुए हैं। इसमें कहा गया है कि अवैध विदेशी प्रत्यावर्तन कार्यक्रम (आईएफआरपी) को एक नवंबर 2023 से लागू किया गया है।(भाषा)(फ़ाइल चित्र)
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Edited by: Ravindra Gupta