Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मुशर्रफ हुए सुपुर्द-ए-खाक, राष्ट्रपति अल्वी और पीएम शहबाज ने अंतिम संस्कार में नहीं लिया हिस्सा

हमें फॉलो करें मुशर्रफ हुए सुपुर्द-ए-खाक, राष्ट्रपति अल्वी और पीएम शहबाज ने अंतिम संस्कार में नहीं लिया हिस्सा
, मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023 (20:04 IST)
कराची। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति एवं 1999 में करगिल युद्ध के मुख्य सूत्रधार रहे जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ को उनके परिजनों, सगे-संबंधियों तथा कई सेवानिवृत्त एवं मौजूदा अधिकारियों की मौजूदगी में पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ यहां 'ओल्ड आर्मी ग्रेवयार्ड' में मंगलवार को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। हालांकि इस जनाजा-ए-नमाज में न तो राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने और न ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हिस्सा लिया।
 
जनरल (सेवानिवृत्त) मुशर्रफ के जनाजे की नमाज मलीर छावनी के गुलमोहर पोलोग्राउंड पर अपराह्न 1 बजकर 45 मिनट पर पढ़ी गई, हालांकि इस जनाजा-ए-नमाज में न तो राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने और न ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हिस्सा लिया।
 
वर्ष 1999 के करगिल युद्ध के मुख्य सूत्रधार और पाकिस्तान के अंतिम सैन्य शासक जनरल मुशर्रफ कई वर्षों से बीमार थे और उनका दुबई के एक अस्पताल में रविवार को निधन हो गया था। वे 79 वर्ष के थे। पाकिस्तान में उनके खिलाफ लगे आरोपों से बचने के लिए वे 2016 से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में स्वनिर्वासन में रह रहे थे। दुबई में उनका 'एमाइलॉयडोसिस' का इलाज चल रहा था।
 
सूत्रों ने बताया कि नमाज-ए-जनाजा में ज्वॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ जनरल साहिर शमशाद मिर्जा, पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) कमर जावेद बाजवा, जनरल (सेवानिवृत्त) अशफाक परवेज कयानी, पूर्व आईएसआई प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) शुजा पाशा एवं जनरल (सेवानिवृत्त) जहीरुल इस्लाम तथा कई सेवारत एवं सेवानिवृत्त सैनिकों ने हिस्सा लिया।
 
मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (पाकिस्तान) के नेता खालिद मकबूल सिद्दीकी, डॉ. फारुक सत्तार, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के नेता आमिर मुकाम, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता और सिंध के पूर्व गवर्नर इमरान इस्माइल, पूर्व संघीय सूचना मंत्री जावेद जब्बार सहित कई राजनेता भी इस अवसर पर मौजूद रहे।
 
मुशर्रफ के ताबूत को पाकिस्तान के हरे और सफेद झंडे में लपेटा गया था, हालांकि यह समारोह राजकीय सम्मान के साथ आयोजित नहीं किया गया था। उनका पार्थिव शरीर दुबई से सोमवार को विशेष विमान से यहां लाया गया। जनरल (सेवानिवृत्त) मुशर्रफ की पत्नी सेहबा, बेटा बिलाल, बेटी और अन्य करीबी रिश्तेदार माल्टा विमानन के विशेष विमान से उनके पार्थिव शरीर के साथ यहां पहुंचे।
 
अधिकारियों ने बताया कि विशेष विमान कड़ी सुरक्षा के बीच जिन्ना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पुराने टर्मिनल क्षेत्र में उतरा और पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को मलीर छावनी क्षेत्र ले जाया गया। मुशर्रफ की मां को दुबई में दफनाया गया था जबकि उनके पिता को कराची में सुपुर्द-ए-खाक किया गया था।
 
पाकिस्तान के उच्च सदन सीनेट में सोमवार को पूर्व सैन्य शासक के नमाज-ए-जनाजा को लेकर राजनीतिक नेताओं के बीच तीखे मतभेद उभरकर सामने आए। पाकिस्तानी संसद देश के एक प्रमुख राजनेता या व्यक्तित्व की मृत्यु होने पर दिवंगत आत्मा के लिए फातिहा पढ़ने की परंपरा का पालन करती है।
 
जब मुशर्रफ के लिए फातिहा का मुद्दा उठाया गया तो संसद के उच्च सदन सीनेट के सदस्यों ने एक-दूसरे पर तानाशाही शासन और संविधान का उल्लंघन करने वाले का समर्थन करने को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सीनेटर शहजाद वसीम ने फातिहा को लेकर प्रस्ताव रखा था जिसका समर्थन अन्य सदस्यों द्वारा किया गया था।
 
जब दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी के सीनेटर मुश्ताक अहमद तुर्किए में भूकंप में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए फातिहा करने वाले थे तो उन्हें मुशर्रफ के लिए भी ऐसा करने को कहा गया। हालांकि उन्होंने यह कहकर इंकार कर दिया कि वे केवल भूकंप पीड़ितों के लिए ही ऐसा करेंगे। इससे विभिन्न सीनेटरों के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई और उनमें से कुछ सदस्यों ने सीनेटर मुश्ताक को याद दिलाया कि उनकी पार्टी ने भी कभी मुशर्रफ का समर्थन किया था।
 
बाद में सीनेटर वसीम के नेतृत्व में पीटीआई सांसदों ने पारंपरिक फातिहा पढ़ी जबकि सत्तापक्ष के सीनेटर ने उनके साथ शामिल होने से इंकार कर दिया। वसीम को मुशर्रफ ने राजनीति में मौका दिया था। मुशर्रफ ने सेवानिवृत्त होने के बाद ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग का गठन किया था।
 
करगिल में मिली नाकामी के बाद मुशर्रफ ने 1999 में तख्तापलट कर तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपदस्थ कर दिया था। वे 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे। मुशर्रफ का जन्म 1943 में दिल्ली में हुआ था और 1947 में उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था। वे पाकिस्तान पर शासन करने वाले अंतिम सैन्य तानाशाह थे।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अडाणी मामले के बाद LIC पर उठ रहे सवाल? कंपनी ने सरकार से कहा- निवेश में किया नियमों का सख्ती से पालन