मास्को। रूस की संसद के निचले सदन के स्पीकर व्यचेस्लाव वोलोडिन (Vyacheslav Volodin) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अमेरिका ने अन्य देशों में रूस के संसाधनों को जब्त करने की कोशिश की तो रूस अमेरिका से अलास्का भी छीन लेगा। बता दें कि अलास्का पहले रूस का ही हिस्सा था।
वोलोडिन ने कहा कि अमेरिका को हमेशा याद रहे कि अलास्का पहले रूसी अधिकार क्षेत्र में ही आता था। अगर वो हमारे देश के बाहर हमारे संसाधनों को जब्त करेंगे तो बदले में हमारे पास भी उनके लिए कुछ है।
बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध में NATO की दखल को लेकर अमेरिका और रूस के बीच कई महीनों से तनाव की स्थिति बनी हुई है। अमेरिका सहित अन्य कई देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं, जिनसे रूस की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
रूस पहले ही पश्चिमी देशों को चेतावनी दे चुका है कि अगर यूक्रेन के मामले में किसी ने दखल ली तो रूस यूक्रेन के बाहर भी सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
अलास्का को अमेरिका से वापस लेने की बात करने वाले वोलोडिन अकेले नेता नहीं हैं। इस साल की शुरुआत में रूस की लेजिस्लेटिव बॉडी ड्यूमा के मेंबर ओलेग मट्वेचेव ने भी कहा था कि दुनियाभर में रूसी एम्पायर के तहत दुनियाभर में जितनी भी संपत्ति है, उसे वापस लेना चाहिए।
ओलेग के बयान पर अलास्का के गवर्नर माइक डान्लेवि (Mike Dunleavy) ने ट्वीट करके उत्तर दिया था कि आपको इस कार्य के लिए आपको मेरी ओर से शुभकामनाएं। हम इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना चाहेंगे। हमारे पास हजारों की संख्या में हथियारबंद सैनिक हैं, जो अलास्का की सरहद पर खड़े हैं। वे इस मुद्दे को अलग ढंग से देखेंगे।
बताया जा रहा है कि वोलोडिन के बयान के बाद रूस के एक शहर में एक पोस्टर भी लगाया गया है, जिसमें लिखा है - 'अलास्का हमारा है।'
रूस ने कब और क्यों अमेरिका को बेचा अलास्का?
जानकारी के लिए बता दें कि 30 मार्च 1867 को अमेरिका और रूस ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत रूस ने अमेरिका को 7.2 मिलियन डॉलर के बदले में अलास्का बेच दिया था।
1850 के दशक में रूस को भय था कि आने वाले सालों में रूस अलास्का को ब्रिटिश एम्पायर से युद्ध में हार जाएगा। इस वजह से तत्कालीन रूसी शासक एलेग्जेंडर द्वितीय ने अलास्का को बेचने का निर्णय लिया। रूस ने ये प्रस्ताव अमेरिका और ब्रिटिश साम्राज्य दोनों के सामने रखा। लेकिन, ब्रिटिश पीएम ने ये प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद इसका सौदा अमेरिका से किया गया।