दुनियाभर में कश्मीर का राग अलाप रहा पाकिस्तान की सांसें अटकी हुई हैं, क्योंकि 3 दिन बाद तय होने वाला है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आतंकी वित्तपोषण की निगरानी संस्था एफएटीएफ (FATF) के ब्लैक लिस्ट में होगा या फिर डार्क ग्रे लिस्ट में? एफएटीएफ के फैसले को लेकर इमरान खान की सरकार सकते में है। आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करने के कारण अब पाकिस्तान पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
6 मामलों में कर पाया कार्रवाई : 27 मामलों में पाकिस्तान को कहा गया था कि आप कार्रवाई कीजिए जिसमें पाकिस्तान सिर्फ 6 मामलों में ही कार्रवाई कर पाया इसलिए अब तक जो खबर सामने आ रही है कि पाकिस्तान को डार्क ग्रे लिस्ट में रखा जा सकता है।
क्या होती है डार्क ग्रे सूची? : एफएटीएफ के नियमों के अनुसार 'ग्रे' और 'ब्लैक' सूचियों के बीच एक अनिवार्य चरण है जिसे 'डार्क ग्रे' कहा जाता है। 'डार्क ग्रे' का अर्थ है सख्त चेतावनी ताकि संबंधित देश को सुधार का एक अंतिम मौका मिल सके। एफएटीएफ एक अंतरसरकारी निकाय है जिसे मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए अन्य खतरों का मुकाबला करने के लिए स्थापित किया गया है।
पाकिस्तान को बताया बर्बाद मुल्क : वैसे तो 18 अक्टूबर को पेरिस में फाइनल फैसला होगा कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में रखा जाए या ग्रे में? लेकिन अब ये तय हो गया है कि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकलने वाला। 36 में से एक भी देश पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं था। आखिरी बैठक से पहले सबने मिलकर कहा कि पाकिस्तान एक बर्बाद मुल्क का नाम है इसलिए ग्रे लिस्ट से निकालकर उसे डार्क ग्रे में रखा जाए।
सूची में आने पर पड़ेगा यह असर : डार्क ग्रे सूची में आने पर पाकिस्तान को IMF और वर्ल्ड बैंक की ओर से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलेगी। इतना ही नहीं, पाकिस्तान को यूरोपीय यूनियन की ओर से भी वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी। वैश्विक बैंक या निवेशक पाकिस्तान में जाने से कतराएंगे।