दुबई। ईरान के मुख्य परमाणु केंद्र में रहस्यमय विस्फोट और आग ने भले ही उसे उन्नत सेंट्रीफ्यूग्स का निर्माण करने से रोक दिया हो, लेकिन ऐसी संभावना है कि इससे इस इस्लामी गणराज्य की निम्न संवर्धित यूरेनियम के लगातार बढ़ते जखीरे को बढ़ाने की रफ्तार धीमी नहीं हुई।
पांच साल पहले इसी सप्ताह ईरान का दुनिया की शक्तियों के साथ जो परमाणु करार हुआ था कि उसके अहम बिंदुओं में एक इस जखीरे को सीमित करना था। लेकिन दो साल पहले करार से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एकतरफा ढंग से हट जाने के बाद अब यह संधि धूल फांक रही है।
यह जखीरा जितना ही बढ़ेगा, उतना ही तथाकथित ‘ब्रेकआउट टाइम’ घटेगा। यह एक ऐसा समय है जिसकी ईरान को, यदि परमाणु हथियार बनाना चाहेगा, की जरूरत होगी।
ईरान इस पर जोर देता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। उसने अहम परमाणु अप्रसार संधि से हटने की फिर धमकी दी है क्योंकि अमेरिका उस पर लगे संयुक्त राष्ट्र हथियार प्रतिबंधों को अक्टूबर में खत्म होने के बाद उसे आगे बढ़ाने की जुगत में लगा है।
इन सारी बातों से आने वाले महीनों में टकराव और बढ़ने खतरा पैदा होता है। ईरानी अधिकारियों ने संभवत: माना जब उन्होंने ईरान के मध्य इसफान प्रांत के नतांज परिसर में दो जुलाई के विस्फोट के दायरे को स्वीकार किया।
उन्होंने शुरू में विस्फोट वाली जगह को शेड करार देकर उसे एक मामूली घटना दिखाने की कोशिश की लेकिन विश्लेषकों ने तत्काल कहा कि यह विस्फोट ननांज के नए आधुनिक सेंट्रीफ्यूज एसेंबली केंद्र में हुआ है।
ईरान ने वहां लगी आग को बाद में स्वीकार किया। इससे उस स्थल पर विध्वंस की संभावना बढ़ी जहां पहले स्टक्सनेट कंप्यूटर वायरस से हमला किया गया था। फिर भी उसने सीधे अमेरिका या इसराइल पर अंगुली उठाने में सावधानी बरती, जिनके अधिकारियों ने इस आग में अपने देश का हाथ होने का संकेत दिया था।
यदि ईरान सीधे-सीधे किसी पर आरोप लगाता है तो इससे वहां के शिया धार्मिक नेतृत्व पर जवाबी कार्रवाई करने का दबाव आएगा जिससे ईरान फिलहाल बचना चाहता है। (भाषा)