भारत को एक बड़ा कूटनीतिक झटका देते हुए ईरान ने भारत के साथ एक अहम समझौता तोड़ दिया है। उल्लेखनीय है कि 4 साल पहले हुए एक महत्वकांक्षी समझौते के तहत दोनों देश चर्चित चाबहार बंदरगाह से अफगानिस्तान की सीमा तक सटे जाहेदान तक करीब 628 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाने वाले थे।
लेकिन अब ईरान ने यह काम अकेले ही करने का फैसला किया है। ईरान ने इसके पीछे की वजह परियोजना के लिए भारत से मिलने वाले फंड में हो रही देरी को बताया है।
क्या है चाबहार परियोजना: इस रेल परियोजना को ईरानियन रेलवेज और इंडियन रेलवेज कंस्ट्रक्शन लि. (इरकॉन) मिलकर बनाने वाले थे। यह भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच हुए एक त्रिपक्षीय समझौते का हिस्सा थी। इसके बनने से अफगानिस्तान और मध्य एशिया में व्यापार के लिए भारत को एक वैकल्पिक रास्ता मिल जाता। ईरान का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब उसने चीन के साथ 400 अरब डॉलर की एक साझेदारी को अंतिम रूप दे दिया है।
इस मामले पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधाते हुए इसे देश का बड़ा नुकसान बताया है। अभिषेक मनु सिंघवी ने एक ट्वीट में कहा कि यह एक बड़ा नुकसान है। उनका कहना था, ‘भारत को चाबहार बंदरगाह परियोजना समझौते से बाहर कर दिया गया। यह मोदी सरकार की कूटनीति है जिसमें काम हुए बिना ही तारीफ हो जाती है। चीन ने चुपचाप काम किया, लेकिन उन्हें बेहतर डील दी। भारत का बड़ा नुकसान, लेकिन आप सवाल नहीं कर सकते!’