ईरान के पास कौन सी हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं जिससे खौफ खाते हैं अमेरिका और इजराइल?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 19 जून 2025 (14:42 IST)
ईरान का मिसाइल कार्यक्रम आज मध्य पूर्व में उसकी सैन्य शक्ति का एक प्रमुख प्रतीक बन चुका है। खास तौर पर उसकी हाइपरसोनिक मिसाइलें, जो ध्वनि की गति से कई गुना तेज़ उड़ान भर सकती हैं, ने अमेरिका और इज़राइल जैसे देशों की नींद उड़ा रखी है। इन मिसाइलों की अत्याधुनिक तकनीक, सटीक निशाना लगाने की क्षमता और रडार से बचने की विशेषता उन्हें क्षेत्रीय युद्ध में गेम-चेंजर बनाती हैं। आइए, जानते हैं कि ईरान के पास ऐसी कौन सी हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं, जो विश्व शक्तियों के लिए चुनौती बन रही हैं।

ईरान का मिसाइल कार्यक्रम मध्य पूर्व में उसकी सैन्य शक्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और हाल के वर्षों में इसने हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास पर विशेष ध्यान दिया है। हाइपरसोनिक मिसाइलें ऐसी मिसाइलें होती हैं, जो ध्वनि की गति से 5 गुना या उससे अधिक तेज़ (मैक 5 या अधिक) उड़ान भर सकती हैं और अपने अनियमित उड़ान पथ और उच्च गति के कारण रडार और वायु रक्षा प्रणालियों को चकमा देने में सक्षम होती हैं।

ईरान की हाइपरसोनिक मिसाइल: फतह-1
ईरान ने अपनी पहली हाइपरसोनिक मिसाइल फतह-1 को जून 2023 में सार्वजनिक किया था। इसका नाम ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने रखा था, और इसे "इज़राइल-स्ट्राइकर" के रूप में प्रचारित किया गया। यह मिसाइल ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की एयरोस्पेस डिवीजन द्वारा विकसित की गई है।

फतह-1 की विशेषताएँ: रेंज: 1400-1800 किलोमीटर। यह रेंज पूरे इज़राइल, फारस की खाड़ी में अमेरिकी सैन्य ठिकानों, और मध्य पूर्व के कई अन्य क्षेत्रों को कवर करती है।

गति: मैक 5-7 (कुछ दावों के अनुसार मैक 13-15 तक), यानी ध्वनि की गति से 5-15 गुना तेज़। इस गति के कारण इसे ट्रैक करना और इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल है।

वारहेड: लगभग 300-450 किलोग्राम। यह सटीक निशाना लगाने में सक्षम है और महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को नष्ट कर सकती है।

उड़ान पथ: अनियमित और परिवर्तनशील, जिससे यह इज़राइल के आयरन डोम और एरो-3 जैसे उन्नत वायु रक्षा तंत्रों को चकमा दे सकती है।

प्रणोदन: ठोस ईंधन (सॉलिड फ्यूल) आधारित, जो इसे त्वरित लॉन्च और कम तैयारी समय के साथ प्रभावी बनाता है।

तकनीकी विशेषताएँ: फतह-1 को मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, लेकिन इसकी हाइपरसोनिक गति और गतिशीलता इसे पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों से अलग बनाती है यह मिसाइल वायुमंडल में और बाहर (एक्सो-एटमॉस्फेरिक) दोनों में उड़ान भरने की क्षमता रखती है, जिससे यह रडार डिटेक्शन से बच सकती है। ईरान का दावा है कि यह मिसाइल किसी भी क्षेत्रीय मिसाइल रक्षा प्रणाली को भेद सकती है, हालांकि इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है।

2024 और 2025 में इज़राइल पर हमले: ईरान ने दावा किया है कि फतह-1 का उपयोग अप्रैल 2024 और जून 2025 में इज़राइल पर हमलों में किया गया। विशेष रूप से, 14 जून 2025 को "ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3" के तहत ईरान ने 150 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें फतह-1 भी शामिल थी। इन हमलों में तेल अवीव, हाइफा, और नेवातिम एयरबेस जैसे लक्ष्यों को निशाना बनाया गया।

इज़राइल के रक्षा तंत्र पर प्रभाव: इज़राइल का आयरन डोम छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों को रोकने में सक्षम है, लेकिन फतह-1 की हाइपरसोनिक गति और अनियमित उड़ान पथ इसे रोकना मुश्किल बनाते हैं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, 2024 के हमले में सात फतह-1 मिसाइलों में से कुछ ने आयरन डोम को भेदकर नेवातिम एयरबेस को नुकसान पहुँचाया।

रणनीति: ईरान की रणनीति में पहले ड्रोन और सामान्य मिसाइलों से हमला कर आयरन डोम को व्यस्त करना शामिल है, जिसके बाद फतह-1 जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलों से घातक प्रहार किया जाता है। यह रणनीति आयरन डोम की सीमाओं को उजागर करती है।

हाइफा पर हमला (जून 2025): 15 जून 2025 को ईरान ने हाइफा शहर पर लगभग 70 मिसाइलें दागीं, जिनमें हाइपरसोनिक मिसाइलें भी शामिल थीं। कुछ रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स के अनुसार, एक हाइपरसोनिक मिसाइल ने हाइफा की गैस रिफाइनरी को निशाना बनाया, जिसे आयरन डोम रोकने में असफल रहा। हालांकि, इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

तेल अवीव पर हमला: 17 जून 2025 को एक वायरल वीडियो में दावा किया गया कि ईरान ने तेल अवीव के पास एक पावर स्टेशन पर हाइपरसोनिक मिसाइलों से हमला किया, जिससे भारी तबाही हुई। वीडियो में तेज़ चमक और धमाके दिखाए गए, लेकिन इसकी प्रामाणिकता की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई। इसके अलावा भी माना जाता है कि ईरान के पास अन्य हाइपरसोनिक मिसाइलें है:

फतह-2: कुछ स्रोतों में फतह-2 का ज़िक्र है, जो फतह-1 का उन्नत संस्करण हो सकता है। हालांकि, इसके बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है।

खोर्रमशहर-4: यह मिसाइल खोर्रमशहर परिवार की चौथी पीढ़ी की मिसाइल है, जिसे 2023 में पेश किया गया। इसे भी हाइपरसोनिक मिसाइल माना जाता है, जिसकी रेंज 1800-2000 किलोमीटर है।

सेजिल: यह एक ठोस ईंधन आधारित मिसाइल है, जिसकी रेंज 2000 किलोमीटर है। कुछ विशेषज्ञ इसे हाइपरसोनिक क्षमता के साथ जोड़ते हैं, लेकिन इसका वर्गीकरण पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।

ईरान की हाइपरसोनिक मिसाइलों का महत्व : क्षेत्रीय शक्ति प्रदर्शन: फतह-1 और अन्य हाइपरसोनिक मिसाइलें ईरान की सैन्य तकनीक में प्रगति का प्रतीक हैं। ये मिसाइलें इज़राइल, अमेरिकी सैन्य ठिकानों, और सऊदी अरब जैसे क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों के लिए खतरा पैदा करती हैं।

रक्षा प्रणालियों को चुनौती: आयरन डोम और एरो-3 जैसे रक्षा तंत्र हाइपरसोनिक मिसाइलों के सामने कम प्रभावी हैं, क्योंकि इनकी ट्रैकिंग और इंटरसेप्शन में समय की कमी होती है।

स्वदेशी तकनीक: अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान ने स्वदेशी मिसाइल उत्पादन क्षमता विकसित की है। IRGC के कमांडर अमीर अली हाजीज़ादेह ने दावा किया है कि फतह-1 जैसी मिसाइलें दुश्मनों (विशेष रूप से अमेरिका) के लिए दशकों तक चुनौती बनी रहेंगी।

ईरान की मिसाइल नीति और सीमाएँ
रेंज सीमा: ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने मिसाइलों की रेंज को 2000 किलोमीटर तक सीमित करने का निर्देश दिया है। इसका मतलब है कि ईरान की हाइपरसोनिक मिसाइलें यूरोपीय देशों को निशाना नहीं बना सकतीं।

उत्पादन क्षमता: ईरान के पास लगभग 2500-3000 मिसाइलें हैं, और वह प्रति माह 50 बैलिस्टिक मिसाइलों का उत्पादन कर रहा है। हालांकि, इज़राइल के हमलों ने ईरान के मिसाइल बेसों (जैसे शाहरौद, करमानशाह को नुकसान पहुँचाया है, जिससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

प्रामाणिकता पर सवाल: ईरान के हाइपरसोनिक मिसाइल दावों पर कुछ पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका, ने संदेह जताया है। 2022 में ईरान के पहले हाइपरसोनिक मिसाइल दावे को अमेरिकी विदेश विभाग ने खारिज किया था।

इज़राइल के जवाबी हमले : इज़राइल ने ईरान की मिसाइल क्षमता को कम करने के लिए कई हमले किए हैं:
शाहरौद स्पेस सेंटर (2024): इज़राइल ने इस मिसाइल उत्पादन और टेस्टिंग बेस को नष्ट कर दिया, जहाँ फतह-1 और ख़ैबर शिकन जैसी मिसाइलें रखी थीं।

करमानशाह : सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, इन मिसाइल बेसों को इज़राइली हमलों में भारी नुकसान हुआ।

मोसाद का नेटवर्क: इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान में गुप्त ड्रोन और मिसाइल बेस स्थापित किए, जिनका उपयोग ईरानी मिसाइल लॉन्चरों को नष्ट करने के लिए किया गया।

ईरान की हाइपरसोनिक मिसाइलें, विशेष रूप से फतह-1, मध्य पूर्व में उसकी सैन्य शक्ति को बढ़ाती हैं और इज़राइल के आयरन डोम जैसे रक्षा तंत्रों के लिए गंभीर चुनौती पेश करती हैं। इन मिसाइलों की सुपरस्पीड, सटीकता, और रडार से बचने की क्षमता उन्हें क्षेत्रीय युद्ध में गेम-चेंजर बनाती हैं। हालांकि, इज़राइल के जवाबी हमले और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध ईरान की मिसाइल क्षमता को सीमित कर रहे हैं। भविष्य में, ईरान की हाइपरसोनिक मिसाइलें और इज़राइल की रक्षा रणनीतियाँ मध्य पूर्व की भू-राजनीति को और जटिल बना सकती हैं।
Edited By: Navin Rangiyal

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