Ramayana in Pakistan: भारत और पाकिस्तान के बीच अक्सर तनाव की खबरें आती रहती हैं, लेकिन इस बार पाकिस्तान के कराची शहर से एक ऐसी खबर आई है, जिसने दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु का काम किया है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के कराची शहर में एक पाकिस्तानी नाटक समूह 'मौज' रामायण का मंचन करके सुर्खियां बटोर रहा है। यह मंचन न केवल अपनी प्रस्तुति के लिए सराहा जा रहा है, बल्कि इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अभिनव उपयोग ने इसे और भी खास बना दिया है।
रामायण का अभूतपूर्व मंचन और AI का कमाल
कराची आर्ट्स काउंसिल में सप्ताहांत में हुए इस रामायण मंचन ने दर्शकों और समीक्षकों दोनों का दिल जीत लिया। नाटक समूह 'मौज' ने महाकाव्य को जीवंत बनाने के लिए AI तकनीक का सहारा लिया, जिससे दर्शकों को एक अद्भुत दृश्य अनुभव मिला। AI के उपयोग से पेड़ों का हिलना, महलों का वैभव और जंगलों की शांति जैसे दृश्य बेहद खूबसूरती से दर्शाए गए, जिसने प्रस्तुति को और भव्य बना दिया। यह तकनीक और परंपरा का एक अनूठा संगम है, जो दिखाता है कि कला की कोई सीमा नहीं होती।
मुस्लिम कलाकारों ने निभाई भूमिका
रामायण की इस प्रस्तुति को मंच पर चरितार्थ करने के लिए मुस्लिम कलाकारों ने खूब मेहनत की। निर्माता राणा काजमी ने सीता का किरदार निभाया। राम की भूमिका अश्मल लालवानी ने निभाई और वक्कास अख्तर बने थे लक्ष्मण। अन्य मुख्य पात्रों में मुस्लिम कलाकार शामिल थे जैसे राजा दशरथ का किरदार निभाया आमिर अली ने। हनुमान जी की भूमिका में थे जिबरान खान, सना तोहा बनीं थीं रानी कैकेयी और अली शेर ने अभिमंत्री का किरदार निभाया।
निर्देशक और निर्माता का अनुभव
इस नाटक को डायरेक्ट कर रहे योहेश्वर करेरा ने इस पहल पर अपना विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें कभी नहीं लगा कि 'रामायण' का मंचन करने से लोग उन्हें नापसंद करेंगे या उन्हें किसी तरह की धमकी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा, "मेरे लिए, रामायण को मंच पर जीवंत करना एक अद्भुत दृश्य अनुभव है और यह दर्शाता है कि पाकिस्तानी समाज जितना माना जाता है, उससे कहीं अधिक सहिष्णु है।" करेरा के इस बयान ने धार्मिक सहिष्णुता और आपसी सम्मान के महत्व को रेखांकित किया है।
सीता की भूमिका निभाने वाली निर्माता राणा काजमी भी इस प्राचीन कथा को दर्शकों के लिए एक जीवंत अनुभव के रूप में प्रस्तुत करने के विचार से रोमांचित थीं। उन्होंने कहा, "नैरेटिव टॉप क्लास की है क्योंकि रामायण एक ऐसी कहानी है जो दुनिया भर के लाखों लोगों के साथ जुड़ी हुई है।" राणा काजमी और अश्मन लालवानी (जिन्होंने राम की भूमिका निभाई) जैसे कलाकारों ने अपने शानदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया, जो धार्मिक विविधता के बीच सौहार्द का एक मजबूत संदेश देता है।
ALSO READ: 2050 तक भारत में होंगे दुनिया के सबसे ज्यादा मुसलमान! जानिए क्या होगी देश में हिन्दुओं की स्थिति
सांस्कृतिक एकता की मिसाल
कराची में रामायण का यह मंचन केवल एक नाट्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता और भाईचारे की एक बड़ी मिसाल है। यह दिखाता है कि कला और संस्कृति कैसे विभिन्न समुदायों और देशों को जोड़ सकती है। पाकिस्तान जैसे देश में, जहाँ अक्सर धार्मिक कट्टरता की बातें होती हैं, वहाँ रामायण जैसे हिंदू महाकाव्य का मंचन होना और उसे इतनी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलना, यह साबित करता है कि कला और आस्था की कोई सीमा नहीं होती।
यह घटना उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो मानते हैं कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आपसी समझ से ही शांति और सद्भाव का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। कराची की यह रामायण हमें याद दिलाती है कि मानवीय भावनाएं और साझा कहानियाँ हमें धर्मों और सीमाओं से परे एकजुट कर सकती हैं।